Move to Jagran APP

India China Row: अरुणाचल के बाद अब फिलीपींस पर भारत के बयान से चीन को आपत्ति, जयशंकर ने ड्रैगन को दिखाया आईना

जयशंकर ने फिलीपींस के साथ राजनीति रक्षा सुरक्षा व समुद्री सहयोग कारोबार व निवेश शिक्षा डिजिटल और सप्लाई चेन जैसे मुद्दों पर भी सहयोग की बात की है। वैश्विक कंपनियां भारत और फिलीपींस दोनों को चीन प्लस वन नीति के तहत अहम देश मान रही हैं। ऐसे में इनके बीच आर्थिक सहयोग के नये मुद्दों पर चर्चा भी हो रही है।

By Jagran News Edited By: Narender Sanwariya Published: Tue, 26 Mar 2024 08:02 PM (IST)Updated: Tue, 26 Mar 2024 08:02 PM (IST)
जयशंकर ने फिलीपींस के विदेश मंत्री एनरिक मनालो के साथ द्विपक्षीय वार्ता के बाद प्रेस कांफ्रेंस में बेबाक बयान दिया।

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। पड़ोसी देश चीन पिछले एक महीने में चार बार भारतीय राज्य अरुणाचल प्रदेश को अपना हिस्सा बताते हुए आपत्तिजनक बयान दे चुका है लेकिन जब भारत ने फिलीपींस के राष्ट्रीय संप्रभुता का समर्थन करने को लेकर एक बार बयान दिया तो उसे यह नागवार गुजर रहा है। फिलीपींस के दौरे पर गये विदेश मंत्री एस जयशंकर ने वहां ना सिर्फ फिलीपींस को उसके राष्ट्रीय संप्रभुता को लेकर पूरा समर्थन देने की बात कही है बल्कि हिंद प्रशांत क्षेत्र की स्थिति को देखते हुए भारत व फिलीपींस के बीच मौजूदा रक्षा व रणनीतिक सहयोग को और मजबूत बनाने की भी बात कही है।

loksabha election banner

भारत और चीन के बीच सीमा विवाद

जयशंकर ने फिलीपींस के विदेश मंत्री एनरिक मनालो के साथ द्विपक्षीय वार्ता के बाद एक प्रेस कांफ्रेंस में उक्त बेबाक बयान दिया है। यह किसी सार्वजनिक मंच पर किसी भारतीय विदेश मंत्री की तरफ से चीन के साथ किसी दूसरे देश के किसी विवादित भौगोलिक भूभाग की तरफ संकेत कर दिया गया पहला बयान है।जिस तरह से अभी अरूणाचल प्रदेश और पूर्वी लद्दाख को लेकर भारत और चीन के बीच सीमा विवाद चल रहा है उसी तरह से फिलीपींस और चीन के बीच भी भौगोलिक भूभाग को कर विवाद चल रहा है। साउथ चीन सी के पास एक फिलीपींस के जहाज पर कुछ दिन पहले ही चीन की तरफ से वाटर-कैनन से हमला किया गया था।

भारत और फिलीपींस के संबंध

इस बीच जयशंकर फिलीपींस पहुंचे हैं जहां उनकी विदेश मंत्री मनालो के अलावा राष्ट्रपति बोंगबोंग मार्कोस से मुलाकात की है। मनालो के साथ बैठक के बाद आयोजित प्रेस कांफ्रेंस में जयशंकर ने कहा है कि दोनों लोकतांत्रिक देश (भारत व फिलीपींस) एक कानून सम्मत व्यवस्था का समर्थन करते हैं और इसी संदर्भ में अपनी मित्रता को आगे बढ़ाना चाहते हैं। आज इस मौके पर मैं राष्ट्रीय संप्रभुता के मुद्दे पर फिलीपींस को भारत के पूरे समर्थन को दोहराता हूं।

आर्थिक सहयोग के नये मुद्दे

जयशंकर ने फिलीपींस के साथ राजनीति, रक्षा, सुरक्षा व समुद्री सहयोग, कारोबार व निवेश, शिक्षा, डिजिटल और सप्लाई चेन जैसे मुद्दों पर भी सहयोग की बात की है। वैश्विक कंपनियां भारत और फिलीपींस दोनों को चीन प्लस वन (मैन्यूफैक्चरिंग क्षेत्र में चीन के अलावा एक और देश में सुविधा स्थापित करना) नीति के तहत अहम देश मान रही हैं। ऐसे में इनके बीच आर्थिक सहयोग के नये मुद्दों पर चर्चा भी हो रही है।

समुद्री क्षेत्र में विवाद

भारतीय विदेश मंत्री के इस बयान के कुछ घंटे बाद चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता लिन जियान से इस बारे में पूछा गया तो उनका जवाब था कि समुद्री क्षेत्र में विवाद संबंधित देशों के बीच का मामला है और कोई भी तीसरा देश इस बारे में हस्तक्षेप करने की स्थिति में नहीं है। हम संबंधित देशों से आग्रह करेंगे कि वह साउथ चीन सी के मुद्दे की असलियत को समझें, चीन की संप्रभुता और समुद्री हितों का आदर करें और इस क्षेत्र में शांति व स्थिरता स्थापित करने में मदद करें।

चीन का भौगोलिक विवाद

साउथ चीन सी प्रशांत महासागर में स्थित उस इलाके को कहते हैं जहां चीन का दक्षिणी हिस्सा और आसियान के तकरीबन सारे देश स्थित हैं। इस क्षेत्र में स्थिति फिलीपींस, विएतनाम, मलयेशिया, ताइवान व ब्रुनेई के साथ चीन का भौगोलिक विवाद चल रहा है। इस विवाद की वजह से ही फिलीपींस ने चीन को समुद्री विवाद को सुलझाने वाले संयुक्त राष्ट्र के संगठन (यूएनक्लोस) में मामला दायर किया था।

हिंद महासागर में सबको स्वतंत्र व समान अवसर

यूएनक्लोस ने फिलीपींस के पक्ष में फैसला किया था लेकिन चीन उसको स्वीकार नहीं करता। भारत भी आधिकारिक तौर पर यह कहता रहा है कि यूएनक्लोस के सिद्दांत व कानून के तहत ही हिंद महासागर को सभी देशों के लिए स्वतंत्र व समान अवसर वाला बनाने पर जोर देना चाहिए। फिलीपींस के विदेश मंत्री के साथ प्रेस कांफ्रेंस में भी जयशंकर ने भारत के इस रूख को दोहराया है।

यह भी पढ़ें: 'शुरू से ही हास्यास्पद रहे हैं चीन के दावे', अरुणाचल प्रदेश को लेकर जयशंकर ने ड्रैगन को दिखाया आईना


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.