वियतनाम दौरे में बोले PM मोदी, क्षेत्रीय चुनौतियों का मिलकर करेंगे सामना
वियतनाम पहुंचे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि क्षेत्रीय चुनौतियों का सामना करने के लिए दोनों देश आपस में मिलकर काम करेंगे।
हनोई (जेएनएन)। पीएम के वियतनाम दौरे में दोनों देशों के बीच 12 अहम समझौतों पर हस्ताक्षर हुए। दोनों देशों ने रक्षा, आईटी, अंतरिक्ष, स्वास्थ्य और आईटी सेक्टर में सहयोग करने पर बल दिया। मोदी और वियतनाम के पीएम नगुएन जुआन फुक की मौजूदगी में दोनों देशों के ऑफिशियल्स ने एग्रीमेंट्स पर साइन किए। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता विकास स्वरूप ने ट्वीट कर कहा, "एक-दूसरे के साथ के 12 समझौते! भारत और वियतनाम ने स्ट्रैटजिक पार्टनरशिप के तहत एक दर्जन समझौते किए।" वियतनाम ने एयर और डिफेंस प्रोडक्शन में खासी रूचि दिखाई।
इन मुद्दों पर भी समझौते
भारत की एलएंडटी कंपनी वियतनामी कोस्ट गार्ड्स के लिए हाईस्पीड पेट्रोलिंग बोट्स बनाएगी। भारत और वियतनाम नेवी एक-दूसरे से शिपिंग इन्फॉर्मेशन भी साझा करेंगी। दोनों देशों के बीच हेल्थ, साइबर सिक्युरिटी, कॉन्ट्रैक्ट एंड डिजाइन, इक्विपमेंट सप्लाई और टेक्नोलॉजी ट्रांसफर को लेकर भी समझौते हुए। दोनों देशों ने ये भी तय किया 2017 में 'द इयर ऑफ फ्रेंडशिप' भी मनाया जाएगा।
पीएम के वियतनाम दौरे से द्विपक्षीय संबंधों में होगी वृद्धिरक्षा प्रणाली मजबूत करने के लिए वियतनाम को मदद
वियतनाम की रक्षा प्रणाली को मजबूत करने के लिए भारत 500 मिलियन डॉलर की मदद देगा। भारत ने कहा कि वियतनाम की सुरक्षा क्षेत्रीय स्तर पर बेहद जरूरी है। वियतनाम की चिंता को भारत अच्छी तरह से समझता है। चीन का नाम लिए बगैर भारत ने कहा कि क्षेत्रीय चुनौतियों को सामना करने के लिए वियतनाम को भारत हरसंभव मदद देता रहेगा।
आपसी व्यापार बढ़ाने पर सहमति
दोनों देशों के बीच आपसी मौजूदा निवेश को बढा़ए जाने पर बल दिया गया, साथ ही द्विपक्षीय व्यापार 2020 तक 15 बिलियन डॉलर तक ले जाने पर भी सहमति बनी। इसके अलावा वियतनाम में सॉफ्टवेयर पार्क विकसित करने के लिए भारत 5 मिलियन डॉलर की मदद करेगा।भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता विकास स्वरूप ने कहा कि भारत और वियतनाम इन समझौते से आपसी रिश्तों को एक नई ऊंचाई पर लेे जाएंगे।
भारत-वियतनाम मे जारी किया साझा बयान
समझौतों पर हस्ताक्षर के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और वियतनाम के प्रधानमंत्री ने साझा बयान जारी किया। पीएम मोदी ने कहा कि दोनों देश क्षेत्रीय चुनौतियों का मिलकर सामना करेंगे। वियतनाम के साथ द्विपक्षीय और बहुपक्षीय विषयों पर विस्तार से चर्चा हुई।
मोदी ने वियतनाम की आर्थिक विकास दर की तारीफ करते हुए कहा कि वियतनाम में तेजी से विकास हो रहा है। क्षेत्रीय चुनौतियों का सामना करने के लिए दोनों देश आपस में मिलकर काम करेंगे। दोनों देशों ने आर्थिक संभावनाओं को धरातल पर उतारने के लिए मिलकर काम करने का फैसला किया है।
बता दें, पिछले पंद्रह सालों में किसी भारतीय प्रधानमंत्री का यह पहला वियतनाम दौरा है। पीएम मोदी आज शाम को चीन के लिए रवाना हो जाएंगे। पीएम मोदी वहां जी-20 देशों की बैठक में हिस्सा लेंगे।
वियतनाम दौरे का क्या है मतलब ?
वियतनाम और चीन के बीच तीन बार युद्ध हो चुका है। दक्षिण चीन सागर में भारत वियतनाम के साथ ऑयल की खोज कर रहा है। लेकिन चीन को इस खोज पर ऐतराज है। हेग स्थित इंटरनेशनल ट्रिब्यूनल ने दक्षिण चीन सागर पर चीन के दावे को खारिज कर दिया था। चीन भी इस फैसले को यह कहते हुए खारिज कर चुका है कि उसके लिए यह सिर्फ कागज का टुकड़ा है। हमारा 50 फीसदी समुद्री कारोबार इसी रास्ते से होता है।
पीएम के दौरे का कूटनीतिक मतलब
भारत की तरह वियतनाम भी चीन के साथ सीमा विवाद को लेकर परेशानियां झेलता रहा है। चीन पाकिस्तान का समर्थन कर भारत के लिए मुश्किलें खड़ी कर रहा है। इस हालात में वियतनाम के साथ दोतरफा रिश्तों को मजबूत करना भारत की खास पहल मानी जाएगी। जिस तरह पीओके को लेकर चीन पाकिस्तान का साथ देता रहता है,भारत भी उसी तर्ज पर जवाब देने के लिए वियतनाम से रिश्ते मजबूत कर रहा है।भारत रक्षा समझौतों के जरिए वियतनाम की रक्षा पंक्ति को मजबूत करेगा। यह ठीक उसी तरह का होगा, जैसे चीन हमेशा पाकिस्तान की मदद करता रहा है।
शहीदों को दी श्रद्धांजलि
पीएम मोदी ने वियतनाम युद्ध के शहीदों को श्रद्धांजलि भी दी। उन्होंने शहीदों के स्मारक पर पुष्प अर्जित किए।
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चीन से पहले वियतनाम की इस यात्रा को काफी अहम माना जा रहा है। अपनी यात्रा से पहले पीएम मोदी ने कहा था कि आज भारत वियतनाम से रिश्तों को प्राथमिकता देता है। चीन के लिए ये कूटनीतिक इशारा है, जो दक्षिण सागर में लगातार मनमानी कर रहा है।
गौरतलब हैै कि वियतनाम और चीन के बीच दक्षिण चीन सागर को लेकर तनातनी चल रही है। 35 लाख वर्गमीटर के इलाके में फैले दक्षिण चीन सागर के नब्बे फीसदी इलाके को नौ डॉट के जरिए घेरकर चीन अपना कब्जा जताता है जहां उसकी फिलीपींस, वियतनाम, ब्रुनेई, मलेशिया और ताइवान से तनातनी है। भारत के समुद्री कारोबार का आधा से ज्यादा हिस्सा इसी रास्ते से होता है।
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