परमाणु समझौते के बाद शुरू हुआ कठिन दौर
ईरान के परमाणु कार्यक्रम पर अंकुश लगाने की दिशा में ऐतिहासिक समझौता करने में भले ही सफलता मिल गई हो, लेकिन अभी कठिन डगर बाकी है। अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा और उनके सहयोगी नेताओं का मानना है कि इस अंतरिम समझौते को व्यापक समझौते में बदलना बड़ी चुनौती है।
By Edited By: Updated: Mon, 25 Nov 2013 07:52 PM (IST)
वाशिंगटन। ईरान के परमाणु कार्यक्रम पर अंकुश लगाने की दिशा में ऐतिहासिक समझौता करने में भले ही सफलता मिल गई हो, लेकिन अभी कठिन डगर बाकी है। अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा और उनके सहयोगी नेताओं का मानना है कि इस अंतरिम समझौते को व्यापक समझौते में बदलना बड़ी चुनौती है।
इस बीच ईरान के साथ परमाणु समझौते से उभरी नाराजगी को दूर करने के लिए ओबामा ने इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू से इस मसले पर चर्चा की। अमेरिका, रूस, फ्रांस, चीन, ब्रिटेन और जर्मनी और ईरान के बीच जेनेवा में रविवार को हुए ऐतिहासिक समझौते को नेतन्याहू ने ऐतिहासिक भूल करार दिया था। समझौते के तत्काल बाद उन्होंने कहा था कि इससे ईरान के लिए परमाणु हथियार बनाने के रास्ते खुल जाएंगे। पढ़ें : ईरान और विश्व शक्तियों के बीच ऐतिहासिक परमाणु समझौता ह्वाइट हाउस के उप प्रवक्ता जोश अर्नेस्ट ने रविवार को बताया कि दोनों नेताओं ने ईरान को परमाणु हथियार हासिल करने से रोकने के अपने साझा लक्ष्यों की फिर पुष्टि की। अर्नेस्ट ने बताया कि राष्ट्रपति ने जोर देकर कहा कि छह देशों की स्थाई, शांतिपूर्वक और व्यापक समाधान हासिल करने की कोशिश है जिससे ईरान के परमाणु कार्यक्रम को लेकर अंतरराष्ट्रीय समुदाय की चिंताओं का समाधान होगा।
उत्तर कोरिया पर और कस सकता है शिकंजा : टोक्यो। विश्व के ताकतवर देशों और ईरान के बीच परमाणु समझौते के बाद अमेरिका ने उत्तर कोरिया पर उसके परमाणु कार्यक्रम को लेकर और प्रतिबंध लगाने के संकेत दिए हैं। उत्तर कोरिया नीति के विशेष अमेरिकी प्रतिनिधि ग्लेन डेविस ने कहा कि उत्तर कोरिया बातचीत में शामिल होने की कोशिश के साथ अपने कार्यक्रम को जारी रख रहा है जो पूरी तरह अस्वीकार्य है। टोक्यो में अपने समकक्ष के साथ बैठक के बाद उन्होंने कहा कि यदि उत्तर कोरिया गंभीरता नहीं दिखाता है तो उस पर दबाव बनाने के लिए कदम उठाना होगा।
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