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ईरान ने अपने परमाणु वैज्ञानिक को दी फांसी, गोपनीय सूचनाएं US को देने का था आरोप

ईरान ने अपने परमाणु वैज्ञानिक शहराम अमीरी को फांसी दे दी। उनके ऊपर गुप्‍त सूचनाएं अमेरिका काेे पहुंचाने का आराेेप था।

By Kamal VermaEdited By: Updated: Mon, 08 Aug 2016 03:56 AM (IST)

तेहरान (रॉयटर)। ईरान में परमाणु वैज्ञानिक शहराम अमीरी को गुपचुप तरीके से फांसी दे दी गई। वह 2009 में गुपचुप तरीके से देश छोड़कर अमेरिका चले गए थे। करीब एक वर्ष बाद वह उसी गुपचुप तरीके से वापस भी लौट आए थे। र्इरानी अधिकारियों के मुताबिक पहली बार उन्होंने गुपचुप तरीके से उस व्यक्ति को हिरासत में रखा, उस पर मुकदमा चलाया और सजा दी।

ईरानी न्यायपालिका के प्रवक्ता घोलमहुसैन मोहसेनी एजेही ने पत्रकारों को बताया कि अमीरी को जासूसी के आरोप में दोषी ठहराया गया क्योंकि उसने देश की महत्वपूर्ण सूचना दुश्मन को मुहैया कराई थी। उन्होंने अमेरिका का जिक्र करते हुए कहा कि अमीरी की गोपनीय सूचना तक पहुंच थी और वह हमारे नंबर एक के दुश्मन के संपर्क में थे। उनके मुताबिक अमीरी को अपने किए पर कोई पछतावा नहीं था। इतना ही नहीं वह जेल के भीतर से भी कुछ सूचनाएं लीक करने की कोशिश कर रहा था।

वर्ष 1977 में जन्मे अमीरी के ईरान लौटने के बाद से ही उसके बारे में बहुत कम खबरें मिल पा रही थीं। उसके पिता असगर अमीरी ने मीडिया को बताया कि उनके बेटे को स्वदेश लौटने के बाद से ही खुफिया जगह रखा गया था। ईरान ने मंगलवार को घोषणा की थी कि उसने कई अपराधियों को फांसी दी है। इसके बाद अमीरी को फांसी देने की खबर प्रसारित की गई। अमीरी की मौत की पुष्टि करते हुए उनकी मां ने कहा कि उसके बेटे के गरदन पर रस्सी के निशान थे जिससे लगता है कि उसे फांसी दी गई।

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अमेरिकी अधिकारियों के मुताबिक अमीरी को ईरान के परमाणु कार्यक्रम के बारे में सूचना देने के लिए 50 लाख अमेरिकी डॉलर दिए गए थे लेकिन वह बिना पैसे लिए ही यहां से चले गए थे। अधिकारियों के मुताबिक अमीरी अमेरिका में अपनी मर्जी से कई महीनों तक रहे। शहराम अमीरी 2009 में सउदी अरब में मुस्लिम धर्मस्थलों के तीर्थाटन के दौरान गायब हो गए थे। वह एक साल बाद ऑनलाइन विडियो में दिखे जिसे अमेरिका में फिल्माया गया था।

वह वॉशिंगटन में पाकिस्तान दूतावास में ईरान संबधों को देखने वाले विभाग में पहुंचे और फिर स्वदेश भेजे जाने की मांग की। तेहरान लौटने पर उनका नायक की तरह स्वागत हुआ। अपने साक्षात्कारों में अमीरी ने अपनी इच्छा के विरुद्ध सउदी और अमेरिकी जासूसों द्वारा उन्हें रखे जाने का आरोप लगाया जबकि अमेरिकी अधिकारियों ने कहा था कि ईरान के विवादास्पद परमाणु कार्यक्रम की जानकारी देने के लिए उन्हें लाखों डॉलर मिलने वाले थे।