अमेरिका में भारत और हिंदुत्व का गलत इतिहास पढ़ाने की तैयारी
अमेरिका में भारत और हिंदुत्व का गलत इतिहास पढ़ाने की तैयारी की जा रही है। कैलिफोर्निया राज्य के पाठ्यपुस्तकों में बदलाव की इस कोशिश का अमेरिकी हिंदू कड़ा विरोध कर रहे हैं।
वाशिंगटन। अमेरिका में भारत और हिंदुत्व का गलत इतिहास पढ़ाने की तैयारी की जा रही है। कैलिफोर्निया राज्य के पाठ्यपुस्तकों में बदलाव की इस कोशिश का अमेरिकी हिंदू कड़ा विरोध कर रहे हैं। समुदाय की आपत्तियों के बाद 'भारत' के स्थान पर 'दक्षिण एशिया' जैसे शब्द शामिल करने का सुझाव शिक्षा आयोग ने खारिज कर दिया है। लेकिन, हिंदुत्व को जाति से जोड़ना, वेदों को हिंदू धर्म से अलग बताना, गैर ब्राह्माण ऋषि-मुनि जैसे वाल्मीकि और व्यास का नाम हटाना जैसे कई अनुशंसाओं को किताब में जगह देने की तैयारी है।
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पाठ्यपुस्तकों में बदलाव के लिए गठित आयोग इन सिफारिशों को राज्य शिक्षा बोर्ड के पास भेजने वाला है। 24 मार्च को सैक्रामांटो में आयोग की बहस के दौरान काफी संख्या में हिंदू समुदाय के छात्र और अभिभावक आपत्ति जताने पहुंचे। आयोग के अध्यक्ष बिल होनिंग ने बताया कि भारत शब्द को हटाने का सुझाव खारिज कर दिया गया है। हालांकि प्राचीन भारत का जिक्र करते हुए कोष्ठक में दक्षिण एशिया शब्द को जोड़ने के लिए वे तैयार हैं। आयोग के साथ बीते कई सालों से काम करने वाले हिंदू एजुकेशन फाउंडेशन के मुताबिक अंतिम क्षणों में कुछ वामपंथी विद्वानों के सुझावों पर भारत और ¨हदुत्व से जुड़े प्रतिकूल तथ्यों को जोड़ने की अनुशंसा की गई है।
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फाउंडेशन ने बताया कि विरोध पर कुछ त्रुटियों को दूर किया गया है, लेकिन अब भी बड़ी संख्या में शामिल तथ्यों की फिर से जांच-पड़ताल करने की जरूरत है। संस्था के मुताबिक यह आश्चर्य की बात है कि वंचितों और शोषितों का प्रतिनिधित्व करने का दावा करने वाले दक्षिण एशियाई विभाग के वामपंथी शिक्षकों का समूह महर्षि वाल्मीकि और व्यास के नामों को हटाने की बात कर रहा है। भारतीय समुदाय के इस विरोध को 20 राजनेताओं का समर्थन भी हासिल है। इनमें अमेरिकी कांग्रेस सदस्य तुलसी गबार्ड और कैलिफोर्निया के सीनेटर स्टीवन एम ग्लेजर भी हैं।