पेरिस की इस पत्रिका पर क्यों होते हैं आतंकी हमले...
फ्रांस के परिस में बुधवार को चार्ली हेब्दो मैगजीन के दफ्तर पर हमला कर 12 लोगों को जान से मार दिया। चार्ली हेब्दो, फ्रांस की सबसे ज्यादा चर्चित व्यंग्यात्मक मैगजीन है। इसकी अपनी शैली है जिसमें कार्टून, चुटकुले और व्यंग्यात्मक भाषा का प्रयोग किया जाता है। यह एक सप्ताहिक मैगजीन
By manoj yadavEdited By: Updated: Thu, 08 Jan 2015 01:03 PM (IST)
पेरिस। फ्रांस के परिस में बुधवार को चार्ली हेब्दो मैगजीन के दफ्तर पर हमला कर 12 लोगों को जान से मार दिया। चार्ली हेब्दो, फ्रांस की सबसे ज्यादा चर्चित व्यंग्यात्मक मैगजीन है। इसकी अपनी शैली है जिसमें कार्टून, चुटकुले और व्यंग्यात्मक भाषा का प्रयोग किया जाता है।
यह एक सप्ताहिक मैगजीन है जो हर बुधवार को छपती है। इसकी पहचान राजनीति और संस्कृतिक विषयों के अलावा दक्षिणपंथियों, मुस्लिम और यहूदी धर्म पर व्यंग्य से संबंधित लेखों का प्रकाशन भी है। इस मैगजीन का प्रकाशन 1969 में शुरू हुआ था और उस समय यह हाराकिरी नाम से छपा करती थी, जो 1981 आते-आते बंद हो गया था। 1992 में इसे फिर शुरू किया गया।दुनिया में ऐसे बनी पहचान
दुनियाभर के लोगों में इसकी चर्चा उस समय हुई जब वर्ष 2005 में एक समाचार पत्र में मुस्लिमों के धर्मगुरू पैगम्बर मोहम्मद पर छपे कार्टूनों का दुनिया भर के मुस्लिमों ने विरोध किया गया था। शार्ली हेब्डो ने दो साल बाद 2007 में वही कार्टून अपनी पत्रिका में छाप दिया था, जिसकी वजह से फ्रांस के दो बड़े मुस्लिम संगठनों ने उस पर कानूनी कार्रवाई भी की थी।
दुनियाभर के लोगों में इसकी चर्चा उस समय हुई जब वर्ष 2005 में एक समाचार पत्र में मुस्लिमों के धर्मगुरू पैगम्बर मोहम्मद पर छपे कार्टूनों का दुनिया भर के मुस्लिमों ने विरोध किया गया था। शार्ली हेब्डो ने दो साल बाद 2007 में वही कार्टून अपनी पत्रिका में छाप दिया था, जिसकी वजह से फ्रांस के दो बड़े मुस्लिम संगठनों ने उस पर कानूनी कार्रवाई भी की थी।
मैगजीन के विवाद में रहने का एक कारण वह संस्करण भी है जिसे निकालने का ऐलान 2011 में किया था। इसमें कहा गया था कि 'शरीया हेब्दो' नाम से एक विशेष संस्करण निकाला जाएगा और पैगम्बर मोहम्मद को इसका एडिटर-इन-चीफ बनाया जाएगा।मुस्लिम आतंकियों के निशाने पर
एक बार मैगजीन के पहले पेज पर पैगंबर मोहम्मत की तस्वीर यह कहते हुए प्रकाशित की गई थी, अगर हंसते-हंसते आप मरते नहीं हैं तो 100 कोड़े लगाए जाएंगे। आखरी पेज पर मोहम्मद को लाल रंग की नाक में कहते हुए दिखाया गया था कि 'हां, इस्लाम और हास्य साथ-साथ चल सकते हैं।' इससे गुस्साए लोगों ने 2 नवंबर 2011 को मैगजीन के ऑफिस पर बम से हमला किया था और वेबसाइट हैक कर ली गई थी। इसके बाद मैगजीन की टीम को नए ऑफिस में शिफ्ट होना पड़ा था।इसके बाद भी विवादास्पद प्रकाशन जारी रहा
मुस्लिम समुदाय और संगठनों के विरोध के बावजूद मैगजीन ने अपने लिखने और दिखाने के तरीके में कोई बदलाव नहीं किया। सितंबर 2012 में के संस्करण में पैगंबर पर व्यंग्यात्मक कार्टूनों की पूरी श्रृंखला को प्रकाशित कर दिया, जिनमें से कुछ चित्र नग्न थे। इसके बाद फ्रांस सरकार ने मुस्लिम देशों में फ्रेंच दूतावासों की सुरक्षा बढ़ा दी थी। मैगजीन के पैरिस स्थित ऑफिस पर भी पुलिस की भी तैनाती की गई थी।हाल ही में छापा था आईएस प्रमुख का कार्टून
कुछ दिन पहले ही मैगजीन ने इराक और सीरिया में कत्लेआम मचा रहे आतंकी संगठन आईएस के चीफ अबु-बकर-अल-बगदादी का कार्टून भी छापा था। इसके बाद से ही इस बात की आशंका जताई जा रही थी कि आईएस बदले की कार्रवाई के रूप में हमला कर सकता है। साभार-नई दुनिया
मुस्लिम समुदाय और संगठनों के विरोध के बावजूद मैगजीन ने अपने लिखने और दिखाने के तरीके में कोई बदलाव नहीं किया। सितंबर 2012 में के संस्करण में पैगंबर पर व्यंग्यात्मक कार्टूनों की पूरी श्रृंखला को प्रकाशित कर दिया, जिनमें से कुछ चित्र नग्न थे। इसके बाद फ्रांस सरकार ने मुस्लिम देशों में फ्रेंच दूतावासों की सुरक्षा बढ़ा दी थी। मैगजीन के पैरिस स्थित ऑफिस पर भी पुलिस की भी तैनाती की गई थी।हाल ही में छापा था आईएस प्रमुख का कार्टून
कुछ दिन पहले ही मैगजीन ने इराक और सीरिया में कत्लेआम मचा रहे आतंकी संगठन आईएस के चीफ अबु-बकर-अल-बगदादी का कार्टून भी छापा था। इसके बाद से ही इस बात की आशंका जताई जा रही थी कि आईएस बदले की कार्रवाई के रूप में हमला कर सकता है। साभार-नई दुनिया