कैंसर में कारगर नई दवा इजाद, गले और दिमाग के कैंसर पीड़ितों को होगा फायदा
यह उपलब्धि इस मायने में अहम है कि मौजूदा समय में सिस्प्लैटिन-रेजिस्टेंट रीलैप्स्ड या मेटास्टैटिक हेड एंड नेक कैंसर के इलाज का दूसरा विकल्प उपलब्ध नहीं है।
By Atul GuptaEdited By: Updated: Mon, 10 Oct 2016 09:20 PM (IST)
लंदन, प्रेट्र । कैंसर में कारगर दवा विकसित करने में जुटे वैज्ञानिकों को बड़ी सफलता मिली है। ब्रिटिश शोधकर्ताओं ने ऐसी दवा विकसित करने का दावा किया है, जिससे फिर से सिर और गले के कैंसर के पीडि़तों की जीवन अवधि बढ़ाई जा सकेगी। इस तरह के कैंसर के दोबारा होने बचने की संभावना कम हो जाती है।
नई विकसित दवा का नाम निवोलुमाब है। ब्रिटेन के इंस्टीट्यूट ऑफ कैंसर रिसर्च (आइसीआर) के वैज्ञानिकों ने बताया कि दवा के तीसरे चरण का परीक्षण सफल रहा है। इसके सेवन से उन पीडि़तों की जीवन अवधि भी बढ़ाने में सफलता मिली है, जिनमें कीमोथेरेपी असरहीन साबित हो चुकी थी। कीमो के मुकाबले नई दवा लेने वाले पीडि़त एक साल बाद भी जीवित रहे। यह उपलब्धि इस मायने में अहम है कि मौजूदा समय में सिस्प्लैटिन-रेजिस्टेंट रीलैप्स्ड या मेटास्टैटिक हेड एंड नेक कैंसर के इलाज का दूसरा विकल्प उपलब्ध नहीं है। शोधकर्ताओं ने बताया कि इससे पीडि़त लोग छह महीने से भी कम समय तक जीवित रह पाते हैं। शोध का नेतृत्व आइसीआर के प्रोफेसर केविन है¨रगटन ने किया। इसमें दुनिया भर के 20 अन्य शोध संस्थान भी शामिल थे।
हैरिंगटन ने नई दवा को गेम चैंजर बताया है। उनके मुताबिक इसके सेवन से बिना किसी तकलीफ के जीवन अवधि बढ़ाई जा सकेगी। शोध में शामिल 240 पीडि़तों को निवोलुमाब और 121 को कीमो दिया गया था। एक साल बाद नई दवा का सेवन करने वाले 36 फीसद पीडि़त अब भी जीवित हैं। कीमो कराने वालों में यह आंकड़ा महज 17 फीसद है। आमतौर पर निवोलुमाब का सेवन करने वाले 7.5 महीने, जबकि कीमो कराने वालों की औसत जीवन अवधि 5.1 महीना रही। एचपीवी पॉजिटिव (ह्यूमन पैपिलो वायरस) पीडि़त तो औसतन 9.1 महीने तक जीवित रहे। नई दवा का साइड इफेक्ट 13 जबकि कीमो का 35 प्रतिशत पाया गया।