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मुझमें है साहस: कंगना रनौट

हर फिल्म के साथ अपने अभिनय का विस्तार कर रही हैं कंगना रनोट। द्वितीय विश्व युद्ध की पृष्ठभूमि पर बनी फिल्म ‘रंगून’ में अपने किरदार के साथ ही अपनी ख्वाहिशों और अभिनय जगत में दस सालों के सफर की खट्टी-मीठी यादें साझा कर रही हैं कंगना...

By Srishti VermaEdited By: Updated: Sat, 18 Feb 2017 09:56 AM (IST)
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मुझमें है साहस: कंगना रनौट
वर्ष 2006 में अनुराग बसु की फिल्म ‘गैंगस्टर’ आई थी। उसमें कंगना रनोट पहली बार दिखी थीं। सभी ने उन्हें नोटिस किया। यह कहा गया कि अगर सही मौके मिले तो यह अभिनेत्री कुछ कर दिखाएगी। कंगना को मौके मिले। उतार-चढ़ाव के साथ कंगना ने दस सालों का लंबा सफर तय कर लिया। कुछ यादगार फिल्में दीं। कुछ पुरस्कार जीते। अपनी खास जगह बनाई। यह सब उन्होंने बगैर किसी खान के साथ काम किए हासिल किया है। गौर करें तो किसी लोकप्रिय निर्देशक ने उनके साथ फिल्म नहीं की है। वह प्रयोग भी कर रही हैं। याद करें तो पहली फिल्म ‘गैंगस्टर’ में उनका नाम सिमरन था और उनकी आगामी फिल्म ‘सिमरन’ है, जिसके निर्देशक हंसल मेहता हैं।

द्वितीय विश्व युद्ध की पृष्ठभूमि
विशाल भारद्वाज की फिल्म ‘रंगून’ निर्माण के स्तर पर कंगना रनोट की सबसे महंगी और बड़ी फिल्म है। विशाल भारद्वाज की शैली अलग है। कंगना कहती हैं, ‘अभी तक मैंने ज्यादातर सीमित बजट की ही फिल्में की हैं। पहली बार बड़े स्केल की फिल्म कर रही हूं। ऐसी फिल्मों में दर्शकों के मनोरंजन के लिए भरपूर मसाले होते हैं। दूसरे विश्व युद्ध की पृष्ठभूमि में बनी यह फिल्म अभिनेत्री जूलिया की कहानी है। वह रूसी बिलमोरिया की मिस्ट्रेस है। दोनों के रिश्ते में लस्ट है। मलिक नवाब से जूलिया को प्यार हो जाता है। इस प्रेमत्रिकोण पर ही पूरी फिल्म है। चूंकि विशाल भारद्वाज फिल्म के निर्देशक हैं, इसलिए किरदारों के साथ ही तब के हालात पर भी जोर है। मुझे यकीन है कि दर्शकों को मनोरंजन के साथ जानकारी भी मिलेगी। वे उस समय की दुनिया और भारत से परिचित होंगे।’

जूलिया से मिलता है मिजाज
अपनी फिल्म के किरदार पर बात करते हुए कंगना रनोट समाज की भी बातें करने लगती हैं। वह मानती हैं कि हमेशा सोसायटी में दो तरह के लोग होते हैं। एक, जिनका राज होता है और जो समाज का ऊपरी तबका होता है। दूसरे वे लोग होते हैं, जो उनकी तरह होने की कोशिश करते हैं। उनकी जमात में शामिल होना चाहते हैं। उसके लिए वे कुछ भी कर सकते हैं। हीनभावना की वजह से वे ज्यादा आक्रामक हो जाते हैं। जूलिया कुछ ऐसे ही मिजाज की लड़की है। वह ज्वाला देवी से जूलिया बन जाती है। दर्शकों को जूलिया और कंगना में कई समानताएं दिख सकती हैं।’ फिल्म में कंगना के साथ सैफ अली खान और शाहिद कपूर हैं। उनके साथ अनुभव के संबंध में कंगना कहती हैं, ‘सैफ अली खान बेहद चार्मिंग इंसान हैं। वह पांच मिनट में किसी को भी आकर्षित कर सकते हैं। यह उनकी खूबी है। शाहिद के साथ इंटरैक्ट करने का मुझे ज्यादा मौका नहीं मिला। जितना समझ पाई, उस हिसाब से वह दिल के अच्छे व्यक्ति लगे।’

जवाब देना आता है
कंगना रनोट आज डिमांड में हैं और वह डिमांड भी करने लगी हैं। उनके बारे हर महीने कोई खबर आ जाती है। कहा जाता है कि वह निर्देशक को बहुत परेशान करती हैं। कंगना इन सवालों का जवाब देना फिजूल मानती हैं। वह कहती हैं, ‘अभी मुझे अलग-अलग स्क्रिप्ट मिल रही हैं। मैं चुन सकने की स्थिति में हूं। हालांकि कंफ्यूजन भी है। मैं अपने हिसाब से रास्ता चुन रही हूं। हर व्यक्ति के काम करने की जगह पर थोड़ी-बहुत खटपट तो चलती रहती है। बिल्कुल शांति का माहौल कैसे रह सकता है। ऐसी शांति तो मरने के बाद ही होती है। मुश्किलें पैदा होने पर मैं कभी पीठ नहीं दिखाती। अगर कोई मुझे सता रहा है तो मैं पलट कर जवाब देती हूं। समय ने मुझे सब कुछ सिखा दिया है। मेरे अंदर साहस है। खराब दौर से मैं बाहर निकल आई हूं।’ कंगना रनोट अपने लेखन में लगी हैं। वह डायरेक्शन के साथ फिल्म निर्माण के अन्य क्षेत्रों से भी जुड़ना चाहती हैं। ‘वह जोर देकर कहती हैं, ‘आने वाली फिल्मों में मेरी हिस्सेदारी और भी डिपार्टमेंट में रहेगी।’