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भारत का मुसलमान अलकायदा को फेल कर देगा

अच्छे और बुरे आतंकवाद के बीच किसी अंतर को खारिज करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को इस वैश्विक बुराई से प्रभावी ढंग से निपटने के लिए दुनिया के देशों से एकजुट होकर लड़ने का आह्वान किया। काउंसिल ऑफ फॉरेन रिलेशंस को संबोधित करते हुए मोदी ने स्पष्ट किया कि भारत का मुसलमान अलकायदा को फेल कर देगा।

By Edited By: Updated: Tue, 30 Sep 2014 05:53 PM (IST)
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न्यूयॉर्क। अच्छे और बुरे आतंकवाद के बीच किसी अंतर को खारिज करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को इस वैश्विक बुराई से प्रभावी ढंग से निपटने के लिए दुनिया के देशों से एकजुट होकर लड़ने का आह्वान किया। काउंसिल ऑफ फॉरेन रिलेशंस को संबोधित करते हुए मोदी ने स्पष्ट किया कि भारत का मुसलमान अलकायदा को फेल कर देगा। इस मौके पर मोदी ने गंगा को साफ करने के लिए दुनियाभर के पर्यावरण विशेषज्ञों को न्योता भी दिया।

प्रधानमंत्री ने आतंकवाद के खतरे पर विस्तार से चर्चा करते हुए ओबामा प्रशासन को यह सीख भी दी कि इराक वाली गलती अफगानिस्तान में अमेरिका न दोहराए। मोदी ने कहा, कोई अच्छा या बुरा आतंकवाद नहीं होता और न ही इसकी सीमा होती है। भारत चार दशक से आतंकवाद से जूझ रहा है।

आतंकवाद भारत में पैदा नहीं हुआ इसे बाहर से निर्यात किया गया। उन्होंने कहा कि आतंकवाद की चुनौती को गंभीरता से लेने की जरूरत है। यह दुख की बात है कि कई देश मानवता के दुश्मन आतंकवाद के कुरूप चेहरे को पहले परख नहीं सके। उन्होंने कहा कि इसे राजनीतिक नफा नुकसान के पैमाने पर मापा नहीं जा सकता। दुनिया को आतंकवाद के खिलाफ एक सुर में बोलना होगा।

मोदी ने एक बार फिर कहा कि भारत अपने सभी पड़ोसियों के साथ दोस्ताना रिश्ते बनाना चाहता है। सार्क के सदस्य देशों के सभी नेताओं को उनके शपथ ग्रहण समारोह में बुलाया गया था। इस क्रम में उन्होंने नेपाल और भूटान की यात्रा भी की। चीन के साथ सीमा विवाद का जिक्र करते हुए मोदी ने स्पष्ट कर दिया कि बीजिंग और नई दिल्ली आपसी बातचीत से इस मुद्दे का समाधान करने में सक्षम हैं।

जम्मू-कश्मीर में आई बाढ़ में बड़ी संख्या में जानमाल के नुकसान का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि गुलाम कश्मीर में बहुत अधिक नुकसान हुआ और उन्होंने इससे ्रप्रभावित पाकिस्तानी सीमा में मदद पहुंचाने के लिए भारत मदद की पेशकश की थी। प्रधानमंत्री ने इस अवसर का लाभ भारत में राजनीतिक स्थिरता एवं सरल एवं प्रभावी शासन की बात कहकर अमेरिकी निवेशकों तक पहुंचने के लिए उठाया। विश्व व्यापार संगठन करार पर भारत के रुख पर उन्होंने जोर देकर कहा कि खाद्य सुरक्षा और व्यापार सुविधा एक साथ चलेगी।

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