अल्पसंख्यकों को न्याय दिलाने में संघर्ष करता है भारत
धर्मनिरपेक्ष लोकतंत्र की छवि के बावजूद भारत को अल्पसंख्यक समुदाय की रक्षा या उन्हें न्याय दिलाने के लिए उस समय संघर्ष करना पड़ता है जब राजनीतिक इच्छाशक्ति की कमी, राजनीतिक भ्रष्टाचार और सरकारी अधिकारियों के धार्मिक पूर्वाग्रहों के कारण उन पर अत्याचार होते हैं। धार्मिक स्वतंत्रता पर अमेरिकी संसद के स्वतंत्र आयोग ने यह बात कही है। इसी आयोग ने पिछले साल गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी पर वीजा प्रतिबंध जारी रखने की सिफारिश की थी।
वाशिंगटन। धर्मनिरपेक्ष लोकतंत्र की छवि के बावजूद भारत को अल्पसंख्यक समुदाय की रक्षा या उन्हें न्याय दिलाने के लिए उस समय संघर्ष करना पड़ता है जब राजनीतिक इच्छाशक्ति की कमी, राजनीतिक भ्रष्टाचार और सरकारी अधिकारियों के धार्मिक पूर्वाग्रहों के कारण उन पर अत्याचार होते हैं। धार्मिक स्वतंत्रता पर अमेरिकी संसद के स्वतंत्र आयोग ने यह बात कही है। इसी आयोग ने पिछले साल गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी पर वीजा प्रतिबंध जारी रखने की सिफारिश की थी।
अपनी नवीनतम वार्षिक रिपोर्ट में अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता के लिए अमेरिकी आयोग [यूएससीआइआरएफ]ने अफसोस जताया है कि अमेरिका ने धार्मिक स्वतंत्रता के उल्लंघन में शामिल विदेशी व्यक्तियों पर अपना वीजा प्रतिबंध कानून सिर्फ एक बार मोदी पर लागू किया। आयोग ने विदेश विभाग से इस प्रकार के वीजा प्रतिबंध का विस्तार करने का आग्रह किया है। साथ ही कहा कि अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता अधिनियम [आइआरएफए] धार्मिक स्वतंत्रता के उल्लंघन के लिए जिम्मेदार लोगों पर अमेरिका में प्रवेश पर प्रतिबंध लगाता है। इस प्रावधान का इस्तेमाल सिर्फ एक बार मार्च, 2005 में मोदी के खिलाफ किया गया था। गौरतलब है कि मोदी को 2002 के गुजरात दंगों में कथित भूमिका के कारण अमेरिका ने वीजा देने से इन्कार कर दिया था। रिपोर्ट में कहा गया है कि आयोग लगातार विदेश मंत्रालय और होमलैंड सिक्योरिटी से आग्रह कर रहा है कि जिन लोगों को इस आधार पर अमेरिका में प्रवेश की अनुमति नहीं है उसकी सूची बनाए। आयोग ने ऐसे कई लोगों के बारे में विदेश मंत्रालय को सूचना मुहैया कराई है। यह आयोग विदेश में धार्मिक स्वतंत्रता के हनन से संबंधित मामलों की निगरानी करता है।