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अमेरिका ने कराई भाजपा की जासूसी, दोनों देशों के रिश्तों में नया विवाद

अमेरिकी राष्ट्रीय सुरक्षा एजेंसी (एनएसए) के विवादास्पद कार्यक्रम के तहत भारत और भाजपा की जासूसी को लेकर ताजा रहस्योद्घाटन ने दोनों देशों के रिश्तों में नया विवाद खड़ा कर दिया है। अमेरिकी मीडिया में व्हिसिल ब्लोअर एडवर्ड स्नोडेन के हवाले से इस बाबत आई रिपोर्ट पर तीखी प्रतिक्रिया में भारत ने कहा कि अगर भारतीय निजता कानूनों को तोड़ा गया है, तो यह बेहद परेशान करने वाला है। यह जानकारी उस समय उजागर हुई है, जब अमेरिका प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगवानी को आतुर दिख

By Edited By: Updated: Wed, 02 Jul 2014 09:05 AM (IST)
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नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। अमेरिकी राष्ट्रीय सुरक्षा एजेंसी (एनएसए) के विवादास्पद कार्यक्रम के तहत भारत और भाजपा की जासूसी को लेकर ताजा रहस्योद्घाटन ने दोनों देशों के रिश्तों में नया विवाद खड़ा कर दिया है। अमेरिकी मीडिया में व्हिसिल ब्लोअर एडवर्ड स्नोडेन के हवाले से इस बाबत आई रिपोर्ट पर तीखी प्रतिक्रिया में भारत ने कहा कि अगर भारतीय निजता कानूनों को तोड़ा गया है, तो यह बेहद परेशान करने वाला है। यह जानकारी उस समय उजागर हुई है, जब अमेरिका प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगवानी को आतुर दिख रहा है। पीएम भी सितंबर में अमेरिकी दौरे की तैयारी में हैं।

विदेश मंत्रालय प्रवक्ता ने कहा कि यह कतई स्वीकार नहीं किया जा सकता कि भारतीय संगठनों और नागरिकों की निजता को भंग किया जाए। अमेरिकी मीडिया में आई रिपोर्ट पर प्रतिक्रिया देते हुए प्रवक्ता ने कहा कि अगर ऐसे हुआ है, तो हम अमेरिका के साथ मामले को उठाएंगे। पहले भी इस संबंध में मिली सूचनाओं पर भारत ने अमेरिका सरकार के आगे अपनी चिंताएं जताई थीं। अमेरिका भारत में हालिया चुनाव के बाद सत्ता में आई नरेंद्र मोदी सरकार के साथ दूरियां पाटने की कोशिश में जुटा है। वर्ष 2005 में मोदी को वीजा देने से इन्कार करने के बाद अमेरिका बीते कुछ समय से संबंध सुधार के पुल बनाने का प्रयास कर रहा है। मोदी को चुनावी जीत के लिए बधाई देने वालों में अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा पहले विदेशी नेताओं में थे।

अमेरिकी जासूसी कार्यक्रम के पूर्व कांट्रेक्टर एडवर्ड स्नोडेन की ओर से दी जानकारी को आधार बनाते हुए दावा किया गया है कि 2010 में ही भारत और भाजपा की जासूसी का ठेका एनएसए को दिया गया था। अमेरिकी अखबार वॉशिंगटन पोस्ट के मुताबिक फॉरेन इंटेलीजेंस सर्विलांस कोर्ट ने जिन छह विदेशी राजनीति दलों की जासूसी की मंजूरी दी थी, उनमें भाजपा भी है। इस तरह से नजर रखने के संबंध में हर साल अदालत से एक नए प्रमाणन के लिए एफआइएसए संशोधन अधिनियम की धारा-702 के तहत मंजूरी लेनी होती है।

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार चार देशों को छोड़कर कोई भी विदेशी सरकार एनएसए के दायरे से बाहर नहीं है। ये चार देश ब्रिटेन, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड हैं। नजर रखने के लिए प्रमाणन के संबंध में विश्व बैंक, अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष, यूरोपीय संघ और अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी समेत अन्य अंतरराष्ट्रीय संगठन शामिल हैं। समाचार पत्र के अनुसार जरूरी नहीं है कि एनएसए प्रमाणन में चिह्नित सभी देशों या संगठनों को निशाना बनाता हो। उसे ऐसा करने के लिए केवल अधिकृत किया गया है।

छह विदेशी राजनीतिक दलों पर रखी थी नजर

भाजपा के अलावा इस कतार में मिस्त्र के मुस्लिम ब्रदरहुड व इजिप्शियन नेशनल सॉल्वेशन फ्रंट, लेबनान की अमल पार्टी, बोलिवेरियन कंटिनेंटल को-ऑर्डिनेटर ऑफ वेनेजुएला और पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी शामिल हैं। एनएसए को भारत समेत 193 विदेशी सरकारों की जासूसी का अधिकार दिया गया है। अमेरिकी मीडिया ने सोमवार को इस संबंध में दस्तावेज सार्वजनिक करते हुए दावा किया कि राष्ट्रीय सुरक्षा एजेंसी (एनएसए) ने कई विदेशी सरकारों व राजनीतिक दलों पर नजर रखने के लिए कोर्ट से अनुमति मांगी थी।

आज भारत दौरे पर आ रहे हैं मैक्केन

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अमेरिका यात्रा से पहले कई अमेरिकी नेता भारत दौरे पर आ रहे हैं। इस क्रम में रिपब्लिकन सीनेटर जॉन मैक्केन बुधवार को नई दिल्ली पहुंच रहे हैं। अमेरिका के विदेश मंत्री जॉन केरी 31 जुलाई को भारत दौरे पर आएंगे। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने बताया कि मैक्केन विदेश मंत्री सुषमा स्वराज से मुलाकात करेंगे। मैक्केन सांसदों के उस समूह में है, जिसने मोदी को अमेरिकी संसद के संयुक्त सत्र को संबोधित करने के लिए आमंत्रित करने का सुझाव दिया है। माना जा रहा है कि मैक्केन और केरी मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा की द्विपक्षीय बैठक की जमीन तैयार करने के लिए भारत आ रहे हैं।

एनएसए की सफाई

भारत और विशेष तौर पर भाजपा पर नजर रखने के बारे में एक सवाल के जवाब में एनएसए की प्रवक्ता वेनी वाइन्स ने कहा कि राष्ट्रपति, नेशनल इंटेलीजेंस के निदेशक और राष्ट्रीय खुफिया प्राथमिकता ढांचे के तहत विभागों एवं एजेंसियों की ओर से तय विशिष्ट खुफिया जरूरतों के आधार पर एजेंसी विदेशी खुफिया सूचना एकत्र करता है।

गौरतलब है कि स्नोडेन ने मीडिया में हजारों गोपनीय दस्तावेज लीक किए थे, जिसमें कई एनएसए की ओर से संचालित थे। वाइन्स ने कहा कि एफआईएसए संशोधन अधिनियम की धारा 702 चुनिंदा खुफिया सूचना एकत्र करने को मंजूरी देता है।

उन्होंने कहा कि धारा 702 के तहत विदेशी खुफिया निगरानी अदालत सालाना तौर पर राष्ट्रीय खुफिया एवं अटॉर्नी जनरल के विषय आधारित प्रमाणन की समीक्षा करता है और ऐसे गैर अमेरिकी व्यक्ति को निशाना बनाने के लिए अमेरिकी सरकार को प्रक्रिया चलाने की अनुमति देता है जो देश से बाहर स्थित हो, अगर ऐसे लक्ष्य से प्रमाणन के संबंध में विदेशी खुफिया सूचना मिलने की संभावना हो।

वाइन्स ने कहा कि जनवरी 2014 में अमेरिकी राष्ट्रपति ओबामा ने राष्ट्रपति नीति निर्देश 28 जारी किया था, जिसमें अमेरिकी खुफिया गतिविधियों के बारे में अतिरिक्त नीतिगत दिशा प्रदान की गई थी। उन्होंने कहा कि संक्षेप में अमेरिकी निर्देशित खुफिया गतिविधियों के लिए एक विशिष्ट खुफिया जरूरत, नीतिगत मंजूरी और कानूनी रूप से मंजूरी की जरूरत होती है जो धारा 702 के अनुरूप भी हो।

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