नई दवाओं की तलाश में अंतरिक्ष में भेजी जाएगी फंगस
नई दवाओं की तलाश में पहली बार फंगस (फफूंदी) को अंतरिक्ष में भेजा जाएगा। इसकी सहायता से ऐसी दवा बनाई जा सकेगी जो पृथ्वी के अलावा अंतरिक्ष में भी कारगर होगी।
वाशिंगटन : नई दवाओं की तलाश में पहली बार फंगस (फफूंदी) को अंतरिक्ष में भेजा जाएगा। इसकी सहायता से ऐसी दवा बनाई जा सकेगी जो पृथ्वी के अलावा अंतरिक्ष में भी कारगर होगी।
फंगस को 8 अप्रैल को स्पेस एक्स सीआरएस-8 के जरिये अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (आइएसएस) में भेजा जाएगा। इससे कैंसर रोधी दवा भी बनाई जा सकेगी। यूनिवर्सिटी ऑफ सदर्न कैलिफोर्निया (यूएससी) और नासा की जेट प्रोपल्सन लेबोरेट्री इस पर काम कर रहे हैं।
यूएसी के प्रोफेसर क्ले वैंग ने बताया कि अइएसएस के अत्यधिक तनाव वाले वातावरण में फंगस में महत्वपूर्ण शारीरिक (जैसे जीन में) और मेटाबोलिज्म परिवर्तन हो सकते हैं। उन्होंने कहा, 'अंतरिक्ष में उच्च विकिरण और गुरुत्वाकर्षण बल की कमी के कारण एस्पर्जिलस निडुलैंड्स (एक प्रकार का फंगस) विशेष मोलेक्युल उत्पन्न कर सकता है। पृथ्वी के वातावरण में यह संभव नहीं है।
इसके मोलेक्युल से 40 तरह की दवाएं तैयार की जा सकती हैं। यह ऑस्टियोपोरोसिस (हड्डी का क्षय) में कारगर दवाई के निर्माण के लिए जाना जाता है। अंतरिक्ष यात्रियों के लिए यह बहुत महत्वपूर्ण है। क्योंकि अंतरिक्ष में हड्डियों का क्षय होता है।'
शोधकर्ताओं की टीम में भारतीय मूल की कस्तूरी वेंकेटेश्वरन शामिल हैं। इसकी मदद से अल्जाइमर और फंगल रोधी दवाएं भी विकसित की जा सकती हैं। एस्पर्जिलस निडुलैंड्स को चार डिग्री सेल्सियस तापमान पर स्टोर किया जाएगा। आइएसएस में पहुंचने पर उसे 37 डिग्री सेल्सियस पर रखा जाएगा, ताकि उसका सही तरीके से विकास हो सके। इसे मई में वापस पृथ्वी पर लाया जाएगा।