अब लोहे से भी मजबूत होगा शीशा
वाशिंगटन। वैज्ञानिकों ने एक नए प्रकार का शीशा विकसित किया है जो लोहे से भी मजबूत है। इस नई खोज से न टूटने वाले यानी अटूट मेडिकल प्रत्यारोपण, मोबाइल फोन और अन्य इलेक्ट्रानिक्स वस्तुओं के निर्माण का रास्ता प्रशस्त हो गया है। दरअसल येल यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने जटिल मिश्रित धातु की विशेषता वाले एक खास धातु क
By Edited By: Updated: Mon, 14 Apr 2014 06:02 PM (IST)
वाशिंगटन। वैज्ञानिकों ने एक नए प्रकार का शीशा विकसित किया है जो लोहे से भी मजबूत है। इस नई खोज से न टूटने वाले यानी अटूट मेडिकल प्रत्यारोपण, मोबाइल फोन और अन्य इलेक्ट्रानिक्स वस्तुओं के निर्माण का रास्ता प्रशस्त हो गया है।
दरअसल येल यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने जटिल मिश्रित धातु की विशेषता वाले एक खास धातु की शीघ्र पहचान करने के एक प्रभावशाली तरीके का पता लगाया है। इस धातु को बल्क मैटेलिक ग्लासेस (बीएमजी) नाम से जाना जाता है। यह लचीला शीशा का प्रकार है जो लोहे की तुलना में मजबूत होता है। उन्होंने पारंपरिक विधि से बीएमजी बनाने के लिए उपयुक्त एक एकल मिश्र धातु की पहचान की। इस प्रक्रिया में आमतौर पर पूरा दिन लग जाता है। इस नई विधि से शोधकर्ता प्रतिदिन लगभग तीन हजार मिश्र धातुओं को परखने और साथ ही उस खास धातु का पता लगाने में सक्षम हुए। शोध के वरिष्ठ लेखक जेन स्क्रोर्स ने कहा कि इस प्रभावशाली तरीके से बीएमजी की खोज की रफ्तार तेज हो जानी चाहिए। इसके इस्तेमाल से मजबूत, टिकाऊ और सहज जटिल आकारों को मूर्त रूप दिया जा सकता है जो किसी अन्य धातु प्रक्रिया से नहीं बनाई जा सकती है। इस शोध का प्रकाशन नेचर मैटेरियल जर्नल में किया गया है।