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मंगोलिया में पारंपरिक सांरगी के साथ रिश्तों की नई धुन

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को मंगोलिया में पारंपरिक संगीत वाद्य यंत्र दो तार वाली विशेष सारंगी 'मोरिन खुउर' बजाया। मंगोलिया के राष्ट्रपति साखिगिन इलबेडोर्ज ने मोदी को यह सारंगी भेंट में दी थी। इस दौरान मंगोलिया के राष्ट्रपति उनके साथ खड़े रहे और मोदी ने लगभग आधे मिनट तक

By Kamal VermaEdited By: Updated: Sun, 17 May 2015 09:46 PM (IST)

उलान बटोर। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को मंगोलिया में पारंपरिक संगीत वाद्य यंत्र दो तार वाली विशेष सारंगी 'मोरिन खुउर' बजाया। मंगोलिया के राष्ट्रपति साखिगिन इलबेडोर्ज ने मोदी को यह सारंगी भेंट में दी थी। इस दौरान मंगोलिया के राष्ट्रपति उनके साथ खड़े रहे और मोदी ने लगभग आधे मिनट तक सांरगी बजाई। मोदी ने ट्वीट कर बताया कि मोरिन खुउर, संगीत और मंगोलिया..राष्ट्रपति साखिगिन इलबेडोर्ज की ओर से एक अद्भुत भेंट।

इससे पहले विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता विकास स्वरूप ने ट्वीट कर बताया कि मंगोलिया के साथ संबंधों में एक संचार पैदा करने की कोशिश। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मोरिन खुउर की बारीकियां समझने की कोशिश कर रहे हैं। मोरिन खुउर मंगोलिया की परंपरागत दो तार वाली सारंगी है, जो लकड़ी की बनी होती है और इसके ऊपरी सिरे पर घोड़े के सिर की आकृति होती है, जिसे मंगोलिया का प्रतीक माना जाता है।

मंगाेलिया में मोदी ने तिरंदाजी में आजमाए हाथ

जबकि मोदी ने राष्ट्रपति इलबेडोर्ज को रामपुर के रजा लाइब्रेरी में संग्रहित 13वीं सदी में लिखी गई मंगोल इतिहास की दुर्लभ पांडुलिपि की विशेष प्रति भेंट की। इस पांडुलिपि को जमीउत तवारिक के नाम से जाना जाता है। इसकी रचना बादशाह गजान खान (1295-1304) के शासन की बड़ी परियोजनाओं में से एक है। पांडुलिपि को बादशाह के वजीर रशीदुद्दीन फजलुल्लाह हमदानी ने तैयार किया था। उन्होंने इसे फारसी में लिखा था।

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कमल के जरिए मोदी ने मंगोलिया में खोजा खास नाता