ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए ब्राजील पहुंचे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग के साथ अपनी मुलाकात में दोनों देशों के बीच जारी सीमा विवाद का मुद्दा हल करने के लिए दबाव बनाया। मंगलवार को फोर्तालेजा में मुलाकात के दौरान मोदी ने चिनफिंग से कहा, 'अगर भारत और चीन सीमा विवाद की समस्या को शांतिपूर्ण तरीके से हल करने में कामयाब हुए तो यह पूरी दुनिया के लिए मिसाल होगा।'
By Edited By: Updated: Wed, 16 Jul 2014 07:22 AM (IST)
फोर्तालेजा [ब्राजील]। ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए ब्राजील पहुंचे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग के साथ अपनी मुलाकात में दोनों देशों के बीच जारी सीमा विवाद का मुद्दा हल करने के लिए दबाव बनाया। मंगलवार को फोर्तालेजा में मुलाकात के दौरान मोदी ने चिनफिंग से कहा, 'अगर भारत और चीन सीमा विवाद की समस्या को शांतिपूर्ण तरीके से हल करने में कामयाब हुए तो यह पूरी दुनिया के लिए मिसाल होगा।'
प्रधानमंत्री ने कैलाश मानसरोवर यात्रा के लिए एक और मार्ग खोलने का आग्रह भी किया, जिस पर चिनफिंग ने विचार करने का आश्वासन दिया। शी ने सितंबर में भारत आने पर हामी भरी और मोदी को चीन यात्रा का न्योता दिया, जिसे प्रधानमंत्री ने स्वीकार कर लिया। अहम है कि बैठक के लिए निर्धारित समय 40 मिनट था, लेकिन बातचीत का सिलसिला 80 मिनट तक चलता रहा।
बैठक में भारत ने आए दिनों चीन के सैनिकों की भारतीय क्षेत्र में घुसपैठ पर विरोध दर्ज कराया। प्रधानमंत्री मोदी ने दोनों मुल्कों के एक-दूसरे पर भरोसे को मजबूत करने और सीमा पर शांति बनाए रखने पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि सीमा पर ऐसी कोई घटना नहीं होनी चाहिए, जिससे द्विपक्षीय संबंधों पर असर पड़े। दोनों पक्षों ने दोस्ताना तरीके से सीमा समस्या के समाधान पर जोर दिया। गौरतलब है कि अब तक भारत-चीन सीमा विवाद के निपटारे के लिए 17 बार विशेष प्रतिनिधि स्तर की बातचीत कर चुके हैं। भारत ने जोर देते हुए कहा कि इस विवाद की जद में 4,057 किमी लंबी वास्तविक नियंत्रण रेखा आती है, जबकि चीन ने इसके महज दो हजार किमी तक सीमित होने का दावा किया। शी ने सुझाव दिया कि दोनों पक्षों को सकारात्मक तरीके से सभी विवादों को सुलझाना चाहिए।
चिनफिंग ने द्विपक्षीय संबंधों को लेकर मोदी की समझ की प्रशंसा की। अकबरुदीन के मुताबिक, दोनों पक्षों ने माना कि भारत और चीन के पास न केवल साझेदारी की असीमित संभावनाएं हैं, बल्कि दोनों मुल्क एशिया और वैश्विक समृद्धि बढ़ाने में अहम योगदान कर सकते हैं। चिनफिंग ने दोनों देशों के आपसी संबंधों को अहम बताया। मोदी ने दोनों देशों के आर्थिक संबंधों को उठाते हुए इन्फ्रास्ट्रक्चर क्षेत्र, औद्योगिक पार्क व निवेश सहयोग की बात की। उन्होंने दोनों देशों के बीच कारोबारी असंतुलन का जिक्र करते हुए सुधार की मांग की। इस पर चीन ने भारत में निवेश बढ़ाने का वादा किया। बैठक के दौरान अंतरराष्ट्रीय मंच पर साथ काम करने की जरूरत पर बात चल ही रही थी कि चीन ने नवंबर में होने वाले एशिया प्रशांत आर्थिक सहयोग (एपेक) सम्मेलन में शिरकत के लिए भारत को न्योता दे दिया। शी ने कहा कि भारत को शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) में अपनी गतिविधियां बढ़ानी चाहिए। इस पर मोदी ने कहा कि फिलहाल भारत एससीओ का पर्यवेक्षक सदस्य है। अगर कहा जाएगा तो भारत अतिरिक्त जिम्मेदारी के लिए तैयार है। इस दौरान दोनों देशों के बीच पर्यटन को बढ़ावा देने पर भी चर्चा हुई।