भोज समारोह में दिए मोदी के भाषण के अंश..
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत और अमेरिका के बीच संबंधों की तुलना 120 और 220 वोल्ट से करते हुए दोनों देशों के बीच सुसंगत सिस्टम बनाने की जरूरत को रेखांकित किया।
By Rajesh NiranjanEdited By: Updated: Wed, 01 Oct 2014 01:35 PM (IST)
वाशिंगटन। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत और अमेरिका के बीच संबंधों की तुलना 120 और 220 वोल्ट से करते हुए दोनों देशों के बीच सुसंगत सिस्टम बनाने की जरूरत को रेखांकित किया।
अमेरिकी उपराष्ट्रपति जो बिडेन और अमेरिकी विदेश मंत्री जॉन कैरी द्वारा भारतीय प्रधानमंत्री के सम्मान में आयोजित एक भोज स्वागत समारोह के अवसर पर दिए भाषण में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि दो देशों के बीच किस प्रकार का विश्वास है, उनके नेताओं के बीच में किस प्रकार का रसायन शास्त्र है, वही तो आखिरकर लंबे अरसे तक काम देता है। सिर्फ 'मंगल' में ही, भारत और अमेरिका का मिलन हुआ है, ऐसा नहीं है, अब धरती पर भी उतना ही निकट का मिलन संभव हो चुका है। उन्होंने कहा, 'कुछ कठिनाइयां जरूर है। आप 120 वोल्ट की सिस्टम वाले हैं, मैं 220 वोल्ट वाला हूं। 120 और 220 के बीच में ऊर्जा का जो अंतर है, उसका मेल करना है, उस यात्रा में हम सफल होंगे। इसलिए '120 वोल्ट और 220 वोल्ट' दोनों एक साथ काम करने के सामर्थ्य के साथ आज आपके बीच में खड़े हैं'। मोदी ने कहा कि मैं इन दोनों महानुभावों [बिडेन और कैरी] के विषय में एक बात कहता हूं। आमतौर पर राजनीतिक जीवन में सरल रास्ते पर चलना सब पसंद करते हैं। सरल रास्ते पर पहुंचने की कोशिश भी करते हैं। लेकिन बहुत कम लोग होते हैं, जो सामने चल करके संकटों को मोल लेते हैं। ये दोनों नेताओं की विशेषता रही है कि जहां-जहां जब भी कोई संकट हुआ, तो राजनीतिक हिसाब-किताब से परे रहकर उससे जुड़ना, उससे जूझना और समस्या का समाधान करने के लिए जी तोड़ मेहनत करना इन दोनों नेताओं का स्वभाव है। ये राजनीति में बहुत ही कम देखा जाता है, 'क्योंकि मक्खन पर लकीर बनाना बड़ा आसान होता है, लेकिन पत्थर पर लकीर बनाने के लिए बड़ा साहस चाहिए' और ये दोनों नेता उस मिजाज के हैं।
मोदी ने आगे कहा कि आज मैं ये विश्वास से कहता हूं, भारत बहुत तेजी से आगे बढ़ रहा है। भारत की युवा शक्ति, भारत की प्रतिभा, भारत की अभिनव प्रकृति, भारत की प्राचीन सभ्यता ये सारी बातें आज विश्व के मंच पर एक आशा को जन्म देने वाली हैं। विश्व की जो आशाएं हैं, उन आशाओं को पूर्ण करने के लिए भारत प्रतिबद्ध है, भारत कटिबद्ध है। मैं विश्व समुदाय को और खास तौर पर अमेरिका को विश्वास दिलाना चाहता हूं कि समूचा विश्व जिन आशाओं और आकांक्षाओं के साथ भारत की तरफ देख रहा है, भारत उसके लिए सजग हो चुका है। भारत कदम बढ़ाने के लिए तैयार हो चुका है और अमेरिका के साथ मिलकर के हम उन रास्तों को चुनना पसंद करेंगे, जो मानव जाति के कल्याण के लिए काम आएं। विश्व कल्याण के काम आएं। लोकतंत्र को मजबूत करें। संकटों से जूझ रहा विश्व का छोटा से छोटा देश क्यों न हो, विश्व का पिछड़ा से पिछड़ा मानव समाज क्यों न हो, उनके संकटों को दूर करने में हमारी भी शक्तियां काम आएंगी। ऐसा मुझे विश्वास है। मोदी ने आगे कहा कि 'बहुत ही सफल यात्रा के बाद, आज इस महत्वपूर्ण समारोह में, मुझे आप लोगों से मिलने का अवसर मिला है। मैं राष्ट्रपति ओबामा का भी हृदय से अभिनंदन करता हूं, आभार व्यक्त करता हूं। उन्होंने काफी वक्त निकाला। हम लंबे अरसे तक कल और आज साथ रहे। आज तो वो मेरे साथ सैर करने के लिए भी निकल पड़े थे। इतनी सहजता के साथ हमारे संबंधों ने एक नया आयाम का रूप लिया है। इसके लिए मैं राष्ट्रपति ओबामा का भी हृदय से बहुत-बहुत आभार व्यक्त करता हूं।' मोदी ने कहा कि इस भोज सम्मान के लिए मैं उपराष्ट्रपति [जो बिडेन] का हृदय से अभिनंदन करता हूं। विदेश मंत्री [जॉन कैरी] का भी अभिनंदन करता हूं और आप सबको बहुत-बहुत शुभकामनाएं देता हूं।