भारत से रिश्तों पर पाकिस्तानी नेताओं में नजर आई दो फाड़
पाकिस्तान में भारत के साथ संबंधों को लेकर दो ध़़डे साफ दिखाई दे रहे हैं। एक ध़़डा पुरानी लीक से हटने को तैयार नहीं तो दूसरा ध़़डा कुछ नया करने के लिए भारत के साथ बातचीत को फिर से शुरू करना चाह रहा है।
इस्लामाबाद [एजेंसी]। पाकिस्तान में भारत के साथ संबंधों को लेकर दो ध़़डे साफ दिखाई दे रहे हैं। एक ध़़डा पुरानी लीक से हटने को तैयार नहीं तो दूसरा ध़़डा कुछ नया करने के लिए भारत के साथ बातचीत को फिर से शुरू करना चाह रहा है।
पाकिस्तान के विदेश विभाग ने शुक्रवार को साफ कर दिया कि भारत के साथ बातचीत की प्रक्रिया स्थगित नहीं हुई है। भारत के साथ वार्ता को फिर से शुरू करने के लिए गुफ्तगू चल रही है। हम किसी भी विकल्प को खत्म मानकर नहीं चल रहे हैं। इससे पहले संयुक्त राष्ट्र में पाकिस्तान की स्थायी दूत मलीहा लोधी ने द्विपक्षीय वार्ता प्रक्रिया को ठंडे बस्ते में डालने के लिए भारत को जिम्मेदार ठहराया था।
बासित के बयान के उलट बयान
पाकिस्तानी विदेश विभाग के प्रवक्ता नफीस जकारिया का ताजा बयान भारत में पाकिस्तान के उच्चायुक्त अब्दुल बासित के हाल में दिए उस बयान के उलट है जिसमें उन्होंने वार्ता स्थगित होने का दावा किया था। पठानकोट एयरबेस पर दो जनवरी को हुए आतंकी हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच शांति वार्ता प्रक्रिया अनिश्चित काल के लिए टाल दी गई थी।
पीटीआई के अनुसार संयुक्त राष्ट्र में पाकिस्तान की स्थायी प्रतिनिधि मलीहा लोधी ने आरोप लगाया कि द्विपक्षीय संबंधों को सामान्य बनाने के लिए भारत बातचीत का इच्छुक नहीं है। भारत का यह रख दोनों देशों के बीच संबंधों को पटरी पर लाने में बाधक है। लोधी ने यह बात न्यूयॉर्क में यूएस आर्मी वार कॉलेज के छात्रों और स्टाफ को संबोधित करते हुए कही। मलीहा ने कहा, भारत में सत्ता परिवर्तन के बाद जब नरेंद्र मोदी की सरकार बनी तो एक सकारात्मक शुरआत हुई। लेकिन बाद में भारत ने बिना ठोस कारण के बातचीत की प्रक्रिया को स्थगित कर दिया।
स्थायी प्रतिनिधि के तेवर:
इससे पहले संयुक्त राष्ट्र में पाकिस्तान की स्थायी प्रतिनिधि मलीहा लोधी ने कहा था कि द्विपक्षीय संबंधों को सामान्य बनाने के लिए भारत बातचीत का इच्छुक नहीं है। यह रुख दोनों देशों के बीच संबंधों को पटरी पर लाने में बाधक है। न्यूयार्क में यूएस आर्मी वार कॉलेज के छात्रों और स्टाफ को संबोधित करते हुए मलीहा ने कहा, भारत में जब नरेंद्र मोदी की सरकार बनी तो एक सकारात्मक शुरुआत हुई। लेकिन बाद में भारत ने बिना ठोस कारण के बातचीत की प्रक्रिया स्थगित कर दी ।
संयुक्त राष्ट्र में पाकिस्तानी मिशन ने प्रेस बयान जारी करके कहा था कि हमने बातचीत को पुनर्जीवित करने के लिए व्यापक रूपरेखा तैयार की लेकिन भारत ने उत्सुकता नहीं दिखाई।