चीन पर साइबर हमले कराता है अमेरिका
अमेरिकी खुफिया एजेंसी सीआइए के पूर्व कर्मचारी और एक टॉप सीक्रेट कार्यक्रम प्रिज्म का खुलासा करने वाले एडवर्ड स्नोडेन भूमिगत हो गए हैं। दो दिन पहले उन्होंने हांगकांग का अपना होटल छोड़ दिया था। अब कोई नहीं जानता कि ये अमेरिका और उसके सहयोगियों को हिलाकर रख देने वाले स्नोडेन कहां हैं।
बीजिंग। अमेरिकी खुफिया एजेंसी सीआइए के पूर्व कर्मचारी और टॉप सीक्रेट कार्यक्रम प्रिज्म का खुलासा करके दुनिया को हिलाने वाले एडवर्ड स्नोडेन ने भूमिगत होने के दो दिन बाद फिर से वाशिंगटन पर हमला बोला है। स्नोडेन ने साउथ चाइना मॉर्निग पोस्ट से एक साक्षात्कार में कहा कि अमेरिका चीन की जासूसी कराने के अलावा इस कम्युनिस्ट देश पर साइबर हमले भी कराता है।
दो दिन पहले पूर्व सीआइए कर्मचारी ने हांगकांग का अपना होटल छोड़ दिया था। तब से कोई नहीं जानता था कि वह कहां हैं? स्नोडेन के इस साक्षात्कार से अमेरिका और उसके सहयोगी देशों की परेशानियां बढ़ सकती हैं। स्नोडेन ने कहा कि जिन लोगों को लगता है कि मैं कानून से भागने के लिए हांगकांग आया हूं, वे गलत हैं। हांगकांग को चुनने के पीछे बड़ी वजह यह थी कि मैं एक अपराध का खुलासा करने आया हूं। मैं छिप नहीं रहा। यदि अमेरिकी सरकार ने उनके प्रत्यर्पण की कोशिश की तो वे इसके खिलाफ लड़ेंगे। मैं चाहूंगा कि अदालत और हांगकांग की जनता मेरे भाग्य का फैसला करे। मुझे यहां की न्याय व्यवस्था पर पूरा भरोसा है।
माना जा रहा है कि अमेरिका स्नोडेन के खिलाफ आपराधिक मामले में जांच कर रहा है। हालांकि, अभी तक वाशिंगटन ने हांगकांग से उनके प्रत्यर्पण की मांग नहीं की है। इससे पहले स्नोडेन के समर्थकों और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं ने अमेरिकी दूतावास के सामने रैली निकाली। उन्होंने खुलासा करने वाले को सुरक्षा दिए जाने की मांग करने के अलावा अमेरिका सरकार की निंदा भी की।
हांगकांग के अखबारों ने लिखा है कि स्नोडेन की प्रेमिका लिंजी मिल्स भी उनके साथ नहीं है। लिंजी के पिता जोनाथन ने कहा कि वह दो हफ्तों से नहीं जानते कि उनकी बेटी कहां है। एप्पल डेली ने लिखा कि स्नोडेन ने अभी तक हांगकांग नहीं छोड़ा है।
पारदर्शिता के पक्ष में एकजुट हुई गूगल, माइक्रोसॉफ्ट, फेसबुक
सेन फ्रांसिस्को। अमेरिका की तीन दिग्गज कंपनियों गूगल, माइक्रोसॉफ्ट और फेसबुक ने अमेरिकी सरकार से राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दे पर पारदर्शिता की मांग की है। मीडिया रिपोर्टो में कहा गया था कि खुफिया कार्यक्रम प्रिज्म के लिए ये कंपनियां भी सरकार के साथ काम कर रही थीं। गूगल इंक ने न्याय मंत्रालय को पत्र लिखकर मांग की है कि वह जनता को बताए कि सुरक्षा एजेंसियों ने कितनी बार इंटरनेट कंपनियों से जानकारी मांगी। इसके अलावा फॉरेन इंटेलीजेंस सर्विलांस एक्ट के तहत मांगी गई जानकारियां भी सार्वजनिक की जाएं। माइक्रोसॉफ्ट और फेसबुक ने भी इसका समर्थन किया है।
प्रिज्म कार्यक्रम बंद करने के पक्ष में अमेरिकी सांसद
वाशिंगटन। अमेरिकी खुफिया कार्यक्रम प्रिज्म के खुलासे से सांसद हैरान हैं। कुछ सांसदों ने इस कार्यक्रम को बंद करने की मांग की है। कांग्रेस सदस्यों और खुफिया कार्यक्रमों पर नजर रखने वाली समितियों को इस कार्यक्रम के बारे में रोजाना जानकारी दी जा रही है। राष्ट्रीय सुरक्षा के नाम पर किया गया यह काम न तो सांसदों न ही अमेरिका के सहयोगी देशों को पच रहा है। सांसदों ने कांग्रेस में इस मुद्दे पर बहस की मांग भी की है।
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