शरीफ की कुर्सी पर मंडराया खतरा, सेना से 11 अधिकारी बर्खास्त
पाकिस्तानी प्रधानमंत्री नवाज शरीफ की कुर्सी पर खतरा मंडराने लगा है। सेना ने 11 अधिकारियों को एक झटके में बाहर का रास्ता दिखाकर इन अटकलों को बल दिया है।
इस्लामाबाद, प्रेट्र । पाकिस्तानी प्रधानमंत्री नवाज शरीफ की कुर्सी पर खतरा मंडराने लगा है। सेना ने 11 अधिकारियों को एक झटके में बाहर का रास्ता दिखाकर इन अटकलों को बल दिया है। बीबीसी के अनुसार पहली बार सेना से इतने बड़े पैमाने पर अधिकारियों को निकाला गया है और उसका प्रचार किया जा रहा है।
सेना प्रमुख राहिल शरीफ ने भ्रष्टाचार के आरोप में जिन अधिकारियों को बर्खास्त किया है उनमें एक लेफ्टिनेंट जनरल, एक मेजर जनरल, पांच ब्रिगेडियर, तीन कर्नल और एक मेजर हैं। भ्रष्टाचार के आरोपों में दो सैनिक भी बर्खास्त किए गए हैं। हालांकि सैन्य अधिकारियों की बर्खास्तगी का फिलहाल आधिकारिक एलान नहीं हुआ है। पर स्थानीय टीवी चैनल इसे प्रमुखता से प्रसारित कर रहे हैं।
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इस फैसले से कुछ दिनों पहले ही जनरल शरीफ ने हर स्तर पर जवाबदेही तय करने की मांग करते हुए कहा था कि जब तक भ्रष्टाचार को जड़ से खत्म नहीं किया जाता आतंकवाद और कट्टरपंथ के खिलाफ लड़ाई स्थायी शांति और स्थिरता नहीं ला सकती है। जानकारों के अनुसार सेना का जवाबदेही तय करने का अंदाज राजनीतिक ज्यादा लग रहा है। असल में, पनामा पेपर्स लीक मामले में प्रधानमंत्री नवाज शरीफ के परिवार के लोगों का नाम आने के लिहाज से यह फैसला बेहद महत्वपूर्ण माना जा रहा है। ऐसा माना जाता है कि सेना प्रमुख के फैसले के बाद प्रधानमंत्री के इस्तीफे की मांग तेज हो सकती है।
बच्चों को पाक-साफ साबित करने की खाई कसम
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने पनामा पेपर्स मामले में अपने तीन बच्चों को पाक-साफ साबित करने की कसम खाई है। 'डॉन न्यूज' की एक रिपोर्ट के अनुसार वह जल्द से जल्द इस मामले की जांच पूरी करवाना चाहते हैं चाहे यह जांच किसी न्यायिक आयोग से हो या फिर किसी अन्य समिति से। इलाज के लिए लंदन में एक हफ्ते तक प्रवास करने के बाद शरीफ मंगलवार को स्वदेश लौटे हैं और बताया जाता है कि पनामा पेपर्स मामले को लेकर उन पर काफी दबाव है। पनामा पेपर्स में उनके बेटों हसन और हुसैन तथा बेटी मरियम को विदेशी कंपनियों का मालिक बताया गया है।
प्रधानमंत्री ने लंदन रवाना होने से पहले मामले की जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट के किसी रिटायर्ड जज की अध्यक्षता में एक विशेष आयोग के गठन का वादा किया था। विपक्ष ने उनकी यह पेशकश ठुकरा दी थी। अखबार ने शरीफ के सहयोगियों के हवाले से कहा कि अगर न्यायिक आयोग के गठन के मुद्दे पर सहमति नहीं बन पाती है तो संयुक्त संसदीय समिति के गठन का विकल्प भी अपनाया जाएगा।