क्लास रूम की कमी, एक कक्षा में पढ़ा रहे दो-दो शिक्षक
जागरण संवाददाता, राउरकेला : बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा उपलब्ध कराने के सरकारी दावे की पोल खुल रह
जागरण संवाददाता, राउरकेला : बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा उपलब्ध कराने के सरकारी दावे की पोल खुल रही है। सरकारी विद्यालयों में संसाधानों की कमी शिक्षा की गुणवत्ता पर प्रतिकूल असर डाल रही है। गणेश चौक स्थित हिन्दी माध्यम के राष्ट्रीय विद्यालय में उच्च विद्यालय, मध्य विद्यालय एवं प्राथमिक विद्यालय अलग-अलग समय के बजाय एक साथ चलाने के सरकारी निर्देश पर भारी अव्यवस्था उत्पन्न हो गई है। क्लास रूम की कमी के कारण दो सेक्शन के विद्यार्थियों को एक ही कमरे में बैठा कर दो-दो शिक्षक एक साथ पढ़ा रहे हैं इससे यहां की पढ़ाई प्रभावित हो रही है।राष्ट्रीय विद्यालय में कुल 10 क्लास रूम हैं। पहली से पांचवीं कक्षा तक के 352 बच्चों के लिए 12 शिक्षक- शिक्षिका हैं तथा छठवीं से दसवीं कक्षा तक के 618 बच्चों के लिए 4 शिक्षक व शिक्षिका कार्यरत हैं। प्राथमिक विद्यालय का समय सुबह 6.30 से 11.15 बजे तक तथा उच्च विद्यालय का समय 11.15 से 4.00 बजे तक था। अलग अलग शिप्ट में पढ़ाई होने के कारण बच्चे अलग अलग कक्षा में बैठकर पढ़ाई करते थे। जिला शिक्षा अधिकारी ध्रुवचरण बेहरा ने 4 जनवरी से अलग अलग समय के बजाय एक साथ प्राथमिक व उच्च विद्यालय चलाने का निर्देश दिया। हर दिन सुबह 10.30 से शाम 4.00 बजे तक क्लास एक साथ होने के कारण यहां अव्यवस्था उत्पन्न हो गई है। दो-दो सेक्शन के बच्चे एक कमरे में बैठाये जा रहे हैं। कक्षा में एक साथ 100 से 120 बच्चे बैठने के कारण उनके लिए दो-दो शिक्षकों को एक साथ पढ़ाना पड़ रहा है। जगह कम होने के कारण निचली कक्षा के बच्चों को मि¨टग हॉल में जमीन पर बैठाना पड़ रहा है। 1958 में हिन्दीभाषी विद्यार्थियों की पढ़ाई के लिए राष्ट्रीय विद्यालय की स्थापना की गई थी। सरकार की उपेक्षा के कारण यहां अधिकतर ओड़ियाभाषी शिक्षक हिन्दी पढ़ा रहे हैं। छठवीं से दसवीं कक्षा तक के लिए 12 शिक्षकों की जरूरत है पर केवल चार शिक्षक कार्यरत हैं। विज्ञान शिक्षिका अर्चना त्रिपाठी राष्ट्रीय विद्यालय में नियुक्त थी जिन्हें डेपुटेशन पर उदितनगर हाईस्कूल भेजा गया है। शिक्षकों की कमी से यहां पढ़ाई ठीक से नहीं हो रही है।
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स्कूल का समय बदलने से उच्च विद्यालय की पढ़ाई पर खास असर नहीं पड़ा है। शिक्षकों की कमी के कारण पहले भी एक ही कक्षा में बच्चों को बैठाते थे। प्राथमिक विद्यालय के लिए अधिक परेशानी हो रही है। उच्च विद्यालय में शिक्षकों की कमी दूर होने पर पढ़ाई व्यवस्थित हो पायेगी।मो. इनाम खान, प्रभारी प्रधानाध्यापक, उच्च विद्यालय::::
:सरकार की ओर से स्कूल में कम से कम आठ घंटी पढ़ाई कराने का निर्देश दिया गया है। अलग अलग समय में प्राथमिक व उच्च विद्यालय की पढ़ाई होने से आठ घंटी पढ़ाई संभव नहीं हो रही थी। इसे ध्यान में रखकर एक साथ दोनों स्कूलों की पढ़ाई करायी जा रही है। प्रयोग के तौर पर यहां ऐसा किया गया है। जरूरत पड़ने पर समय में परिवर्तन किया जा सकता है।ध्रुव चरण बेहरा, जिला शिक्षा अधिकारी