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NSG पर भारत को मिल सकता है न्यूजीलैंड का साथ, पाक के समर्थन में तुर्की

एनएसजी में भारत की सदस्यता का विरोध कर रहे न्यूजीलैंड के रूख में अमेरिकी राजनयिक दवाब के बाद नरमी के संकेत मिले है।

By kishor joshiEdited By: Updated: Thu, 16 Jun 2016 09:41 AM (IST)

नई दिल्ली। एनएसजी में सदस्यता पाने की कोशिश कर रहे भारत को न्यूजीलैंड का साथ मिल सकता है। अमेरिकी राजनयिक दबाव के बाद न्यूजीलैंड ने परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह में भारत के समर्थन के लिए अपने रूख में नरमी दिखायी है। टीओआई की खबर के अनुसार, न्यूजीलैंड चाहता है कि इस समूह के विस्तार के लिए केवल एक मानदंड आधारित प्रक्रिया हो और कोई भी देश एक समय के लिए अपवाद ना हो।

वहीं तुर्की लगातार पाकिस्तान का समर्थन कर रहा है। तुर्की की मांग है कि भारत और पाकिस्तान दोनों के आवेदनों पर समान रूप से विचार किया जाए। पाकिस्तानी प्रधानमंत्री के विदेश मामलों के सलाहकार सरताज अजीज ने इस मुद्दे पर तुर्की द्वारा दिए गये समर्थन के लिए उसे धन्यवाद दिया है।

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वियना में पिछले हफ्ते हुई परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह (एनएसजी) की बैठक में भारत की सदस्यता के लिए कोई फैसला नहीं लिया जा सका। पहले यह कहा जा रहा था कि तुर्की सहित न्यूजीलैंड, आस्ट्रिया, आयरलैंड और दक्षिण अफ्रीका एनएसजी में भारत की सदस्यता को लेकर इसलिए विरोध कर रहे हैं क्योंकि भारत ने परमाणु अप्रसार संधि (एनपीटी) पर हस्ताक्षर नहीं किए हैं।

राजनयिक दवाब के माध्यम से अमेरिकी विदेश मंत्री जॉन कैरी ने सभी एनएसजी देशों को पत्र लिखकर कहा था कि वे भारत की सदस्यता का विरोध ना करें और इसके बाद न्यूजीलैंड और आस्ट्रिया जैसे देशों के रूख में कुछ नरमी आई। बुधवार को सरताज अजीज ने एनएसजी में पाक की सदस्यता को लेकर तुर्की और आस्ट्रिया के विदेश मंत्रियों से बात की और तुर्की के समर्थन के लिए धन्यवाद दिया।

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इससे पहले अमेरिकी समर्थन से मिले बल के बीच एनएसजी की सदस्यता के भारत के दावे को ज्यादातर सदस्य देशों से सकारात्मक संकेत मिले थे, लेकिन चीन इसके विरोध पर अड़ा था। चीन, भारत की सदस्यता का विरोध करने वाले देशों की अगुआई कर रहा था। एनएसजी की अगली मीटिंग आगामी 20 जून को होना प्रस्तावित है। एनएसजी 48 देशों का समूह है जो परमाणु हथियार के प्रसार को रोकने के लिए परमाणु हथियार संबंधी वस्तुओं और तकनीकी के निर्यात पर नियंत्रण रखता है।