भारत और यूरोपीय संघ नहीं निकाल पाए एफटीए की राह
भारत और यूरोपीय संघ मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) की अटकी वार्ताओं को दोबारा शुरू करने की राह निकालने में नाकाम रहे हैं। कई तरह की बाधाओं ने इन वार्ताओं पर ब्रेक लगा रखा है।
By Rajesh KumarEdited By: Updated: Thu, 31 Mar 2016 10:45 PM (IST)
ब्रसेल्स: भारत और यूरोपीय संघ मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) की अटकी वार्ताओं को दोबारा शुरू करने की राह निकालने में नाकाम रहे हैं। कई तरह की बाधाओं ने इन वार्ताओं पर ब्रेक लगा रखा है। वैसे भी ईयू के साथ एफटीए पर बातचीत करते-करते नौ साल निकल गए, लेकिन इस पर बात नहीं बन पाई है। भारत-यूरोपीय संघ की शिखर बैठक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मौजूदगी में हुई। चार साल बाद हुई इस शिखर बैठक में बातचीत शुरू करने को लेकर स्थिति कुछ साफ हुई है।
उम्मीद की जा रही थी कि शिखर बैठक में भारत और 28 सदस्यों वाले यूरोपीय संघ के बीच एफटीए को लेकर वार्ता शुरू करने का एलान किया जाएगा। मगर ऐसा हो नहीं सका। इसके बावजूद दोनों पक्षों के भारत और ईयू के बीच व्यापक व्यापार एवं निवेश समझौते को लेकर बातचीत शुरू करने का नेताओं ने स्वागत किया। मोदी ने इस दौरान यूरोपीय संसद के अध्यक्ष मार्टिन शुल्ज को भारत दौरे के लिए आमंत्रित किया।ये भी पढ़ें- ब्रसेल्सः 'आतंकवाद सिर्फ एक राष्ट्र के लिए नहीं, पूरे मानवता के लिए चुनौती'यह होगा एफटीए से फायदा
एफटीए लागू होने से वस्तुओं पर शुल्क काफी हद तक खत्म हो जाएगा। सेवाओं में व्यापार को सुविधा मिलेगी। दोनों पक्षों के बीच निवेश बढ़ेगा। वर्ष 2014-15 के दौरान भारत और यूरोपीय संघ के बीच 98.5 अरब डॉलर का द्विपक्षीय व्यापार हुआ था।क्यों बिगड़ी समझौते पर बात
ईयू से बात बिगड़ने की कई वजहों में 700 जेनरिक दवाओं पर रोक लगाना भी है। इनका परीक्षण हैदराबाद में हो चुका था। उससे पहले फ्रेंच मेडिसिन एजेंसी (एएनएसएम) ने क्लिनिकल ट्रायल पर सवाल उठाकर भारतीय दवा निर्यात को बाधित करने की कोशिश की थी। यूरोपीय ब्रांड की शराब बिक्री भी एक बड़ा मुद्दा था। ईयू की व्यापार लॉबी चाहती है कि भारत कर में अधिकतम छूट दे, ताकि भारतीय उपभोक्ता यूरोपीय शराब ज्यादा से ज्यादा खरीद सके। ईयू यूरोपीय चीज, ऑटोमोबाइल, लीगल सर्विसेज पर भी ऐसी ही छूट चाहता है। यूरोपीय संघ ने अल्फांसो आम पर लगाया प्रतिबंध बीते साल जनवरी में हटाया, लेकिन अधिक उर्वरक इस्तेमाल के बहाने भारतीय सब्जियों पर रोक का विवाद बना हुआ है। ईयू भारत से प्रशिक्षित तकनीकी पेशेवरों को अपने यहां काम करने पर भी कठोर शर्ते लगाता रहा है।