मंगल पर मिलकर काम करेंगे भारत-अमेरिका
मंगल की कक्षा पर अपने यान भेजने के बाद भारत और अमेरिका ने मंगल ग्रह के रहस्यों को मिलकर खोजने के लिए सहमति जताई है। अमेरिका का कहना है कि इससे दोनों देशों को और दुनिया को व्यापक स्तर पर लाभ मिलेगा। इस संदर्भ में टोरंटो में अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा के प्रशासक चार्ल्स बोल्डेन और भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठ
By Sanjay BhardwajEdited By: Updated: Wed, 01 Oct 2014 04:22 PM (IST)
वॉशिंगटन। मंगल की कक्षा पर अपने यान भेजने के बाद भारत और अमेरिका ने मंगल ग्रह के रहस्यों को मिलकर खोजने के लिए सहमति जताई है। अमेरिका का कहना है कि इससे दोनों देशों को और दुनिया को व्यापक स्तर पर लाभ मिलेगा।
इस संदर्भ में टोरंटो में अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा के प्रशासक चार्ल्स बोल्डेन और भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के अध्यक्ष के राधाकृष्णन ने एक समझौते पर हस्ताक्षर किए। दोनों पक्षों ने एक चार्टर पर हस्ताक्षर किए जिससे नासा-इसरो मंगल कार्य समूह की स्थापना की जाएगी। यह समूह मंगल अभियानों के लिए दोनों देशों के सहयोग को आगे बढ़ाने के लिए क्षेत्रों की पहचान करेगा। अंतरराष्ट्रीय समझौता भी इसके अलावा एक अंतरराष्ट्रीय समझौते पर भी हस्ताक्षर किए गए, जिसमें 2020 में नासा-इसरो सिंथेटिक अपर्चर रडार मिशन को लॉन्च करने का लक्ष्य तय किया गया है। इस बारे में नासा के प्रशासक चार्ल्स बोल्डेन ने कहा कि दोनों दस्तावेजों पर हस्ताक्षर किए जाने से नासा और इसरो के विज्ञान के क्षेत्र में आगे बढ़ने और पृथ्वी पर जीवन सुधारने की प्रतिबद्घता का पता चलता है।
बोल्डेन के अनुसार इस भागीदारी से दोनों देशों और पूरी दुनिया को फायदा मिलेगा। इसके साथ ही समूह की हर साल एक बैठक होगी, जिसमें मंगल अभियानों के बारे में योजना बनाई जाएगी। गौरतलब है कि भारत के पहले मंगल मिशन के अंतर्गत मंगलयान को 23 सितंबर को मंगल ग्रह के कक्ष में स्थापित किया गया। वहीं अमेरिका ने भी मंगल की कक्षा में मैवेन स्पेसक्राफ्ट को स्थापित किया।