ट्यूनीशिया की संसद के पास आतंकी हमला, 17 विदेशी पर्यटकों की मौत
अरब क्रांति का जनक उत्तर अफ्रीकी देश ट्युनीशिया बुधवार को आतंकी हमले से दहल उठा। सेना की वर्दी पहने दो आतंकियों ने राजधानी ट्यूनिश में संसद के करीब स्थित बारदो राष्ट्रीय संग्रहालय पर हमला किया। हमले में 19 लोगों की मौत हो गई। जवाबी कार्रवाई में सुरक्षा बलों ने दोनों
ट्यूनिश। अरब क्रांति का जनक उत्तर अफ्रीकी देश ट्युनीशिया बुधवार को आतंकी हमले से दहल उठा। सेना की वर्दी पहने दो आतंकियों ने राजधानी ट्यूनिश में संसद के करीब स्थित बारदो राष्ट्रीय संग्रहालय पर हमला किया। हमले में 19 लोगों की मौत हो गई। जवाबी कार्रवाई में सुरक्षा बलों ने दोनों हमलावरों को भी मार गिराया। मृतकों और घायलों में ज्यादातर विदेशी सैलानी हैं।
प्रधानमंत्री हबीब एस्सिद ने बताया कि 17 विदेशी पर्यटक और दो स्थानीय नागरिक मारे गए हैं। मरने वालों में पोलैंड, जर्मन, इटली और स्पेन के पर्यटक हैं। उन्होंने इसे आतंकियों की कायरतापूर्ण हरकत करार दिया है। ट्यूनीशियाई गृह मंत्रालय के प्रवक्ता मोहम्मद अली अरोरी ने बताया कि हमला होते ही संसद भवन को सुरक्षा बलों ने खाली करा लिया था। आतंकियों को ढेर करने की कार्रवाई के दौरान एक पुलिसकर्मी की भी मौत हो गई। उन्होंने कहा कि आतंकियों ने जिन लोगों को बंधक बनाया था सभी मुक्त करा लिए गए हैं।
रोम में इटली के एक अधिकारी ने अपने तीन नागरिकों के घायल होने की पुष्टि की है। अधिकारी ने बताया कि हमले के वक्त संग्रहालय परिसर में करीब 100 इतालवी मौजूद थे, जिन्हें सुरक्षा बलों ने शुरुआत में ही बाहर निकाल लिया था।
आइएस का हाथ
हमले की जिम्मेदारी किसी संगठन ने नहीं ली है। लेकिन,यूरोपीय संघ की विदेशी मामलों की प्रमुख फ्रेडरिका मोहरगिनी ने इसके पीछे इस्लामिक स्टेट (आइएस) का हाथ होने की आशंका जताई है। एक आकलन के मुताबिक करीब तीन हजार ट्यूनीशियाई नागरिक सीरिया और इराक में इस गुट की ओर से लड़ रहे हैं। इनमें से कुछ के देश लौटने और यहां हमला करने की आशंका पिछले दिनों ही सरकार ने जताई थी। इसके अलावा संयुक्त राष्ट्र द्वारा प्रतिबंधित कट्टरपंथी संगठन अंसार अल शरिया भी इस देश में सक्रिय है।
2002 के बाद सबसे बड़ा हमला
पिछले 13 सालों में ट्यूनीशिया में यह सबसे घातक हमला है। इससे पहले पर्यटकों के बीच लोकप्रिय द्वीप देरबा में 2002 में अल कायदा ने आत्मघाती हमला किया था। इस हमले में 21 लोगों की मौत हो गई थी।
अरब क्रांति का रहा है केंद्र
ट्यूनीशिया से ही अरब क्रांति की शुरुआत हुई थी। इसके बाद लीबिया, मिस्र, सीरिया और यमन में इसका असर देखने को मिला था। लेकिन, नया संविधान स्वीकार करने और शांतिपूर्ण चुनावों के बाद से इस देश में शांति है।
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