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चुनौतियां बनाती हैं हीरो

कई फिल्मों में सपोर्र्टिंग किरदारों में दर्शकों का दिल जीतने के बाद अब फिल्म ‘रनिंग शादी’ में सोलो हीरो के रूप में आ रहे हैं अमित साध

By Srishti VermaEdited By: Updated: Thu, 16 Feb 2017 05:37 PM (IST)
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चुनौतियां बनाती हैं हीरो

पिछले साल रिलीज ‘सुल्तान’ और ‘अकीरा’ में अमित साध छोटी किंतु प्रभावी भूमिका में नजर आए थे। इस साल उनकी झोली में कई फिल्में हैं। खास बात यह है कि एक अंतराल के बाद वह फिल्म ‘रनिंग शादी’ में लीड भूमिका में नजर आएंगे।
संघर्ष से मिली फिल्में
‘सुल्तान’ मिलने से पहले अमित ने बेरोजगार होने की बात कही थी। उस कठिन दौर से निकलने के संबंध में अमित साध कहते हैं, ‘मैंने बहुत संघर्ष किया है। लिहाजा अब संघर्ष से डरता नहीं हूं। मुझे लगता है कि जीवन का आनंद कठिनाइयों का सामना मजबूती से करने में है। हमें अपने लक्ष्य की ओर हमेशा प्रयासरत रहना चाहिए। मैं भी डिप्रेशन से गुजरा ,मगर मैंने आत्मविश्वास कायम रखा। ‘सुल्तान’ से मेरे आत्मविश्वास में इजाफा हुआ। सलमान खान सर ने खुद मेरे अभिनय की तारीफ की। मुझे फिल्में मिलने लगीं। ‘सरकार 3’ में मुझे अमिताभ बच्चन के साथ स्क्रीन शेयर करने का मौका मिला। उसके अलावा तिग्मांशु धूलिया की फिल्म ‘रागदेश’ कर रहा हूं। वह भारतीय सेना पर बेस्ड है। उसमें मैं सैन्य अधिकारी की भूमिका में हूं। उसके अलावा एक और फिल्म भी कर रहा हूं।’

किरदार प्रभावी होना चाहिए
अमित मानते हैं कि भले ही आप छोटी भूमिका निभाएं, लेकिन अगर वह प्रभावी है, तो लोग आपको हमेशा याद रखेंगे। वह कहते हैं, ‘मैं किरदार की लेंथ कभी नहीं देखता हूं। सिर्फ कहानी और पात्र परखता हूं। उसे अपनी सीमित सोच और समझ से निभाता हूं। मेरी कोशिश प्रतिदिन अपनी कला को निखारने की होती है। हरिवंशराय बच्चन ने कहा था कि अगर तुम्हारे मन का हो जाए तो अच्छा और न हो तो और भी अच्छा। इन पंक्तियों को मैंने आत्मसात किया है। मैं कभी किसी बात का तनाव नहीं लेता हूं। जहां तक फिल्म ‘रनिंग शादी’ की बात है, तो उसके केंद्र में तापसी पन्नू, अर्श और मेरे द्वारा निभाए गए तीन पात्र हैं। तीनों पात्र बेहद सीधे और सच्चे हैं। वे एक वेबसाइट खोलते हैं। उसके माध्यम से प्रेमी युगल को भगाकर उनकी शादी करवाते हैं।’
बिहारी युवक का किरदार
अमित फिल्म में अपनी भूमिका के बारे में बताते हैं, ‘मेरे किरदार का नाम राम भरोसे पांडे है। वह बिहारी है। बिहारियों की खास शैली होती है। कई लोग उसका मजाक भी उड़ाते हैं। मैंने निर्देशक अमित राय से स्पष्ट कहा था कि मैं बिहारी बनकर उसका मजाक नहीं उड़ाऊंगा और किसी की नकल भी नहीं करूंगा। मैं लखनऊ स्थित बोर्डिंग स्कूल में पढ़ा हूं। मेरे बहुत सारे बिहारी दोस्त हैं। मेरे एक अंकल ब्यूरोक्रेट हैं, जो बिहार से ताल्लुक रखते हैं। किरदार के संदर्भ में उन्होंने बड़ी प्रेरक बातें कहीं। उन्होंने कहा कि बिहारी कोई भाषा नहीं है। बिहारी एटीट्यूड है। उसे पकड़ो। मेरे किरदार की सीमित चुनौतियां हैं। वह सामान्य शख्स है। मेरे मुताबिक जिस इंसान में कुछ न करने की क्षमता हो फिर भी सरवाइव करे, वही हीरो है।’
तोड़नी होंगी जात-पात की दीवारें
फिल्म के संदर्भ में अमित कहते हैं, ‘प्रेमी युगल के भागकर शादी करने के कारण हमारे समाज में मौजूद हैं। हमें जात-पात की बेड़ियों को तोड़ना होगा। फिल्म का पहला शॉट हमने स्वर्ण मंदिर में शूट किया। उसे मैं अपने लिए लकी मानता हूं। ’
एक ही है लक्ष्य
अमित ने टीवी पर ‘क्यूं होता है प्यार’,‘कोहिनूर’ जैसे शो किए हैं। ‘बिग बॉस’ में भी हिस्सा ले चुके हैं। पिछले कुछ समय से उन्होंने टीवी से दूरी बना रखी है। इस बाबत वह कहते हैं, ‘टीवी से मैंने कोई दूरी नहीं बनाई है। मुझे बस अच्छा काम करना है। माध्यम भले ही टीवी हो या फिल्म। उससे मुझे फर्क नहीं पड़ता।
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