मच्छर पर नहीं, परजीवी पर निर्भर है मलेरिया
खून से होते हुए परजीवी लिवर में पहुंचते हैं, जहां आठ से 30 दिन के भीतर इनकी तादाद तेजी से बढ़ती है।
लंदन, प्रेट्र। मलेरिया के प्रसार को लेकर नई जानकारी सामने आई है। वैज्ञानिकों ने पाया है कि मलेरिया का प्रसार इस बात पर निर्भर नहीं करता कि मच्छर ने कितनी बार काटा बल्कि यह उस मच्छर में मौजूद परजीवियों की संख्या पर निर्भर करता है। इस शोध के आधार पर मलेरिया के टीके बनाने में मदद मिलने की उम्मीद है।
लंदन के इंपीरियल कॉलेज के शोधकर्ताओं ने इस शोध को अंजाम दिया है। शोध से इस बात का भी पता लगाना संभव होगा कि मलेरिया का एकमात्र रजिस्टर्ड टीका आरटीएस-एस परीक्षणों में आंशिक रूप से ही प्रभावी क्यों पाया गया? शोधकर्ताओं ने बताया कि मच्छर की लार से परजीवी मनुष्य के शरीर में प्रवेश करते हैं।
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खून से होते हुए परजीवी लिवर में पहुंचते हैं, जहां आठ से 30 दिन के भीतर इनकी तादाद तेजी से बढ़ती है। इसके बाद ये पूरे शरीर में फैल जाते हैं। अभी विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) से लेकर अन्य वैश्विक संस्थाएं मलेरिया के प्रसार का अनुमान मच्छरों के काटने की औसत संख्या के आधार पर लगाती रही हैं। इस अनुमान में मच्छर में मौजूद परजीवियों की संख्या को ध्यान में नहीं रखा जाता है। नए शोध से इस प्रक्रिया को बदलने की जरूरत सामने आई है।
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