ब्रिटेन की कोरस से छुटकारा पाएगी टाटा स्टील
पिछले एक साल के दौरान उसकी ब्रिटिश यूनिट का प्रदर्शन बहुत खराब हो गया है। स्टील की कीमतों में भारी गिरावट, ऊंची उत्पादन लागत और चीन की ओर से बढ़ती प्रतिस्पर्धा इसकी प्रमुख वजहें रहीं। इसके कारण हजारों कर्मचारियों की नौकरियां खतरे में पड़ गई हैं।
By Atul GuptaEdited By: Updated: Thu, 31 Mar 2016 09:13 AM (IST)
लंदन। टाटा स्टील ब्रिटेन में अपना पूरा बिजनेस बेचने का फैसला किया है ताकि भारी-भरकम नुकसान से पार पाया जा सके। कंपनी यूरोप में 12 वर्षो से सफल होने का प्रयास करती रही लेकिन इस अरमान पर पानी फिर गया।
टाटा स्टील की ओर से कहा गया कि पिछले एक साल के दौरान उसकी ब्रिटिश यूनिट का प्रदर्शन बहुत खराब हो गया है। स्टील की कीमतों में भारी गिरावट, ऊंची उत्पादन लागत और चीन की ओर से बढ़ती प्रतिस्पर्धा इसकी प्रमुख वजहें रहीं। इसके कारण हजारों कर्मचारियों की नौकरियां खतरे में पड़ गई हैं।
बोर्ड की बैठक में हुआ फैसला
दुनिया की सबसे बड़ी स्टील कंपनियों में शुमार टाटा स्टील के निदेशक मंडल ने मंगलवार की रात ब्रिटिश यूनिट को संकट से उबारने की योजना पर चर्चा की। बैठक के बाद जारी बयान में कहा गया कि ब्रिटिश यूनिट की तंग हालत को देखते हुए टाटा स्टील यूरोप के निदेशक मंडल को सलाह दी जाएगी कि उसके लिए सबसे अच्छा विकल्प चुना जाए और उसे समयबद्घ तरीके से लागू किया जाए। बिजनेस को बेचने के अलावा पुनर्गठन जैसे विकल्पों पर विचार होगा।
शुभ नहीं रहा कोरस का अधिग्रहण
टाटा ग्रुप ने 2007 के दौरान 14 अरब डॉलर में कोरस ग्रुप का अधिग्रहण किया था। तब से अब तक टाटा स्टील यूरोप में कभी भी मुनाफे में नहीं आई। हालांकि कोशिशें बहुत की गई। मसलन, कई बार बिजनेस का ढांचा बदला गया, कर्मचारियों की छंटनी की गई, संपत्तियां बेची गई और आधुनिकीकरण किया गया। लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ।
ब्रिटेन से निकलकर फायदे में रहेगी कंपनी विश्लेषकों के मुताबिक ब्रिटिश बिजनेस बेचने से टाटा स्टील को बहुत फायदा होगा। इसकी बदौलत घाटे और कर्ज में कमी आएगी। कंपनी का कारोबार भारत से लेकर यूरोप और दक्षिण-पूर्वी एशिया तक फैला हुआ है। कंपनी के यूरोपियन बिजनेस में ब्रिटेन के पोर्ट टेलबॉट, स्कनथोर्प प्लांट और अन्य यूनिट्स शामिल हैं। नीदरलैंड्स का इजमुइडेन प्लांट भी इसका हिस्सा है।
भारतीय बिजनेस से मुनाफा भारत में टाटा स्टील का कारोबार फायदे में है। लेकिन, यूरोप में बिजनेस अच्छा नहीं चल रहा है, जिसका असर पूरी कंपनी के माली हालत पर हो रहा है। ऐसा नहीं है कि यूरोप में केवल टाटा स्टील के लिए परेशानी है। वहां दूसरी स्टील कंपनियां भी ऐसी ही दिक्कतों का सामना कर रही हैं।ब्रिटेन सभी विकल्पों पर विचार करेगा ब्रिटिश सरकार ने इस मसले में कहा है कि सरकार देश की सबसे बड़ी स्टील कंपनी के अस्थाई राष्ट्रीयकरण समेत सभी विकल्पों पर विचार कर रही है। व्यापार मंत्री अन्ना सोब्री ने कहा कि कंपनी के लिए उपयुक्त खरीदार मिलने तक के लिए सभी विकल्पों पर विचार किया जाएगा ताकि हजारों कर्मचारियों को बेरोजगार होने से बचाया जा सके। कंपनी में करीब 15,000 कर्मचारी हैं।
राष्ट्रीयकरण की मांग उठाई यूनियनों ने ब्रिटेन में कंपनी से जुड़े श्रम संगठनों ने प्रधानमंत्री डेविट कैमरन से ब्रिटिश कंपनी के राष्ट्रीयकरण की मांग की है। ब्रिटेन की सबसे बड़ी ट्रेड यूनियन यूनाइट्स के महासचिव मैक क्लूस्की ने दुबारा राष्ट्रीयकरण की मांग को नजरंदाज नहीं किया जा सकता है।पढ़ें- सरकारी खजाने में राशि जमा नहीं कर रही टाटा स्टील