बढ़ सकती है भारत, चीन, पाकिस्तान में परमाणु प्रतिस्पर्धा
हथियारों के जखीरे और बहु आयुध (मल्टीपल वारहेड) मिसाइलों में वृद्धि से भारत, चीन और पाकिस्तान में त्रिकोणीय परमाणु प्रतिस्पर्धा बढ़ सकती है।
वाशिंगटन, प्रेट्र : हथियारों के जखीरे और बहु आयुध (मल्टीपल वारहेड) मिसाइलों में वृद्धि से भारत, चीन और पाकिस्तान में त्रिकोणीय परमाणु प्रतिस्पर्धा बढ़ सकती है। किताब 'द ल्यूर एंड पिटफाल्स ऑफ एमआइआरवीएस : फ्रॉम द फर्स्ट टू द सेकंड न्यूक्लियर एज' में यह आशंका जताई गई है। किताब में यह भी कहा गया है कि ऐसे हथियारों पर प्रतिबंध की कोई सूरत नजर नहीं आती।
किताब के मुताबिक, चीन डीएफ-5बी अंतरमहाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइल तैनात करने का काम शुरू कर रहा है। स्टिम्सन सेंटर के सह संस्थापक एवं पुस्तक के सह संपादक माइकल क्रेपन एवं शेन मेसन ने कहा कि ऐसे में भारत और पाकिस्तान भी अपनी कुछ मिसाइलों पर मल्टीपल वारहेड लैस करने की दिशा में आगे बढ़ सकते हैं। किताब के मुताबिक, इन कदमों के पीछे का मकसद यह तय करेगा कि परमाणु हथियारों में किस हद तक इजाफा होगा। साथ ही यह भी तय होगा कि इस इजाफे का असर कितना घातक होगा।
क्रेपन ने कहा, 'अच्छी खबर यह है कि भारत, चीन और पाकिस्तान अमेरिका और सोवियत संघ की तरह अधिक एमआइआरवी विकसित नहीं करेंगे। बुरी खबर यह है कि सीमित तैनाती के बावजूद एशिया में त्रिकोणीय परमाणु प्रतिद्वंद्विता और जटिल हो जाएगी।' क्रेपन के अनुसार एशिया में त्रिकोणीय परमाणु प्रतिद्वंद्विता अमेरिका और पहले के सोवियत संघ के बीच हथियारों की होड़ से काफी अलग होगी। इस प्रतिद्वंद्विता को कम करने के लिए संबंधों में सुधार की जरूरत है। चीन एवं भारत और भारत एवं पाकिस्तान के बीच परमाणु जोखिम कम करने के लिए कदम उठाए जाने की आवश्यकता है।