शनि के चांद पर फुहारों का राज खोला विज्ञानियों ने
वैज्ञानियों ने शनि के बर्फीले चांद एन्सीलेडस की सतह पर लगातार हो रही फुहारों का राज पता लगा लिया है। यह वही चांद है जो जीवन की संभावनाएं खोजने के लिए अधिकतम विज्ञानियों की रुचि का केंद्र बना हुआ है।
By Gunateet OjhaEdited By: Updated: Wed, 30 Mar 2016 06:27 AM (IST)
वाशिंगटन। वैज्ञानियों ने शनि के बर्फीले चांद एन्सीलेडस की सतह पर लगातार हो रही फुहारों का राज पता लगा लिया है। यह वही चांद है जो जीवन की संभावनाएं खोजने के लिए अधिकतम विज्ञानियों की रुचि का केंद्र बना हुआ है। कैसीनी यान से मिली जानकारी के अनुसार फुहारों के रूप में यह प्रस्फुटन 2005 से लगातार हो रहा है।
प्रक्रिया का जारी रहना रहस्य बना हुआ था। अब शिकागो और प्रिंसेटोन विश्र्वविद्यायल के विज्ञानियों ने पाया है कि सतह के नीचे ज्वार-भाटे जैसे आवर्ती दबाव के कारण एन्सीलेडस पर लगातार प्रस्फुटन हो रहा है। विज्ञानी एडविन काइट ने कहा कि धरती पर ऐसे प्रस्फुटन का सिलसिला अधिक देर तक नहीं चल सकता। यदि कहीं ऐसा हुआ तो बेहद सीमित क्षेत्र में होता है लेकिन एन्सीलाडस में लगता है कि बर्फीले धरातल के नीचे समुद्र लहलहा रहा है। दक्षिणी धु्रव के निकट दरारों से यह फूट रहा है। इनको टाइगर स्ट्रिप्स कहा गया है। इनमें से वाष्प के साथ बर्फ के छोटे टुकड़े भी निकल रहे हैं। यह राज भी था कि ये दरारें चांद की खुद की बर्फ से ढक क्यों नहीं जातीं। विज्ञानी ने बताया कि ज्वार भाटा जैसी प्रक्रिया के कारण बर्फीली सतह के क्षय की वजह से ऐसा नहीं हो पाता। कैसीनी से मिले आंकड़ों स संकेत मिल रहा है कि इस चांद की सतह पर भी महासागर से मिलता-जुलता वातावरण बन गया है।