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रिकॉर्ड संख्या में भारतीय-अमेरिकियों को नियुक्त किया ओबामा ने

इस वर्ष अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने रिकॉर्ड संख्या में भारतीय मूल के अमेरिकियों को ह्वाइट हाउस में विभिन्न पदों पर नियुक्त किया है। अमेरिका में भारतीय मूल के लोगों की संख्या करीब 30 लाख है।

By Edited By: Updated: Sun, 29 Dec 2013 05:37 PM (IST)
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वाशिंगटन। इस वर्ष अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने रिकॉर्ड संख्या में भारतीय मूल के अमेरिकियों को ह्वाइट हाउस में विभिन्न पदों पर नियुक्त किया है। अमेरिका में भारतीय मूल के लोगों की संख्या करीब 30 लाख है।

ओबामा की दूसरी पारी के पहले वर्ष में ह्वाइट हाउस में रिकॉर्ड संख्या में भारतीय मूल के अमेरिकी लोगों की नियुक्ति को विशेषज्ञ इस समुदाय की प्रतिभा को पहचाने जाने के रूप में देखते हैं। संभवत: ऐसा पहली बार हुआ है जब भारतीय मूल के एक दर्जन से अधिक अमेरिकी लोगों को ह्वाइट हाउस में प्रमुख पदों पर नियुक्ति दी गई है। अमेरिका में शायद ही कोई ऐसा महत्वपूर्ण विभाग है जहां भारतीय मूल के लोग प्रमुख पदों पर आसीन नहीं हों। ओबामा प्रशासन में भारतीय मूल के अमेरिकी लोगों के बारे में कोई आधिकारिक सूची तो उपलब्ध नहीं है, लेकिन प्राप्त जानकारी के अनुसार यह संख्या 50 से अधिक है। यह अब तक का एक रिकॉर्ड है। ओबामा प्रशासन में भारतीय मूल के पांच लोग महत्वपूर्ण पदों पर हैं, जिनकी नियुक्ति की संसद के ऊपरी सदन सीनेट ने पुष्टि कर दी है।

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यूएसएड के प्रशासक राजीव शाह ओबामा प्रशासन में शीर्ष पद पर आसीन भारतीय मूल के अमेरिकी हैं। इस वर्ष निशा बिस्वाल को दक्षिण एशियाई मामलों के लिए सहायक विदेश मंत्री नियुक्त किया गया था। इसके अलावा ह्वाइट हाउस फेलोशिप पर राष्ट्रपति के आयोग की सदस्य अजीता राजी, कृषि संबंधी मुख्य वार्ताकार इस्लाम सिद्दीकी और वाणिज्य विभाग में कार्यकारी निदेशक विनाई थुम्मलपल्ली की नियुक्ति को भी सीनेट ने मंजूरी दे दी है। यदि सीनेट की ओर से पुष्टि हो जाती है तो विवेक मुर्थी भारतीय मूल के पहले अमेरिकी सर्जन जनरल होंगे। भारतीय मूल के दो और अमेरिकी अपनी नियुक्ति की सीनेट द्वारा पुष्टि का इंतजार कर रहे हैं। इनमें सहायक वाणिज्य मंत्री नियुक्त किए गए अरुण कुमार और राजनीतिक व सैन्य मामलों के लिए सहायक विदेश मंत्री नियुक्त पुनीत तलवार शामिल हैं। तलवार ने ईरान के परमाणु समझौते को लेकर महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। यदि तलवार की नियुक्ति की सीनेट द्वारा पुष्टि हो जाती है तो अमेरिकी विदेश मंत्रालय में ऐसा पहली बार होगा जब दो सहायक विदेश मंत्री भारतीय मूल के होंगे।

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