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अफगानियों के सपने पूरे करने में मदद करेगा भारत

भारत ने अफगानिस्तान को भरोसा दिलाया है कि अफगानी लोगों के सपने पूरे करने में वह हरसंभव मदद देगा। काबुल पहुंचीं विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने अफगानिस्तान को भारत को अफगानिस्तान का पहला रणनीतिक सहयोगी बताते हुए कहा कि भारत अफगानिस्तान के साथ रक्षा एवं सुरक्षा सहयोग बढ़ाएगा। साथ ही युद्ध की विभीषिका झेल चुके इस राष्ट्र के पुनर्निर्माण में मदद लगातार बढ़ती रहेगी।

By Edited By: Updated: Thu, 11 Sep 2014 10:00 AM (IST)

काबुल। भारत ने अफगानिस्तान को भरोसा दिलाया है कि अफगानी लोगों के सपने पूरे करने में वह हरसंभव मदद देगा। काबुल पहुंचीं विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने अफगानिस्तान को भारत को अफगानिस्तान का पहला रणनीतिक सहयोगी बताते हुए कहा कि भारत अफगानिस्तान के साथ रक्षा एवं सुरक्षा सहयोग बढ़ाएगा। साथ ही युद्ध की विभीषिका झेल चुके इस राष्ट्र के पुनर्निर्माण में मदद लगातार बढ़ती रहेगी।

अफगानिस्तान की पहली यात्रा पर आईं स्वराज ने बुधवार को राष्ट्रपति हामिद करजई से मुलाकात की। दोनों नेताओं ने साल के अंत में नाटो फौज की वापसी के बाद पैदा होने वाली राजनीतिक एवं सुरक्षा चुनौतियों पर विस्तार से चर्चा की। विदेश मंत्री स्वराज ने काबुल में नए भारतीय दूतावास का उद्घाटन किया। इस दूतावास को बनाने में भारत ने करीब चार करोड़ डॉलर खर्च किए हैं। इस मौके पर वरिष्ठ अफगानी नेताओं की मौजूदगी में स्वराज ने कहा, 'अफगानिस्तान में बदलाव के दौर का यह सबसे महत्वपूर्ण दशक है। नई दिल्ली हमेशा से काबुल का रणनीतिक सहयोगी रहा है। हम इस देश को एक मजबूत, स्वतंत्र और समृद्ध राष्ट्र के तौर पर आगे बढ़ता देखना चाहते हैं। इन्हीं मूल्यों के लिए हजारों अफगानियों ने अपना खून बहाया है। भारत आपको कभी अकेला छोड़कर नहीं जाएगा।'

स्वराज ने करजई को भरोसा दिलाया कि अफगानिस्तान के सामने आने वाली सभी चुनौतियों में भारत एक मित्र राष्ट्र के रूप में उसके साथ खड़ा रहेगा। भारत यहां करीब दो अरब डॉलर का निवेश कर चुका है। इसके अलावा सैन्य अधिकारियों को प्रशिक्षण भी भारत में दिया जा रहा है। नाटो सेना के वापसी की घोषणा के बाद से ही अफगानी नेतृत्व भारत से सैन्य साजोसामान की आपूर्ति चाह रहा है। सूत्रों के मुताबिक, करजई ने स्वराज से मुलाकात के दौरान सैन्य आपूर्ति का मुद्दा भी उठाया।

अगले हफ्ते घोषित होगा नया राष्ट्रपति:

अफगानिस्तान में राष्ट्रपति चुनाव के नतीजे महीनों की कोशिश के बावजूद अधर में लटके हुए हैं। दोनों प्रत्याशियों अब्दुल्ला अब्दुल्ला और अशरफ गनी के बीच समझौता न हो पाने से करजई के उत्तराधिकारी की तलाश अभी तक पूरी नहीं हो पाई है। मगर चुनाव आयोग के सूत्रों ने बताया कि यदि अगले हफ्ते तक दोनों प्रत्याशियों में समझौता नहीं हुआ तो विजेता के नाम की घोषणा कर दी जाएगी।

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