पाकिस्तान को रास नहीं आया अमेरिका का अफगानिस्तान में भारत को तवज्जो देना
पाकिस्तान भारत को अफगानिस्तान में तवज्जो दिए जाने से इस कदर खफा हो गया है कि उसने अमेरिका से द्विपक्षीय वार्ता करने तक से किनारा कर दिया है।
नई दिल्ली (स्पेशल डेस्क)। अमेरिका की नई अफगान पॉलिसी के बाद से उसके और पाकिस्तान के संबंधों में काफी खटास आती दिखाई दे रही है। ये खटास अब इस कदर बढ़ गई है कि दोनों देशों के बीच बातचीत भी बंद हो गई है। यहां तक कि पाकिस्तान ने अमेरिका के कार्यवाहक सहायक विदेश मंत्री (दक्षिण व मध्य एशिया) एलिस वेल्स के पाकिस्तान दौरे को भी रद कर दिया। पाकिस्तान की इस खटास के पीछे सिर्फ अमेरिका की अफगान पॉलिसी ही नहीं है, बल्कि हकीकत यह है कि जिस तरह से अमेरिका पाकिस्तान को दरकिनार कर भारत को तरजीह दे रहा है वह बात पाकिस्तान के गले नहीं उतर रही है। ऐसा ही कुछ चीन के साथ भी हो रहा है। यह दोनों ही देश अमेरिका की उस अफगान पॉलिसी के खिलाफ हैं, जिसमें भारत को ज्यादा तवज्जो दी गई है।
17 वर्षों में 800 अरब डॉलर की मदद
अमेरिका की इस नई नीति में जहां पाकिस्तान को फटकार मिली है, वहीं अमेरिका ने अफगानिस्तान में भारत से मदद करने की मांग की है। भारत की ओर से ट्रंप की नई अफगान नीति का स्वागत किया गया है। गौरतलब है कि अमेरिका आतंकवाद के खात्मे के नाम पर पाकिस्तान को करोड़ों डॉलर की मदद देता आया है। पिछले 17 वर्षों में ही अमेरिका ने पाकिस्तान को करीब 800 अरब डॉलर की मदद दी है। इसके बाद भी आतंक पर लगाम लगाने का उसका मकसद अधूरा ही है।
ट्रंप की पाकिस्तान को दो-टूक
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कड़े शब्दों में कहा कि पाकिस्तान ने पूर्व में अमेरिकी मदद का भरपूर फायदा उठाया है, लेकिन अब उसे आतंकियों को पनाह देने की वजह से बहुत कुछ खोने को तैयार रहना होगा। यहां पर ध्यान देने वाली बात यह भी है कि राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने नई अफगान नीति की घोषणा करते हुए अफगानिस्तान में अमेरिकी सैनिकों की हत्या करने वाले अराजक तत्वों को पाकिस्तान द्वारा शरण दिए जाने पर लताड़ लगाई थी।
बलूच नेता ने किया है स्वागत
अमेरिका की नई अफगान नीति का बलूच नेताओं ने भी खुलकर स्वागत किया है। बलूचिस्तान के अहम नेता ब्रहमदाग बुग्ती का कहना है कि इस नई नीति से अमेरिका को सही-गलत दोस्त पहचानने में मदद मिलेगी। बुग्ती फिलहाल स्विटजरलैंड में निर्वासित जीवन व्यतीत कर रहे हैं। पाकिस्तान सरकार ने उनके ऊपर कई मामले लगा रखे हैं।
अमेरिका अफगान नीति का भारत ने किया स्वागत
भारत के विदेश मंत्रालय की ओर से नई अफगान नीति का स्वागत किया गया है। विदेश मंत्रालय ने कहा है कि भारत, आतंकवादियों को पनाहगाह और सीमा पार से अन्य प्रकार का सहयोग मुहैया कराए जाने के मुद्दों से निपटने के अमेरिकी राष्ट्रपति के संकल्प का स्वागत करता है।
भारत से की मदद की अपील
इसके साथ ही ट्रंप ने भारत से अफगानिस्तान में अमेरिका की मदद करने की भी अपील की। ट्रंप के मुताबिक अमेरिका, भारत के साथ एक रणनीतिक साझेदारी विकसित करेगा। इसके एवज में भारत को अमेरिका की अफगानिस्तान में मदद करनी होगी।
क्या है अमेरिका की अफगान पॉलिसी
जानकार मानते हैं कि युद्ध की त्रासदी झेल रहे अफगानिस्तान में भारत की भूमिका में विस्तार की इच्छुक अमेरिकी नीति नई दिल्ली के लिए एक ऐसा मौका है, जिससे वह यूएस के साथ मिलकर अफगानिस्तान को वह रूप दे सकता है, जैसा पड़ोसी वह अपने लिए चाहता है। दूसरी तरफ यह नीति पाकिस्तान को भी यह संकेत दे रही है कि अब उसकी भूमिका पहले की तरह मजबूत नहीं रह गई है।
भारत को अफगानिस्तान में नया अवसर
साउथ एशिया सेन्टर के निदेशक भारत गोपालस्वामी का कहना है कि अफगानिस्तान में भारत की विस्तृत भूमिका की अपील का मतलब है कि अमेरिका चाहता है कि नई दिल्ली युद्ध से जर्जर अपने पड़ोसी देश में और ज्यादा आर्थिक निवेश करे। गोपालस्वामी के मुताबिक नई रणनीति भारत को अमेरिका के साथ मिलकर काम करने और ऐसे अफगानिस्तान का निर्माण करने का भी अवसर देती है, जैसा कि वह चाहते हैं। अमेरिका चाहता है कि भारत, अफगानिस्तान में अपनी आर्थिक और विकास सहायता बढ़ाए। उन्होंने कहा कि ट्रंप ने भारत को अफगानिस्तान में वर्तमान के मुकाबले और बड़ी भूमिका निभाने की चुनौती दी है।
भारत को तवज्जो दिए जाने से खफा पाक
दरअसल पाकिस्तान अमेरिका के अफगानिस्तान में भारत से सहयोग मांगने को लेकर ज्यादा परेशान है। पाकिस्तान के विदेश मंत्री ख्वाजा मोहम्मद आसिफ का कहना है कि पाकिस्तान भारत की अफगानिस्तान में किसी प्रकार की सैन्य भूमिका नहीं देखता है। पाकिस्तान, भारत को कभी भी पाकिस्तान को अस्थिर करने के लिए अफगानिस्तान की धरती का इस्तेमाल नहीं करने देगा।
पाकिस्तान का बदला रुख
अमेरिका की नई नीति के संदर्भ में आगे की रणनीति तय करने को पाकिस्तान के राजनयिकों की पांच से सात सितंबर तक बैठक बुलाई गई है। वैसे पाक के नवनियुक्त प्रधानमंत्री शाहिद खाकान अब्बासी सितंबर के तीसरे सप्ताह में अमेरिका जाएंगे, जहां वह संयुक्त राष्ट्र महासभा की बैठक में भाग लेंगे। संभव है कि उनकी इस दौरान अमेरिकी अधिकारियों से बात हो। इससे पूर्व पाकिस्तान की अमेरिका से कोई बातचीत नहीं होगी।