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अमेरिकी जासूसी पर भड़कीं मर्केल बोलीं, खराब हो सकते हैं अमेरिका से रिश्ते

जर्मनी की चांसलर एंजेला मर्केल अमेरिका पर उनके देश की जासूसी को लेकर आई रिपोर्टो पर कड़ी नाराजगी जताई है। मर्केल ने कहा कि अगर ये सही हैं तो ये गंभीर बात है और इससे दोनों राष्ट्रों के बीच का भरोसा टूट जाएगा। जर्मन मीडिया ने खुलासा किया था कि देश की विदेशी खुफिया एजेंसी का एक 31 वर्षीय कर्मचारी अमेरिका

By Edited By: Updated: Tue, 08 Jul 2014 07:12 AM (IST)
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बीजिंग। जर्मनी की चांसलर एंजेला मर्केल अमेरिका पर उनके देश की जासूसी को लेकर आई रिपोर्टो पर कड़ी नाराजगी जताई है। मर्केल ने कहा कि अगर ये सही हैं तो ये गंभीर बात है और इससे दोनों राष्ट्रों के बीच का भरोसा टूट जाएगा।

जर्मन मीडिया ने खुलासा किया था कि देश की विदेशी खुफिया एजेंसी का एक 31 वर्षीय कर्मचारी अमेरिका के लिए काम कर रहा था। उसने 2012 से 14 के बीच करीब 218 दस्तावेज अमेरिका को सौंपे। इनमें स्नोडेन के खुलासों का जांच कर रही समिति के बारे में जानकारियां भी शामिल हैं।

बीजिंग पहुंची मर्केल ने चीनी प्रधानमंत्री ली कछ्यांग के साथ संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि यदि मीडिया रिपोर्टे सच हैं तो यह गंभीर मामला है। जर्मनी और अमेरिका सहयोगी हैं। दो सहयोगियों के बीच ऐसा नहीं किया जाता। इस खुलासे पर अभी तक व्हाइट हाउस या अमेरिकी विदेश विभाग ने कुछ भी नहीं कहा है।

स्नोडेन के खुलासे के बाद जर्मनी समेत पूरी दुनिया में हड़कंप मच गया था। उन्होंने बताया था कि अमेरिकी की राष्ट्रीय सुरक्षा एजेंसी मर्केल के फोन टैप करा रही थीं। अब नए खुलासे के बाद जर्मनी ने अमेरिका पर स्थिति स्पष्ट करने का दबाव बढ़ा दिया है। जर्मन अखबार बिल्ड ने सोमवार को लिखा कि गृह मंत्री थॉमस डि मिजायर ने प्रस्ताव दिया है कि अमेरिका को जासूसी लक्ष्यों की सूची में डाल दिया जाए।

मंगोलिया यात्रा पर गए विदेश मंत्री फ्रांक वाल्टर स्टीनमायर ने गुस्सा जाहिर करते हुए कहा कि इसके बाद जर्मनी और अमेरिका के बीच रोजाना हो रहे संपर्क में बदलाव आएगा। उन्होंने कहा कि हम सवालों के जवाब लेकर रहेंगे। आप अपनी जासूसी करने वाले देश से संबंध सामान्य कैसे रख सकते हैं।

इस बीच, अमेरिका की पूर्व विदेश मंत्री हिलेरी क्लिंटन ने डेर स्पीगल अखबार को दिए इंटरव्यू में कहा कि वाशिंगटन किसी भी देश के साथ जासूसी न करने का समझौता नहीं कर सकता। जर्मनी ने इस समझौते की मांग की थी। इस पर क्लिंटन ने कहा कि न तो जर्मनी न ही ब्रिटेन या कनाडा समेत किसी भी देश के साथ हम ऐसा समझौता नहीं करेंगे।

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