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जानें क्यों खतरनाक है रहस्यमयी बरमूडा ट्राएंगल

उत्तर पश्चिमी अटलांटिक महासागर का बरमूडा ट्राएंगल सब दिन रहस्य का विषय रहा है क्योंकि इधर से गुजरते हुए कई बार जहाज गायब हो गए हैं।

By Manish NegiEdited By: Updated: Mon, 14 Mar 2016 08:33 PM (IST)
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नई दिल्ली। उत्तर पश्चिमी अटलांटिक महासागर का बरमूडा ट्राएंगल सब दिन रहस्य का विषय रहा है क्योंकि इधर से गुजरते हुए कई बार जहाज गायब हो गए हैं। अब वैज्ञानिकों का कहना है कि इस इलाके में कई विशालकाय गड्ढे हैं जिनमें मीथेन गैस है। इसी कारण इस इलाके में जाते ही जहाज गायब हो जाते हैं।

नार्वे के आर्कटिक विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों का कहना है कि नार्वे की तरफ काफी प्राकृतिक गैस है और यहीं से मीथेन का रिसाव हो रहा है जिस वजह से ये गड्ढे बने हैं। ये करीब .80 किलोमीटर चौड़े और करीब 150 फीट गहरे तक हैं। वैसे, वैज्ञानिक इस अध्ययन के बारे में अगले महीने यूरोपीय भूवैज्ञानिक संघ की वार्षिक बैठक में विवरण पेश करेंगे, तब विस्तृत जानकारी मिल पाएगी।

कहां है यह इलाका

वैज्ञानिकों का कहना है कि ये विशालकाय गड्ढे अटलांटिक महासागर के एक भाग बेरिंट सागर के पश्चिमी-मध्य इलाकों में हैं। बेरिंट सागर नार्वे और रूस के उत्तर में है। यहां मीथेन गैस का विस्फोट होता रहता है और इसी वजह से जहाज गायब हो जाते हैं।

पहले भी अनुमान

रूसी वैज्ञानिक इगोर येल्तसोव ने भी पिछले साल कहा था कि गैस हाइड्रेट प्रतिक्रियाओं की वजह से बरमूडा ट्रिएंगल बनने का अनुमान है। यहां मीथेन की बर्फ गैस में तब्दील हो जाती है। इससे परमाणु प्रतिक्रिया जैसी ऊर्जा निकलती है। इससे ही जहाज ऐसे गर्म पानी में डूब जाते हैं जिसमें गैस की काफी मात्रा होती है।

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