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इंदिरा ने ब्रिटेन को लिट्टे के खिलाफ श्रीलंका को मदद से रोका था

तत्कालीन भारतीय प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ब्रिटिश सेना द्वारा श्रीलंकाई सैनिकों को प्रशिक्षण देने के खिलाफ थीं। यही वजह थी कि इंदिरा ने अपनी ब्रिटिश समकक्ष मार्गरेट थैचर से यह गुजारिश की थी कि श्रीलंका सेना को ब्रिटेन प्रशिक्षण देना बंद कर दे। थैचर को लिखे पत्र में इंदिरा गांधी ने कहा था कि यदि ब्रिटेन को श्रीलंका की मदद करनी है तो वह राष्ट्रपति जेआर जयव‌र्द्धने से अपील करें कि वे सभी राजनीतिक दलों को साथ लेकर लिट्टे की समस्या का हल निकालें। दरअसल, भारत को संदेह थ

By Edited By: Published: Thu, 23 Jan 2014 10:38 AM (IST)Updated: Thu, 23 Jan 2014 12:31 PM (IST)

लंदन। तत्कालीन भारतीय प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ब्रिटिश सेना द्वारा श्रीलंकाई सैनिकों को प्रशिक्षण देने के खिलाफ थीं। यही वजह थी कि इंदिरा ने अपनी ब्रिटिश समकक्ष मार्गरेट थैचर से यह गुजारिश की थी कि श्रीलंका सेना को ब्रिटेन प्रशिक्षण देना बंद कर दे। थैचर को लिखे पत्र में इंदिरा गांधी ने कहा था कि यदि ब्रिटेन को श्रीलंका की मदद करनी है तो वह राष्ट्रपति जेआर जयव‌र्द्धने से अपील करें कि वे सभी राजनीतिक दलों को साथ लेकर लिट्टे की समस्या का हल निकालें। दरअसल, भारत को संदेह था कि ब्रिटिश वायुसेना का विशेष दस्ता एसएएस श्रीलंकाई सेना को गुरिल्ला युद्ध का प्रशिक्षण दे रहा है।

दोनों पूर्व प्रधानमंत्रियों के बीच हुई इस बातचीत को हाल ही में सार्वजनिक किया गया है। पिछले दिनों ऑपरेशन ब्लूस्टार से जुड़े दस्तावेजों के सामने आने के बाद काफी बवाल हुआ था। इसके बाद ब्रिटिश पीएम डेविड कैमरन ने कैबिनेट सचिव जेरेमी हेवुड को जांच के निर्देश दिए थे। अब श्रीलंका के संबंध में हुआ यह खुलासा की कैमरन सरकार के लिए दिक्कत खड़ी कर सकता है।

दस्तावेज के अनुसार, इंदिरा ने थैचर से कहा था कि आप अपने प्रभाव का इस्तेमाल राष्ट्रपति जयव‌र्द्धने को राजनीतिक हल के लिए तैयार करने में करें। सैन्य मदद से श्रीलंका की समस्या हल नहीं की जा सकती। नेशनल आर्काइव ने 30 साल का नियम खत्म हो जाने के बाद जारी किए एक अन्य दस्तावेज के अनुसार, थैचर ने एसएएस अधिकारियों को निर्देश दिया था कि वे लिट्टे के खिलाफ लड़ने के लिए श्रीलंका सेना को तैयार करें।

दस्तावेज में लिखा है कि सितंबर, 1984 में ब्रिटिश विदेश मंत्री ज्योफ्री हॉव के निजी सचिव पीटर रिकेट्स ने थैचर के सचिव डेविड बार्कले से अनुरोध किया था कि एसएएस से जुड़ी एक कंपनी को श्रीलंका में काम करने की अनुमति दी जाए।

श्रीलंका में उस समय लिट्टे का उत्तरी प्रांत में जबरदस्त प्रभाव था। सरकार का नामोनिशान पूरे प्रांत में नहीं दिखाई देता था। जयव‌र्द्धने लिट्टे के खिलाफ लड़ने में कमजोर साबित पड़ रहे थे। रिकेट्स ने लिखा कि इस कंपनी में एसएएस में काम कर चुके लोग भी शामिल होंगे, जो श्रीलंका को आतंकियों से लड़ने की तकनीक सिखाए। एसएएस अधिकारियों की श्रीलंका में मौजूदगी से तनाव भड़क गया था। भारत सरकार ने भी ब्रिटिश सेना की मौजूदगी पर चिंता जताई थी। इस पर ब्रिटेन ने कहा था कि यह उस कंपनी और श्रीलंका सरकार के बीच का वाणिज्यिक मामला है। इसमें ब्रिटेन सरकार की उपस्थिति नहीं है। एसएएस अधिकारियों वाली कंपनी को श्रीलंका में इजाजत मिल गई थी।

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