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नासा ने चंद्रयान की मदद से चांद पर पानी की खोज की

वाशिंगटन। भारत के चंद्रयान मिशन द्वारा एकत्रित आंकड़ों की मदद से अमेरिकी अंतरिक्ष नासा ने चांद की सतह के नीचे पानी की मौजूदगी के प्रमाण खोजे थे। नासा के वैज्ञानिकों ने यह बात कही है। इससे पहले कहा गया था कि अपोलो अंतरिक्ष यात्रियों द्वारा स्मृति के रूप में धरती पर लाए गए चंद्र चट्टनों के अध्ययन से चंद्रमा पर पानी के अ

By Edited By: Updated: Wed, 28 Aug 2013 07:58 PM (IST)
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वाशिंगटन। भारत के चंद्रयान मिशन द्वारा एकत्रित आंकड़ों की मदद से अमेरिकी अंतरिक्ष नासा ने चांद की सतह के नीचे पानी की मौजूदगी के प्रमाण खोजे थे। नासा के वैज्ञानिकों ने यह बात कही है।

इससे पहले कहा गया था कि अपोलो अंतरिक्ष यात्रियों द्वारा स्मृति के रूप में धरती पर लाए गए चंद्र चट्टनों के अध्ययन से चंद्रमा पर पानी के अस्तित्व का पता चला था। नासा ने कहा कि वैज्ञानिकों ने चंद्रयान-1 के साथ भेजे गए नासा के उपकरण मून मिनरोलाजी मैपर (एम 3) द्वारा एकत्रित आंकड़ों के आधार पर चंद्रमा पर जल होने की पुष्टि की थी। उन्होंने कहा था कि पानी चंद्रमा के गहरे आतंरिक हिस्से से निकला है। एम3 ने चंद्रमा की भूमध्य रेखा के पास स्थित चंद्र प्रभाव वाले बुलाइडस क्रेटर की फोटो भी ली थी। बुलाइडस क्रेटर उस क्षेत्र में स्थित है जिसका वातावरण हवा के प्रतिकूल है और सतह के नीचे से पानी की उत्पत्ति नहीं हो सकती।

लारेल में जॉन्स हॉपकिंस यूनिवर्सिटी अप्लाइड फिजिक्स लेबोरेट्री (एपीएल) में भूविज्ञानी रेशल लीमा ने कहा, 'यह चट्टान सामान्य तौर पर सतह के नीचे पाई जाती है। यह चंद्रमा की गहराई खुदाई से मिली थी। इसका निर्माण उसी तरह हुआ था जैसे बुलाइडस क्रेटर बना था।' उन्होंने बताया कि क्रेटर के मध्य भाग में हाइड्राक्सिल (पानी और आक्सीजन ) मिलने की पुष्टि हुई। यह इस बात का सुबूत है कि इस क्रेटर में मौजूद चट्टानों में पानी है जिसकी उत्पत्ति चंद्रमा की सतह के नीचे से होती है। वर्ष 2009 में एम3 ने पहली बार चंद्रमा की सतह का मिनरोलाजिकल (खनिज विज्ञान संबंधी) नक्शा तैयार किया था और चंद्रमा के धु्रवीय क्षेत्रों में पानी के अणु खोजे थे। यह शोध नेचर जियोसाइंस में प्रकाशित हुआ है।

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