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VIDEO: 'तेजस' में उड़ान भरने वाले पहले रक्षा मंत्री बने राजनाथ सिंह, बोले- अद्भुत और शानदार अनुभव

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने बेंगलुरु में एचएएल एयरपोर्ट पर स्वदेशी लड़ाकू विमान तेजस से उड़ान भरने के बाद कहा दूसरे देशों से भी तेजस एयरक्राफ्ट के ऑर्डर मिल रहे हैं।

By TaniskEdited By: Updated: Thu, 19 Sep 2019 02:44 PM (IST)
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VIDEO: 'तेजस' में उड़ान भरने वाले पहले रक्षा मंत्री बने राजनाथ सिंह, बोले- अद्भुत और शानदार अनुभव
बेंगलुरु, एएनआइ। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने बेंगलुरु में एचएएल एयरपोर्ट पर भारत के स्वदेशी लड़ाकू विमान तेजस से उड़ान भरी। राजनाथ आधे घंटे तक विमान में ही रहे। जी सूट पहने राजनाथ विमान में पायलट के पीछे वाली सीट पर बैठे थे। पायलट की सीट पर एयर वाइस मार्शल एन तिवारी बैठे थे। तिवारी, एयरोनॉटिकल डेवलपमेंट एजेंसी (ADA) के नेशनल फ्लाइट टेस्ट सेंटर में परियोजना निदेशक हैं। राजनाथ सिंह इस विमान में उड़ान भरने वाले पहले रक्षा मंत्री हैं। उन्होंने कहा कि इस हल्के लड़ाकू विमान से उड़ान भरना काफी अद्भुत और शानदार अनुभव था।

राजनाथ सिंह ने तेजस से उड़ान भरने के बाद कहा, 'आज हम ऐसी स्थिति में पहुंच गए हैं जहां हमें दूसरे देशों से भी तेजस एयरक्राफ्ट के ऑर्डर मिल रहे हैं। यह स्वदेशी विमान है, इसलिए मेरा हमेशा से इसकी उड़ान का अनुभव लेने का मन था। मैंने भी कुछ समय के लिए एयरक्राफ्ट कंट्रोल किया। इसकी उड़ान काफी आरामदायक थी, इसके करतब को देखकर मैं कह सकता हूं कि हमें हमारे देश के वैज्ञानिकों, डीआरडीओ और सभी संस्थानों पर गर्व होना चाहिए।' 

एचएएल बना रहा विमान

रक्षा मंत्री की यह उड़ान इसीलिए भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि इस विमान का निर्माण स्वदेश में ही एचएएल द्वारा किया जा रहा है। इससे पहले बीते शुक्रवार को ही तेजस ने अपनी ताकत का लोहा मनवाया था। इस लड़ाकू विमान के नौसेना संस्करण की सफल अरेस्ट लैंडिंग करवाई गई थी।

ये है तेजस की विशेषता

तेजस की तकनीकी विशेषताओं पर गौर किया जाए तो पता चलता है कि तेजस एक लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट है। इसकी सर्वाधिक स्पीड 1.6 मैक है। 2000 किमी की रेंज को कवर करने वाले तेजस का अधिकतम थ्रस्ट 9163 केजीएफ है। इसमें ग्लास कॉकपिट, हेल्मेट माउंटेड डिस्प्ले, मल्टी मोड रडार, कम्पोजिट स्ट्रक्चर और फ्लाई बाई वायर डिजिटल सिस्टम जैसे आधुनिक फीचर मौजूद हैं। इस जेट पर दो आर-73 एयर-टू-एयर मिसाइल, दो 1000 एलबीएस क्षमता के बम, एक लेजर डेजिग्नेशन पोड और दो ड्रॉप टैंक्स तैनात रहती है।

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वायुसेना और नौसेना में किया जाएगा इस्तेमाल

तेजस का इस्तेमाल नौसेना और वायुसेना दोनों सेनाओं में किया जाएगा। भारतीय वायुसेना में पुराने होते जा रहे मिग-21 फाइटर की जगह लेने के लिए इसका निर्माण किया गया है। यह एलसीए प्रोग्राम के तहत किया जा रहा है। यह प्रोग्राम वर्ष 1980 में शुरू किया गया था।

नौसेना की तीन परियोजनाओं का शुभारंभ करेंगे

रक्षा मंत्री 28 सितंबर को नौसेना के लिए तीन परियोजनाओं का शुभारंभ करेंगे। वे मुंबई में स्कॉर्पियन क्लास की दूसरी पनडुब्बी आइएनएस खंडेरी को नौसेना में कमीशन करेंगे। यह पनडुब्बी स्टेल्थ और एयर इंडिपेंडेंट प्रॉपल्शन समेत कई तरह की तकनीकों से लैस है। दुश्मनों के लिए इसका पता लगाना आसान नहीं होगा। यह टॉरपीडो और ट्यूब लॉन्च एंटी-शिप मिसाइल से हमला करने में सक्षम है। इसकी सबसे बड़ी खासियत यह होगी कि यह किसी भी रडार की पकड़ में नहीं आएगी। इसके अलावा पी-17ए सीरीज का पहला युद्धपोत आइएनएस नीलगिरि को लॉन्च किया जाएगा।

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