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सुषमा के दौरे को बहुत महत्वपूर्ण मान रहा चीन

चीन ने बुधवार को कहा कि वह भारतीय विदेश मंत्री सुषमा स्वराज के इस हफ्ते होने वाले चार दिवसीय अपने देश के दौरे को बहुत महत्वपूर्ण मानता है। शनिवार से शुरू हो रहे इस दौरे के क्रम में वह चीन के शीर्ष नेताओं के साथ-साथ अपने चीनी समकक्ष वांग वी

By manoj yadavEdited By: Updated: Wed, 28 Jan 2015 07:32 PM (IST)
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बीजिंग। चीन ने बुधवार को कहा कि वह भारतीय विदेश मंत्री सुषमा स्वराज के इस हफ्ते होने वाले चार दिवसीय अपने देश के दौरे को बहुत महत्वपूर्ण मानता है। शनिवार से शुरू हो रहे इस दौरे के क्रम में वह चीन के शीर्ष नेताओं के साथ-साथ अपने चीनी समकक्ष वांग वी के साथ बातचीत करेंगी और 13 वीं रूस-भारत-चीन (आरआइसी) के विदेश मंत्रियों की बैठक में भाग लेंगी। इसके अलावा वह 'विजिट इंडिया ईयर' का भी उद्घाटन भी करेंगी।

इसका आयोजन चीन से और पर्यटकों को भारत दौरे के लिए आकर्षित करने के लिए किया जा रहा है। यह बात एक मीडिया ब्रीफिंग में चीनी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता हुआ चुनइंग ने बीजिंग में कही। उन्होंने यह भी कहा कि दोनों सबसे बड़े विकासशील देशों और उभरती अर्थव्यवस्थाओं के आपसी रिश्तों में ठोस और स्थाई ढंग से प्रगति हो रही है।

अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा के तीन दिवसीय भारत यात्रा की समाप्ति के एक हफ्ते के अंदर ही चीन दौरे के दौरान सुषमा अपने समकक्ष के साथ वैसे सभी द्विपक्षीय, क्षेत्रीय और वैश्विक मुद्दों पर चर्चा करेंगी जो चिंता के सबब हैं। दिल्ली में विदेश मंत्रालय से जारी एक बयान में यह बात कही गई है। दोनों पक्ष इस साल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के चीन दौरे की संभावना भी तलाशेंगे। चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग और विदेशमंत्री वांग केंद्र में मोदी सरकार के गठन के कुछ ही दिनों बाद भारत दौरे पर आए थे।

नई सरकार में विदेश मंत्री पद संभालने के बाद सुषमा की यह पहली चीन यात्रा है। वह एक से तीन फरवरी तक चीन में रहेंगी। उल्लेखनीय है कि ओबामा की यात्रा के बाद चीन काफी असहज महसूस कर रहा था। ओबामा की इस यात्रा के दौरान भारत और अमेरिका ने एशिया प्रशांत क्षेत्र के लिए संयुक्त रणनीतिक समझौते पर हस्ताक्षर किए थे जिस पर चीन ने कड़ी आपत्ति जताई थी और उसके सरकारी मीडिया ने इसे 'दिखावा' बताया था। अमेरिकी राष्ट्रपति ओबामा और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की बातचीत के बाद अमेरिका और भारत के संयुक्त वक्तव्य जारी किए जाने से भी चीन नाखुश था।

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