पाकिस्तान में हिंदुओं के लिए विशेष विवाह कानून जल्द लागू होने की उम्मीद
पाकिस्तान में हिंदुओं के लिए विशेष विवाह कानून के जल्द ही अस्तित्व में आने की संभावनाएं बढ़ गई हैं।
इस्लामाबाद। पाकिस्तान में हिंदुओं के लिए विशेष विवाह कानून के जल्द ही अस्तित्व में आने की संभावनाएं बढ़ गई हैं।
तमाम बाधाओं और लेट-लतीफी के बाद कानून एवं न्याय पर नेशनल असेंबली की स्थायी समिति ने आखिरकार हिंदू मैरिज बिल-2015 के मसौदे को सर्वसम्मति से मंजूरी दे दी। संसद में पारित होने के बाद यह कानून अमल में आ जाएगा।
प्रस्तावित कानून के मसौदे पर चर्चा के लिए पांच हिंदू सांसदों को विशेष तौर पर आमंत्रित किया गया था। दो संशोधनों के बाद इसे एकमत से स्वीकार कर लिया गया। हिंदू लड़का और लड़की दोनों के लिए शादी की न्यूनतम आयु 18 वर्ष तय की गई है। विधेयक को अब नेशनल असेंबली में पेश किया जाएगा। संसद में इसके पारित होने की पूरी उम्मीद है, क्योंकि सत्तारूढ़ पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज (पीएमएल-एन) पार्टी इसके समर्थन में है।
विधेयक के मसौदे को स्वीकार करने में हुई देरी पर संसदीय समिति के अध्यक्ष चौधरी महमूद बशीर विर्क ने अफसोस जताया है। उन्होंने कहा, 'मसौदे को स्वीकार करने में हुई देरी अनुचित है। मुस्लिमों खासतौर पर राजनेताओं को विधेयक के लिए मार्ग प्रशस्त करना चाहिए था, उसके रास्ते में रोड़े नहीं अटकाने चाहिए थे। यदि 99 फीसद की आबादी वाले मुस्लिम समुदाय को एक प्रतिशत से डर लगता है तो ऐसी स्थिति में हमें अपने अंदर झांकने की जरूरत है।'
विर्क और पीएमएल-एन नेता डॉक्टर रमेश कुमार वंकवानी ने विधेयक के मसौदे पर सहमति बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। हालांकि, पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी की शागुफ्ता जुमानी और पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ के सांसद अली मुहम्मद खान ने ¨हदू लड़कियों की न्यूनतम उम्र को लेकर कई सवाल उठाए थे।
पति या पत्नी में से किसी के द्वारा इस्लाम कुबूल करने पर शादी की स्थिति का भी सवाल उठाया गया। वंकवानी ने हालांकि ऐसी परिस्थिति में शादी को समाप्त करने के प्रावधान को हटाने की पुरजोर लेकिन असफल कोशिश की। ज्ञात हो कि बलूचिस्तान और खैबर पख्तूनख्वा प्रांत इसे जुड़े जरूरी प्रस्ताव पहले ही पारित कर चुके हैं।
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