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फिर विदेशों में युद्ध कर सकेगी जापान की सेना

जापान की सेना एक बार फिर से ताकतवर होकर उभरेगी। द्वितीय विश्व युद्ध में हार के बाद अमेरिकी दबाव में बने संविधान से इतर जाकर पहली बार सरकार ने सेना को विदेशों में युद्ध करने की अनुमति समेत व्यापक शक्तियां देने का फैसला ले लिया है। विश्व युद्ध के बाद जापान की सुरक्षा नीति में यह सबसे बड़ा बदलाव है। मंत्रिमंडल ने सैन्य माम

By Edited By: Updated: Wed, 02 Jul 2014 02:05 AM (IST)
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टोक्यो। जापान की सेना एक बार फिर से ताकतवर होकर उभरेगी। द्वितीय विश्व युद्ध में हार के बाद अमेरिकी दबाव में बने संविधान से इतर जाकर पहली बार सरकार ने सेना को विदेशों में युद्ध करने की अनुमति समेत व्यापक शक्तियां देने का फैसला ले लिया है।

विश्व युद्ध के बाद जापान की सुरक्षा नीति में यह सबसे बड़ा बदलाव है। मंत्रिमंडल ने सैन्य मामलों पर संविधान की फिर से व्याख्या की अनुमति दी। यह विवादास्पद कदम सेना को अन्य देशों का बचाव करने में मदद करने की अनुमति देगा। इसे सामूहिक आत्मरक्षा का नाम दिया गया है। जापान की पूर्ववर्ती सरकारें लगातार कहती रही थीं कि यह संविधान सुरक्षा बलों का इस्तेमाल केवल जापान पर हमले की स्थिति में करने की इजाजत देता है। प्रधानमंत्री शिंजो एबी ने टीवी पर देश को संबोधित करते हुए कहा कि इस बदलाव के जरिये हमें जापानी नागरिकों की सुरक्षा और उन्हें मदद मुहैया कराने का अधिकार मिल जाएगा। मिसाल के तौर पर उन्होंने कहा कि जापान उन अमेरिकी जहाजों की रक्षा करने में मदद कर सकेंगे, जो हमारी रक्षा के लिए लड़ रहे होंगे। इस निर्णय के खिलाफ एबी के कार्यालय के बाहर प्रदर्शन भी हुए हैं। विरोध करने वालों का कहना है कि इस तरह के बदलाव कैबिनेट के बजाय जनमत संग्रह के जरिये होने चाहिए। इस बदलाव के होने के बाद जापानी सेना को इराक और अफगानिस्तान पर हमले जैसी कार्रवाई करने की इजाजत मिल जाएगी। मगर, एबी ने कहा कि चीन की सेना ताकतवर हो रही है। उत्तर कोरिया लगातार परमाणु हमले की धमकियां देता रहता है। ऐसे में हम सेना को बांधकर नहीं रख सकते। चीन ने इस बदलाव पर कड़ा विरोध दर्ज कराया है।

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता होंग ली ने कहा कि चीन को खतरा बताकर जापान द्वारा इस तरह के कदम उठाना गलत है। इससे जापान के शांतिपूर्ण विकास की मुहिम पर शक होता है।

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