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पाक के ‘छोटू गैंग’ की दास्‍तान

'छोटू गैंग' पाकिस्‍तान में डाकुओं का एक गिरोह है जो अब तक पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में सिंध नदी में बने एक टापू से अपना काम करता था।

By Monika minalEdited By: Updated: Thu, 21 Apr 2016 01:19 PM (IST)
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पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में करीब तीन हफ्ते की लंबी लड़ाई के बाद छोटू गैंग ने हथियार डाल दिए हैं। गैंग के सरगना गुलाम रसूल उर्फ छोटू ने अपने 70 से ज्यादा साथियों के साथ सेना के सामने समर्पण किया। अगवा किए गए 24 पुलिसकर्मियों को भी डकैतों ने छोड़ दिया है। पुलिस के मुताबिक कराची से करीब चार सौ किमी दूर राजनपुर में छोटू और उसके साथियों ने हथियार डाले हैं। जानिए कौन हैं छोटू गैंग उससे जुड़ी कुछ खास बातें।

लंबी लड़ाई के बाद छोटू गैंग का समर्पण

एक छोटे किसान के बेटे ग़ुलाम रसूल उर्फ़ छोटू ने 1988 में काशमोर इलाक़े में ट्रक ड्राइवरों के लिए बने ढाबे पर भी काम किया है। उस समय उसकी उम्र महज 13 साल थी।

अख़बार को दिए इंटरव्यू में छोटू ने बताया था कि एक झगड़े में उनके एक भाई को जेल हो गई। इसके बाद वो, उनके अन्य भाई और पिता गिरफ्तारी से बचने के लिए इधर-उधर भागने लगा।

छोटू अपनी ज़मीन वापस पाने के लिए बाबा लवांग के गिरोह में शामिल हो गया था। बाद में उसके भाई भी इस गिरोह से जुड़ गए।

- छोटू गैंग स्थानीय बदमाशों का एक गिरोह है जो 2002 में लूटपाट किया करता था। इसका सरगना गुलाम रसूल उर्फ छोटू है।

- छोटू गैंग के पास बड़ी मात्रा में आधुनिक हथियार और सैन्य साजोसामान मौजूद है। कहा जाता है इस गैंग के पास विमान को मार गिराने वाली तोंपें हैं।

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- ये गिरोह रॉकेट लॉन्चर, लाइट मशीन गनें, सब मशीन गन, टैंक को ध्वस्त करने वाली बारूदी सुरंगें इस्तेमाल करता रहा है।

- छोटू गैंग का राजनपुर में नदी में बने कई टापुओं पर नियंत्रण है, जहां घने जंगल हैं। यह गिरोह पंजाब प्रांत में सिंध नदीं में बने एक टापू से अपना काम करता है।

- 2004 तक छोटू पंजाब का सबसे बड़ा क्रिमिनल बन गया। 2005 में छोटू ने सिंधु रिवर हाईवे से 12 चीनी इंजीनियरों को अगवा किया था।

- सरकार ने गिरोह के सरगना छोटू के सिर पर 20 लाख रुपए का इनाम रखा गया था।

- छोटू के खिलाफ अपहरण, कत्ल, डकैतियों, पुलिस मुठभेड़ों, पुलिसवालों को अगवा करने, हथियार छीनने और वसूली करने के 95 मामले दर्ज हैं।

- ये टापू अंग्रेजों के ज़माने से ही डाकुओं, स्वतंत्रता सेनानियों और चरमपंथियों के छिपने का स्थान रहा है, क्योंकि यह अलग-अलग अधिकार क्षेत्रों में आता है, जहां अक्सर तालमेल का अभाव रहता है।

- (जेएनएन)