अमेरिका ने भारत को लौटाईं 200 दुर्लभ मूर्तियां, पीएम मोदी बोले शुक्रिया
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने तीन दिनों की यात्रा के लिए अमेरिका पहुंच गए हैंं। उनके आगमन पर यहां जोरदार स्वागत किया गया। वे जेनेवा से वाशिंगटन के लिए रवाना हुए थे।
वाशिंगटन, प्रेट्र। अमेरिका गए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को दो सौ वे अनमोल सौगातें मिलीं जो कभी भारत से चोरी करके वहां ले जाई गई थीं। इनमें से कुछ दो हजार साल तक पुरानी हैं। इन सबकी मौजूदा कीमत 100 मिलियन डॉलर (667 करोड़ रुपये) के करीब है। अमेरिकी एजेंसियों ने इन्हें समय-समय पर बरामद किया था। प्रधानमंत्री मोदी ने इसके लिए शुक्रिया अदा किया और कहा कि सांस्कृतिक विरासत द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत बनाने में बड़ा योगदान देती है। लौटाई गई प्राचीन वस्तुओं में भगवान गणेश की एक हजार साल पुरानी कांसे की मूर्ति भी है।
अमेरिकी राष्ट्रपति के अतिथि गृह ब्लेयर हाउस में आयोजित समारोह में मोदी ने कहा, अक्सर देशों के बीच वर्तमान की स्थितियों के मुताबिक संबंध बनते हैं। लेकिन कभी-कभी विरासत भी उनके संबंधों की मजबूती की वजह बन जाती है। जो काम जिंदा लोग नहीं कर पाते, वे प्राचीन वस्तुएं कर जाती हैं। उन्होंने कहा कि पिछले दो साल में कई देशों ने भारत को उसकी पुरातात्विक महत्व वाली वस्तुएं वापस की हैं। इसके लिए कार्य करने वाली एजेंसियां बधाई की पात्र हैं।
मोदी ने इस दौरान भारत की समृद्ध पुरातात्विक विरासत का भी उल्लेख किया। कार्यक्रम में भारतीय राजदूत अरुण के सिंह ने बताया कि 12 वस्तुएं सोमवार को ही भारत भेजी जा रही हैं जबकि बाकी की बाद में भेजी जाएंगी। वापस लौटाई गई कई वस्तुएं न्यूयॉर्क में आर्ट गैलरी चलाने वाले सुभाष कपूर से बरामद की गईं। उसने इन्हें गैरकानूनी तरीके से भारत से मंगवाया था। कपूर इन दिनों भारतीय पुलिस की हिरासत में हैं और अदालत में आरोपों पर सुनवाई का इंतजार कर रहा है।
एयरबेस पर मौजूद भारतीय समुदाय के लोगों से पीएम ने मुलाकात की और उनका अभिवादन स्वीकार किया।
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इसके बाद पीएम मोदी अपनी अमेरिका यात्रा के दौरान अर्लिंग्टन समाधि स्थल पर पहुंचे और युद्ध वीरों की समाधियों पर फूल चढ़ाए।
बता दें कि 624 एकड़ में फैले इस कब्रिस्तान में अमेरिका के वॉर हीरोज को दफनाया गया है। यहां अर्लिंग्टन समाधि स्थल में 1861 से 1865 तक चले अमेरिकी गृह युद्ध में मारे गए लोगों को भी दफनाया गया है।
अर्लिंग्टन समाधि स्थल को 13 मई 1864 को स्थापित किया गया था। यानी गृह युद्ध के दौरान ही यह समाधि स्थल बना।
इसके बाद पीएम मोदी अमेरिका के ब्लेयर हाउस पहुंचे, जहां दुर्लभ भारतीय कलाकृतियों को प्रत्यर्पित करने की रश्म अदायगी की गई। इस दौरान पीएम मोदी के साथ वहां की अटार्नी जनरल भी मौजूद थीं।
लौटाई गई मूर्तियों में ब्रॉन्च से बने गणेश की भी मूर्ति थी।
इसके अलावा जैन के बाहुबाली की भी मूर्ति प्रत्यर्पित की गई। सांस्कृतिक संपदा की स्वदेश वापसी पर विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता विकास स्वरूप ने कहा कि 200 कलाकृतियों को भारत वापस लाया जाएगा।
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