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फिलीपींस, अमेरिका वार्ता को बढ़े पर सागर में चीन पीछे होने को तैयार नहीं

फिलीपींस के राष्ट्रपति रोडरीगो ड्यूटर्ट ने सागर मुद्दे पर चीन के साथ फिर बातचीत शुरू करने की इच्छा जताई है।

By Gunateet OjhaEdited By: Updated: Fri, 15 Jul 2016 07:15 PM (IST)
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मनीला, रायटर/प्रेट्र। दक्षिण चीन सागर पर आए अंतरराष्ट्रीय न्यायाधिकरण के फैसले ने चीन के एकमेव अधिकार के दावे को अवैध करार दिया है। आदेश ने एक बात साफ कर दी है कि कोई भी देश पूरे समुद्री क्षेत्र पर अपना दावा नहीं कर सकता है। यह अकेले फिलीपींस की ऐतिहासिक जीत नहीं है बल्कि वैश्विक व्यवस्था के नियमों पर मानव विश्वास की जीत है। इस जीत ने सागर क्षेत्र के सभी हिस्सेदारों के लिए संभावनाओं के द्वार खोले हैं।

यह बात शुक्रवार को फिलीपींस के सॉलीसिटर जनरल जोस कैलिडा ने एक कार्यक्रम में कही है। लेकिन चीन के विदेश मंत्री के समकक्ष काउंसलर यांग जिएची ने साफ कर दिया है कि उनका देश दक्षिण चीन सागर में एक सेंटीमीटर जगह भी छोड़ने नहीं जा रहा। मामले पर चीन के विदेश मंत्रालय ने कहा है कि दक्षिण चीन सागर में उसकी स्थिति का लाओस ने समर्थन किया है। उसका समर्थन इसलिए भी मायने रखता है क्योंकि वह इस समय दस देशों के क्षेत्रीय संगठन आसियान का प्रमुख है।

उल्लेखनीय है कि लाओस और कंबोडिया के चलते ही न्यायाधिकरण के फैसले पर आसियान की तरफ से संयुक्त बयान जारी नहीं हो सका। जबकि फिलीपींस सहित आसियान के ज्यादातर देश दक्षिण चीन सागर पर चीन के कब्जे के चलते परेशान हैं। इस बीच फिलीपींस के राष्ट्रपति रोडरीगो ड्यूटर्ट ने सागर मुद्दे पर चीन के साथ फिर बातचीत शुरू करने की इच्छा जताई है।

उन्होंने कहा कि युद्ध कोई विकल्प नहीं है, फिर तो शांतिपूर्ण वार्ता का ही विकल्प बचता है। अमेरिका ने क्षेत्र में बढ़ते तनाव को देखते हुए नौसेना के कार्रवाई प्रमुख एडमिरल जॉन रिचर्डसन को बातचीत के लिए चीन भेजने का फैसला किया है। वह रविवार को बीजिंग जाएंगे।

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