भारत दक्षिण चीन सागर पर किसी के समर्थन या विरोध में नहीं
भारत ने चीन के उस दावे को खारिज किया है कि जिसमें चीन द्वारा कहा जा रहा था कि मध्यस्थता न्यायाधिकरण को दक्षिण चीन सागर में क्षेत्रीय विवादों के निपटारे का अधिकार नहीं है।
नई दिल्ली, प्रेट्र। भारत ने चीन के इस दावे को गलत बताया है कि मध्यस्थता न्यायाधिकरण को दक्षिण चीन सागर (एससीएस) में क्षेत्रीय विवादों के निपटारे का अधिकार नहीं है। भारत ने कहा कि कोर्ट के अधिकार और उसके फैसले को संयुक्त राष्ट्र समुद्री कानून सम्मेलन (यूएनसीएलओएस) के प्रावधानों के तहत मान्यता मिली है।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता विकास स्वरूप ने यह भी कहा कि दक्षिण चीन सागर के मामले में भारत किसी खास देश के समर्थन या विरोध में नहीं है। यह राजनीतिक नहीं, पूरी तरह कानूनी मामला है। उनसे पूछा गया था कि भारत अंतरराष्ट्रीय न्यायालय के फैसले को लेकर चीन के चीन साथ है या खिलाफ। उन्होंने कहा कि यह मामला किसी के साथ या खिलाफ होने का नहीं है। यूएनसीएलओएस का सदस्य देश होने के नाते भारत की स्थिति स्पष्ट है। हमारा मानना है कि सभी सदस्य देशों को यूएनसीएलओएस का पूरा सम्मान करना चाहिए जिसने सागर और महासागर पर अंतरराष्ट्रीय कानून तय किए हैं।
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शांतिपूर्ण हल चाहते हैं भारत और जापान
भारत और जापान ने दक्षिण चीन सागर विवाद से जुड़े सभी पक्षों से शांतिपूर्ण तरीके से विवाद का हल करने को कहा है। उन्होंने अंतरराष्ट्रीय न्यायालय के फैसले का सम्मान करने और धमकी या बल प्रयोग न करने की सलाह दी है। रक्षा मंत्री मनोहर पर्रीकर और जापान के रक्षा मंत्री जनरल नाकातानी ने मुलाकात के बाद ये बातें कहीं।
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