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अल्पसंख्यकों को न्याय दिलाने में संघर्ष करता है भारत

धर्मनिरपेक्ष लोकतंत्र की छवि के बावजूद भारत को अल्पसंख्यक समुदाय की रक्षा या उन्हें न्याय दिलाने के लिए उस समय संघर्ष करना पड़ता है जब राजनीतिक इच्छाशक्ति की कमी, राजनीतिक भ्रष्टाचार और सरकारी अधिकारियों के धार्मिक पूर्वाग्रहों के कारण उन पर अत्याचार होते हैं। धार्मिक स्वतंत्रता पर अमेरिकी संसद के स्वतंत्र आयोग ने यह बात कही है। इसी आयोग ने पिछले साल गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी पर वीजा प्रतिबंध जारी रखने की सिफारिश की थी।

By Edited By: Updated: Thu, 01 May 2014 05:23 PM (IST)
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वाशिंगटन। धर्मनिरपेक्ष लोकतंत्र की छवि के बावजूद भारत को अल्पसंख्यक समुदाय की रक्षा या उन्हें न्याय दिलाने के लिए उस समय संघर्ष करना पड़ता है जब राजनीतिक इच्छाशक्ति की कमी, राजनीतिक भ्रष्टाचार और सरकारी अधिकारियों के धार्मिक पूर्वाग्रहों के कारण उन पर अत्याचार होते हैं। धार्मिक स्वतंत्रता पर अमेरिकी संसद के स्वतंत्र आयोग ने यह बात कही है। इसी आयोग ने पिछले साल गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी पर वीजा प्रतिबंध जारी रखने की सिफारिश की थी।

अपनी नवीनतम वार्षिक रिपोर्ट में अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता के लिए अमेरिकी आयोग [यूएससीआइआरएफ]ने अफसोस जताया है कि अमेरिका ने धार्मिक स्वतंत्रता के उल्लंघन में शामिल विदेशी व्यक्तियों पर अपना वीजा प्रतिबंध कानून सिर्फ एक बार मोदी पर लागू किया। आयोग ने विदेश विभाग से इस प्रकार के वीजा प्रतिबंध का विस्तार करने का आग्रह किया है। साथ ही कहा कि अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता अधिनियम [आइआरएफए] धार्मिक स्वतंत्रता के उल्लंघन के लिए जिम्मेदार लोगों पर अमेरिका में प्रवेश पर प्रतिबंध लगाता है। इस प्रावधान का इस्तेमाल सिर्फ एक बार मार्च, 2005 में मोदी के खिलाफ किया गया था। गौरतलब है कि मोदी को 2002 के गुजरात दंगों में कथित भूमिका के कारण अमेरिका ने वीजा देने से इन्कार कर दिया था। रिपोर्ट में कहा गया है कि आयोग लगातार विदेश मंत्रालय और होमलैंड सिक्योरिटी से आग्रह कर रहा है कि जिन लोगों को इस आधार पर अमेरिका में प्रवेश की अनुमति नहीं है उसकी सूची बनाए। आयोग ने ऐसे कई लोगों के बारे में विदेश मंत्रालय को सूचना मुहैया कराई है। यह आयोग विदेश में धार्मिक स्वतंत्रता के हनन से संबंधित मामलों की निगरानी करता है।

दो सौ से ज्यादा पन्ने वाली रिपोर्ट में आयोग ने कहा है कि यूएससीआइआरएफ को सिर्फ मोदी के खिलाफ वीजा प्रतिबंध के बारे में जानकारी है। आयोग इस फैसले का समर्थन करता है, लेकिन संभव है कि पिछले 15 वर्षो के दौरान धार्मिक स्वतंत्रता का उल्लंघन करने वालों ने वीजा के लिए आवेदन किया हो। यूएससीआइआरएफ ने सिफारिश की है कि अमेरिका भारत से पुलिस और न्यायपालिका के लोगों को मानवाधिकार और धार्मिक स्वतंत्रता के मानकों पर प्रशिक्षण दें खास तौर पर उन राज्यों और क्षेत्रों में जहां सांप्रदायिक हिंसा का इतिहास या आशंका है।

पाकिस्तान के खिलाफ कार्रवाई चाहता है अमेरिकी आयोग

वाशिंगटन। धार्मिक स्वतंत्रता को लेकर गठित अमेरिकी आयोग ने ओबामा प्रशासन से पाकिस्तान का नाम धार्मिक स्वतंत्रता का उल्लंघन करने वाले देशों की सूची में शामिल करने का आग्रह किया है।

यूएससीआइआरएफ ने विदेश विभाग से आठ अन्य देशों का नाम विशेष चिंता वाले देशों की सूची में शामिल करने की सिफारिश की है, जिन्हें कानून के तहत उन देशों के रूप में चिन्हित किया जाता है जहां पर विशेष तौर पर धार्मिक स्वतंत्रता के गंभीर उल्लंघन होते हैं। इन आठ देशों में मिस्र, इराक, नाइजीरिया, पाकिस्तान, सीरिया, तजाकिस्तान, तुर्कमेनिस्तान और वियतनाम शामिल हैं। साथ ही बर्मा [अब म्यांमार], चीन, एरीट्रिया, ईरान, उत्तर कोरिया, सऊदी अरब, सूडान और उजबेकिस्तान को दोबारा इस सूची में शामिल करने की सिफारिश की है।

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