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चीन ने कहा, भारत के लिए पूरी तरह से बंद नहीं हुए NSG के दरवाजे

चीन के विदेशमंत्री के भारत आने से पहले चीन की सरकारी मीडिया ने कहा कि एनएसजी में भारत के प्रवेश के लिए दरवाजे पूरी तरह बंद नहीं हुए हैं।

By Rajesh KumarEdited By: Updated: Fri, 12 Aug 2016 07:30 PM (IST)

बीजिंग, प्रेट्र। चीन के विदेशमंत्री वांग यी के भारत दौरे से ठीक पहले चीन की सरकारी मीडिया ने शुक्रवार को कहा कि परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह (एनएसजी) में भारत की सदस्यता के लिए दरवाजे पूरी तरह से बंद नहीं हुए हैं। ऐसे में नई दिल्ली को विवादित साउथ चाइना सी पर बीजिंग की चिंताओं को भी समझना चाहिए।

चीन की सरकारी समाचार एजेंसी शिन्हुआ ने भारत और चीन को आपसी साझीदार बताया है ना कि एक दूसरे का दुश्मन। शिन्हुआ ने कहा, "बीजिंग और नई दिल्ली कई मसलों पर कूटनीतिक बैठक कर आपसी साझेदारी का भविष्य तय करते हैं। ऐसे में दोनों देशों को एक साथ बैठकर असहमति को दूर करने की जरूरत है।"

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शिन्हुआ ने अहम विषय पर चीन का संदर्भ ऐसे समय पेश किया है जब चीन के विदेश मंत्री वांग यी का भारत का तीन दिन का दौरा शुक्रवार से आरंभ हुआ। दोनों देशों के बीच एनएसजी पर कुछ माह पूर्व हुए विवाद के बाद चीन का इस तरह का बयान पहली बार आया है।

भारत का आरोप गलत:

समाचार एजेंसी के अनुसार भारत का यह आरोप गलत है कि एनएसजी में उसकी प्रविष्टि चीन ने रोकी। ऐसा कोई उदाहरण सामने नहीं है कि परमाणु अप्रसार संधि(एनपीटी) पर हस्ताक्षर किए बिना कोई देश एनएसजी का सदस्य बन गया हो।

एजेंसी ने कहा, भारत को दिल छोटा नहीं करना चाहिए क्योंकि एनएसजी में उसके प्रवेश का रास्ता पूरी तरह बंद नहीं हुआ। भविष्य की वार्ताएं अंतरराष्ट्रीय परमाणु अप्रसार तंत्र की रक्षा करने पर केंद्रित होनी चाहिए। इसमें स्वयं भारत की बड़ी हिस्सेदारी है। एजेंसी ने यह उल्लेख नहीं किया कि चीनी विदेश मंत्री भारत यात्रा के दौरान एनएसजी पर भारत के संदर्भ में कोई नया प्रस्ताव रखेंगे अथवा नहीं।

बैकफुट पर चीन:

एससीएस मसले पर चीन बैकफुट पर है क्योंकि अंतरराष्ट्रीय ट्रिब्यूनल का फैसला उसके खिलाफ गया है। केस जीतने वाले अमेरिका, आस्ट्रेलिया, जापान और फिलीपीन ने चीन से फैसला लागू करने को कहा है। फिलीपीन, वियतनाम, मलेशिया, बु्रनेई तथा ताइवान ने दक्षिण चीन सागर क्षेत्र पर अपना कब्जा जताया है। बीजिंग ने ट्रिब्यूनल को अवैध और निरर्थक बताते हुए इसकी कार्यवाही का बहिष्कार किया ।

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चीन चाहता है कि अगले माह उसके हांगजू शहर में होने वाले जी-20 शिखर सम्मेलन में एससीएस का मुद्दा न उठे। इसमें भारत के प्रधानमंत्री मोदी भी भाग लेंगे। चीन का सरकारी समाचार पत्र ग्लोबल टाइम्स पहले ही कह चुका है कि भारत एससीएस मामले में अनावश्यक रूप से न उलझे क्योंकि यह द्विपक्षीय संबंधों पर असर डाल सकता है।