COVID-19: जानें क्या होता है रेड, ग्रीन और ओरेंज जोन, कोरोना से लड़ाई में बना चक्रव्यूह
कोरोना वायरस के प्रकोप को देखते हुए सभी राज्यों ने अपने यहां पर रेड ग्रीन और ओरेंज जोन बनाए हैं। इनसे इसकी पहचान में मदद मिलती है।
By Kamal VermaEdited By: Updated: Tue, 14 Apr 2020 01:40 AM (IST)
नई दिल्ली। कोरोना वायरस ने सभी देशों की तरह भारत को भी अपनी चपेट में ले रखा है। स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक देश में अब तक (13 अप्रैल 2020 की सुबह तक) 9152 मामले सामने आ चुके हैं। इसके अलावा 857 मरीज ठीक हुए हैं और देश भर में अब तक 308 मरीजों की मौत हो चुकी है। पूरे देश में 7987 मरीजों का इलाज किया जा रहा है। बीते 24 घंटों के दौरान 35 लोगों की मौत हो चुकी है। मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक महाराष्ट्र के बाद दिल्ली और तमिलनाडु में 1 हजार मरीजों की पुष्टि हुई है।
भारत में इस महामारी को देखते हुए लॉकडाउन लगाया गया है। वहीं कुछ राज्यों ने अपने यहां पर एहतियातन ऐसे जिलों को सील किया है जहां से कोरोना वायरस के सबसे अधिक मामले सामने आए हैं। इसके अलावा राज्य सरकारें जहां जहां से इस तरह के मामले सामने आ रहे हैं उन्हें घेरे में लेकर उन्हें सील कर रही है या फिर दूसरे जरूरी उपाय कर रही हैं। आपको यहां पर ये भी बता दें कि सील किए गए जिलों में लोगों को जरूरी चीजों की आपूर्ति के लिए भी राज्य सरकारों ने पूरी तैयारी की है। इसके तहत लोगों के जरूरत की चीजों को जिसमें दूध, सब्जी, फल आदि शामिल हैं उनके घरों तक पहुंचाने का काम जिला प्रशासन ने सुनिश्चित किया है।
राज्य सरकारों ने जिलों में मामले की गंभीरता को देखते हुए इन्हें तीन अलग-अलग जोन में बांटने का काम किया है। इसकी सबसे बड़ी वजह इन्हें प्राथमिकता देना और पूरी निगरानी रखना है। इसके अलावा जोन में बांटने से इनकी पहचान करना भी आसान होता है। जिन जोन में जिलों को बांटा गया है वो ग्रीन, रेड और ओरेंज हैं।
ग्रीन जोन
इस जोन का अर्थ संक्रमण मुक्त है। यहां पर प्रशासन लॉकडाउन के दौरान जरूरी चीजों को खरीदने के लिए लोगों को घर से बाहर निकलने की इजाजत दे सकता है। हालांकि इस दौरान कहीं भी भीड़ इकट्ठा होने या सोशल डिस्टेंसिंग की बात माननी जरूरी है। ऐसा न करने वालों पर प्रशासन कार्रवाई करने के लिए स्वतंत्र है। आपको यहां पर ये भी बता दें कि जिलों में डीएम अपने विवेक का इस्मेमाल करते हुए प्रतिबंधों के बाबत कुछ फैसले ले भी सकता है। ग्रीन जोन के अंदर भी जिन लोगों को क्वारंटाइन में रखा जाएगा उन्हें किसी भी तरह के मेल जोल की इजाजत नहीं होती है।
ओरेंज जोन इस तरह के जोन में वो इलाके या जिले आते हैं जहां से संक्रमण के कुछ मामले निकलकर सामने आते हैं। प्रशासन यहां पर जरूरी उपाय कर लॉकडाउन, सील करने जैसे या दूसरे एहतियाती कदम उठा सकता है। इस जोन में संक्रमण वाले इलाकों को छोड़कर अन्य इलाकों में पाबंदियों में कुछ ढील दी जा सकती है। इसमें लोगों को जरूरी सामान की खरीद के लिए घर से बाहर निकलने की छूट शामिल है। इसके लिए प्रशासन चाहे तो समय सीमा भी निर्धारित कर सकता है।
रेड जोन ये जोन सबसे खतरनाक है। इसका अर्थ है कि यहां पर संक्रमण की चपेट में कई लोग आ चुके हैं और इसके बढ़ने या यहां की वजह से कहीं दूसरी जगह संक्रमण के बढ़ने की आशंका काफी अधिक है। ऐसे में इसको रेड जोन में शामिल कर यहां रहने वाले लोगों पर पूरी तरह से पाबंदी लगा दी जाती है। यहां के लोगों को घरों से बाहर निकलने की छूट नहीं दी जाती है। किसी आपात स्थिति में व्यक्ति केवल हेल्पलाइन पर फोन कर अपनी बात रख सकता है। इसके बाद प्रशासन अपने हिसाब से उसकी मदद करेगा। इस तरह के जोन में प्रशासन जरूरी चीजों की सप्लाई का जिम्मा अपने हाथों में लेता है। इस तरह के जोन में लोगों पर बेहद सख्त पहरा लगाया गया होता है और इसकी अवहेलना करने वालों पर कठोर कार्रवाई की जाती है।
आपको बता दें कि हरियाणा का गुरुग्राम, फरीदाबाद, नूंह और पलवल को को इसी तरह के रेड जोन की श्रेणी में रखा गया है। इसी तरह से महाराष्ट्र में भी मुंबई, पुणे को रेड जोन घोषित किया गया है। दिल्ली में अब तक 43 रेड जान हैं। इन रेड जोन को हॉट स्पॉट भी कहा जाता है। फिलहाल सरकारें इस तरह के जोन की पहचान करने में पूरी ताकत से जुटी है, ताकि इन्हें समय पर सील कर लोगों की जांच करवाई जा सके और इस महामारी को बढ़ने से रोका जा सके। दिल्ली में सरकार ऑपरेशन शील्ड चला रही है। इसके तहत कोरोना हॉट स्पॉट इलाके में सेनेटाइजेशन ड्राइव किया जाना है।
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