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ओबामा ने डिनर में रखा मोदी के उपवास का ध्यान

ह्वाइट हाउस के इतिहास में संभवत: यह पहला मौका होगा, जब किसी शासनाध्यक्ष के सम्मान में दिए गए रात्रिभोज में मेनू की सूची से शराब और मांसाहारी व्यंजनों को बाहर रखा गया होगा।

By Anjani ChoudharyEdited By: Updated: Mon, 29 Sep 2014 10:45 PM (IST)
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वाशिंगटन। ह्वाइट हाउस के इतिहास में संभवत: यह पहला मौका होगा, जब किसी शासनाध्यक्ष के सम्मान में दिए गए रात्रिभोज में मेनू की सूची से शराब और मांसाहारी व्यंजनों को बाहर रखा गया होगा। लेकिन भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की डिनर पार्टी के लिए राष्ट्रपति बराक ओबामा ने जो तैयारी की है, उसमें खाने की मेज पर सिर्फ शाकाहारी व्यंजन और अल्कोहल रहित पेय का इंतजाम किया गया है। अमेरिकी राष्ट्रपति ने मोदी के उपवास और नवरात्र की पवित्रता का पूरा ध्यान रखा है।

सूत्रों ने बताया कि मोदी के नवरात्र व्रत को ध्यान में रखते हुए भारतीय पक्ष ने मांसाहारी व्यंजनों को डिनर के मेनू से दूर रखने का अनुरोध किया था। अमेरिकी सरकार ने भारतीय पक्ष के अनुरोध को सकारात्मक रूप में लेते हुए इसी के अनुरूप खाने-पीने की तैयारी की। पिछले सप्ताह ही ह्वाइट हाउस ने कहा था कि वह अपने अतिथियों के रीति-रिवाजों का पूरा आदर करता है। राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद के प्रवक्ता कैटलिन हेडेन ने कहा कि अतीत में जब भी अमेरिकी राष्ट्रपति ने किसी की मेजबानी की है, तो हमने उनकी धार्मिक मान्यताओं और परंपराओं का ध्यान रखा है।

शुक्रवार को अमेरिका पहुंचे भारतीय प्रधानमंत्री इन दिनों नवरात्र व्रत पर हैं। सोमवार को उनके उपवास का पांचवां दिन था। नवरात्र के दौरान वह फलाहार भी नहीं करते और सिर्फ नींबू-पानी पीकर रहते हैं। पिछले 35 वर्षो से मोदी के उपवास का यह क्रम लगातार जारी है। इस वर्ष 25 सितंबर से शुरू हुआ नवरात्र का पर्व तीन अक्टूबर तक चलेगा।

ओबामा के साथ पहली भेंट

बराक ओबामा और प्रधानमंत्री मोदी के बीच यह पहली मुलाकात है। मोदी पहले ही कह चुके हैं कि राष्ट्रपति ओबामा के साथ मिलकर वह दोनों देशों के संबंधों को एक नए धरातल पर ले जाना चाहते हैं, ताकि यह भारत और अमेरिका के साथ ही शेष विश्व के लिए भी लाभकारी हो। मोदी अमेरिका को भारत का एक अहम सहयोगी मानते हैं।

संबंध सुधारने के प्रयास

भारत में निजाम बदलने के साथ ही मोदी सरकार से नजदीकी बढ़ाने के लिए राष्ट्रपति ओबामा लगातार प्रयास करते आ रहे हैं। सबसे पहले मोदी की विरोधी अपनी राजदूत नैंसी पॉवेल को हटाया, तो फिर सरकार बनने के कुछ ही दिनों के भीतर अपने वरिष्ठ मंत्रियों को भारत दौरे पर भेजा। और जब मोदी खुद अपनी पहली अमेरिका यात्रा पर गए, तो मेहमानवाजी में उनकी इच्छा का भी पूरा ध्यान रखा।

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