श्रीलंका में तख्तापलट की साजिश की जांच कराएगी सरकार
श्रीलंका के लंबे समय तक राष्ट्रपति रहे महिंदा राजपक्षे की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रहीं हैं। आठ जनवरी को हुए चुनाव के बाद सत्ता में आई नई सरकार ने सेना की मदद से तख्तापलट की साजिश रचने के उनके कथित नाकाम प्रयासों की जांच कराने का फैसला
By Sachin kEdited By: Updated: Sun, 11 Jan 2015 03:46 PM (IST)
कोलंबो। श्रीलंका के लंबे समय तक राष्ट्रपति रहे महिंदा राजपक्षे की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रहीं हैं। आठ जनवरी को हुए चुनाव के बाद सत्ता में आई नई सरकार ने सेना की मदद से तख्तापलट की साजिश रचने के उनके कथित नाकाम प्रयासों की जांच कराने का फैसला किया है।
नवनियुक्त राष्ट्रपति मैत्रिपाल सिरीसेन के प्रवक्ता मंगला समरवीरा ने रविवार को बताया कि नया मंत्रिमंडल सबसे पहले पूर्व राष्ट्रपति राजपक्षे द्वारा तख्ता पलट के जरिये सत्ता हासिल करने के प्रयास की जांच कराएगा। बकौल मंगला समरवीरा सेना व पुलिस महानिरीक्षक द्वारा मदद से इंकार के बाद ही राजपक्षे ने अपने कदम पीछे खींच लिए थे। इससे पहले सिरीसेन के मुख्य प्रवक्ता रजीता सेनारत्ने ने आरोप लगाया था कि चुनाव हारने के बाद पूर्व राष्ट्रपति ने सेना प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल दया रत्नायके पर सेना तैनात करने के लिए दबाव डाला था। हालांकि, सेनाध्यक्ष ने इससे इंकार कर दिया था। सेनारत्ने के मुताबिक, आखिरी पलों में भी राजपक्षे सत्ता में बने रहना चाहते थे। कोई विकल्प शेष नहीं होने पर उन्होंने हटने का फैसला किया। सेना की ओर से हालांकि इस पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी गई है।
राजपक्षे के प्रवक्ता ने इन आरोपों का खंडन किया है। मोहन समरनायके ने कहा कि ऐसा कोई प्रयास नहीं किया गया। नौ जनवरी को तड़के तकरीबन साढ़े तीन बजे जब मतगणना चल रही थी, राजपक्षे ने हार को देखते हुए हटने का निर्णय ले लिया था। उन्होंने कहा कि कुछ नेताओं को आधारहीन आरोप लगाने की आदत है। पढ़ेंः राजपक्षे ने मानी हार, छोड़ा सरकारी आवास