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खतरे में जर्मनी के 3500 जासूसों की जान

दुनिया के अलग-अलग हिस्सों में तैनात जर्मनी के 3500 जासूसों की जान को खतरा बढ़ गया है। आशंका जताई जा रही है कि डबल एजेंट मार्कस आर ने जासूसों की वास्तविक पहचान से जुड़ी जानकारी जर्मनी की शत्रु विदेशी एजेंसी को बेच दी है। जर्मनी के अखबार बिल्ड ने अपनी

By Kamal VermaEdited By: Updated: Thu, 15 Jan 2015 08:54 PM (IST)

बर्लिन। दुनिया के अलग-अलग हिस्सों में तैनात जर्मनी के 3500 जासूसों की जान को खतरा बढ़ गया है। आशंका जताई जा रही है कि डबल एजेंट मार्कस आर ने जासूसों की वास्तविक पहचान से जुड़ी जानकारी जर्मनी की शत्रु विदेशी एजेंसी को बेच दी है। जर्मनी के अखबार बिल्ड ने अपनी रिपोर्ट में यह बात कही है।

हार्ड डिस्क में सूची

मार्कस पिछले साल गिरफ्तार किया गया था। अखबार के मुताबिक उसके घर की तलाशी के दौरान एक हार्ड डिस्क मिला था। इस डिस्क का पूरी तरह से मूल्यांकन हाल ही में पूरा हुआ है। इसी डिस्क से जासूसों की वास्तविक पहचान से जुड़ी अत्यंत गोपनीय सूची मिली है। इसमें खुफिया अधिकारियों के नाम, उपनाम और स्थान से संबंधित जानकारी है।

ऐसे हासिल की सूची

जर्मनी की खुफिया एजेंसी बीएनडी में कार्यरत मार्कस ने विदेशी संचालन विभाग के रजिस्ट्री अनुभाग में काम करते हुए यह सूची हासिल की थी। 2011 की इस सूची में विभिन्न दूतावासों में राजनयिक के तौर पर तैनात बीएनडी अधिकारी कई देशों में गुप्त रूप से तैनात अधिकारियों की जानकारी है।

गुनाह कबूला

मार्कस ने दो साल में अमेरिकी खुफिया एजेंसी सीआइए को 200 से ज्यादा गुप्त कागजात उपलब्ध कराने का गुनाह कबूल कर लिया है। इसके बदले में उसने 25,000 यूरो (करीब 18 लाख रुपए) मिलने की बात कही है। स्पीगेल पत्रिका के अनुसार जांचकर्ताओं का मानना है कि वह 2010 से ही सीआइए के लिए काम कर रहा था और चार सालों में उसे इसके बदले 75,000 यूरो (करीब 54 लाख रुपए) मिले।

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ई-मेल से पकड़ा गया

बर्लिन स्थित रूसी दूतावास को पैसों के बदले गुप्त सूचनाएं मुहैया कराने संबंधी एक ई-मेल के बाद मार्कस का राज खुला था। शुरुआत में उस पर रूसी एजेंट होने का शक था। लेकिन, जब जर्मनी के जांचकर्ताओं को पता चला कि वह सीआइए के लिए काम करता है तो वे हैरान रह गए। इसके बाद अमेरिका और जर्मनी के बीच बड़ी कूटनीतिक दरार पैदा हो गई थी। जर्मन चांसलर एंजेला मर्केल ने सीआइए के स्टेशन चीफ को बर्लिन छोड़ने को कह दिया था।

अधिकारियों को मिला नया अधिकार

जर्मनी ने संदिग्धों पर नजर रखने के लिए एक नए कानून को मंजूरी दी है। इसके मुताबिक अधिकारियों को उनलोगों का पहचान पत्र तीन साल के लिए जब्त करने का अधिकार होगा जिनके ऊपर आतंकवादी गतिविधियों में शामिल होने के उद्देश्य से यात्रा करने का संदेह हो। जर्मनी के गृहमंत्री थॉमस मेजिएरी ने बताया कि सैकड़ों जर्मन अपने पहचान पत्र का इस्तेमाल कर तुर्की के रास्ते इस्लामिक स्टेट में शामिल होने के लिए इराक और सीरिया जा चुके हैं। ऐसे में यह कानून लागू करना बहुत जरूरी था। जर्मनी की सुरक्षा एजेंसियों के मुताबिक अब तक 600 से ज्यादा नागरिक आइएस की ओर से लड़ने के लिए सीरिया और इराक जा चुके हैं।

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