जम्मू कश्मीर का मुद्दा ICJ में उठाकर फिर शर्मिंदा होगा पाक, भारत का पक्ष है बेहद मजबूत
जम्मू कश्मीर के मुद्दे को पाकिस्तान भले ही आईसीजे में ले जाए लेकिन उसको वहां से भी हार मिलनी तय है। इसकी वजह है कि पाकिस्तान के दावे इस मुद्दे पर झूठ से ज्यादा कुछ नहीं हैं।
By Kamal VermaEdited By: Updated: Thu, 22 Aug 2019 08:44 AM (IST)
नई दिल्ली जागरण स्पेशल। जम्मू कश्मीर के मसले पर हर मोर्चे पर विफल होने के बाद पाकिस्तान अब अंतरराष्ट्रीय कोर्ट (International Court of Justice) का रुख कर रहा है। इसको लेकर संसद में प्रस्ताव पारित किया जा चुका है। हालांकि ऐसा करते हुए वह भूल गया कि कुछ समय पहले ही पाकिस्तान को भारतीय नौसेना के पूर्व अधिकारी कुलभूषण जाधव के मामले पर इसी कोर्ट से मायूसी हाथ लगी थी। इससे भी सबक न लेते हुए फिर पाकिस्तान आईसीजे का दरवाजा खटखटाने वाला है। बहरहाल, हम आपको बता देते हैं कि आखिर वो कौन सी दलीलें हैं जिसको लेकर पाकिस्तान इस कोर्ट में जा रहा है। वहीं आपको ये भी बताएंगे की उसकी यह दलीलें भारत के सामने कितनी टिक पाएंगी।
आईसीजे में जाने के पीछे वजह
जानकारों की मानें तो जम्मू कश्मीर के मसले को आईसीजे (ICJ) में ले जाने का फैसला पाकिस्तान के लिए मजबूरी भी है और उसके गले की फांस भी है। जानकार मानते हैं कि इस फैसले के पीछे तीन बड़ी वजह हैं। पहली वजह पाकिस्तान की जनता का दबाव और दूसरी वजह वहां की आवाम का गरीबी, भूखमरी और लगातार नीचे गिरती अर्थव्यवस्था से लोगों का ध्यान भटकाना है। तीसरी वजह सरकार की लाचारी और सेना की प्रमुखता है। इसको इस बात से समझा जा सकता है कि पाकिस्तान की हर सरकार ने कश्मीर पर दांव खेला है और लोगों की भावनाओं को भड़काने का काम किया है। लिहाजा इसको यदि वह छोड़ देगी तो वहां पर कुछ बचेगा ही नहीं।वहीं उसके मन में ढाका का पाकिस्तान से अलग होकर एक आजाद मुल्क बनना सबसे बड़ी सदमा है। इसका बदला लेने की कोशिश पाकिस्तान ने कई बार की लेकिन कामयाबी कभी नहीं मिली। पाकिस्तान को यह गलतफहमी है कि वह जम्मू कश्मीर को भारत से अलग कर ढाका का बदला ले लेगा, जो उसके लिए कभी सभंंव नहीं होगा। पाकिस्तान की ये हैं दलीलें
आपको बता दें कि पाकिस्तान लगातार देश के अंंदर और बाहर विभिन्न मंचों पर यह झूठ फहलाने की कोशिश कर रहा है कि भारत कश्मीर में मानवाधिकार का उल्लंघन कर रहा है। इसके अलावा वह जम्मू कश्मीर में तैनात भारतीय सेना पर भी झूठे आरोप लगाता रहा है। जम्मू कश्मीर पर केंद्र सरकार के फैसले के बाद पाकिस्तान की संसद में जो बहस हुई उसमें नेताओं का यहां तक कहना था कि भारत अनुच्छेद 370 को खत्म कर जम्मू कश्मीर की डेमोग्राफी को बदलना चाहता है। इस संयुक्त सत्र के दौरान जम्मू कश्मीर में फैलाए जा रहे आतंकवाद को जिस बेहूदा तरह से आजादी की संज्ञा दी उसको भी पूरी दुनिया ने देखा। इस दौरान यहां तक कहा गया कि पाकिस्तान हमेशा से ही कश्मीर की आवाज बनता रहा है और भारत के खिलाफ इस जंग को आगे भी जारी रखेगा। पाकिस्तान इन्हीं झूठी दलीलों के साथ आईसीजे में जाने का मन बना रहा है। लेकिन सवाल ये है कि इन दलीलों में कितना दम है। दरअसल, इन दलीलों की हकीकत कुछ और ही है। सच ये है कि इन सभी दलीलों का भारतीय पक्ष के आगे ढेर होना तय है। जम्मू कश्मीर के मुद्दे पर भारतीय पक्ष हमेशा से मजबूत रहा है।
जानकारों की मानें तो जम्मू कश्मीर के मसले को आईसीजे (ICJ) में ले जाने का फैसला पाकिस्तान के लिए मजबूरी भी है और उसके गले की फांस भी है। जानकार मानते हैं कि इस फैसले के पीछे तीन बड़ी वजह हैं। पहली वजह पाकिस्तान की जनता का दबाव और दूसरी वजह वहां की आवाम का गरीबी, भूखमरी और लगातार नीचे गिरती अर्थव्यवस्था से लोगों का ध्यान भटकाना है। तीसरी वजह सरकार की लाचारी और सेना की प्रमुखता है। इसको इस बात से समझा जा सकता है कि पाकिस्तान की हर सरकार ने कश्मीर पर दांव खेला है और लोगों की भावनाओं को भड़काने का काम किया है। लिहाजा इसको यदि वह छोड़ देगी तो वहां पर कुछ बचेगा ही नहीं।वहीं उसके मन में ढाका का पाकिस्तान से अलग होकर एक आजाद मुल्क बनना सबसे बड़ी सदमा है। इसका बदला लेने की कोशिश पाकिस्तान ने कई बार की लेकिन कामयाबी कभी नहीं मिली। पाकिस्तान को यह गलतफहमी है कि वह जम्मू कश्मीर को भारत से अलग कर ढाका का बदला ले लेगा, जो उसके लिए कभी सभंंव नहीं होगा। पाकिस्तान की ये हैं दलीलें
आपको बता दें कि पाकिस्तान लगातार देश के अंंदर और बाहर विभिन्न मंचों पर यह झूठ फहलाने की कोशिश कर रहा है कि भारत कश्मीर में मानवाधिकार का उल्लंघन कर रहा है। इसके अलावा वह जम्मू कश्मीर में तैनात भारतीय सेना पर भी झूठे आरोप लगाता रहा है। जम्मू कश्मीर पर केंद्र सरकार के फैसले के बाद पाकिस्तान की संसद में जो बहस हुई उसमें नेताओं का यहां तक कहना था कि भारत अनुच्छेद 370 को खत्म कर जम्मू कश्मीर की डेमोग्राफी को बदलना चाहता है। इस संयुक्त सत्र के दौरान जम्मू कश्मीर में फैलाए जा रहे आतंकवाद को जिस बेहूदा तरह से आजादी की संज्ञा दी उसको भी पूरी दुनिया ने देखा। इस दौरान यहां तक कहा गया कि पाकिस्तान हमेशा से ही कश्मीर की आवाज बनता रहा है और भारत के खिलाफ इस जंग को आगे भी जारी रखेगा। पाकिस्तान इन्हीं झूठी दलीलों के साथ आईसीजे में जाने का मन बना रहा है। लेकिन सवाल ये है कि इन दलीलों में कितना दम है। दरअसल, इन दलीलों की हकीकत कुछ और ही है। सच ये है कि इन सभी दलीलों का भारतीय पक्ष के आगे ढेर होना तय है। जम्मू कश्मीर के मुद्दे पर भारतीय पक्ष हमेशा से मजबूत रहा है।
भारत का ये है पक्ष :-
- भारत-पाकिस्तान के आजाद होने के तुरंत बाद पाकिस्तान की तरफ से कबालियों ने किया था जम्मू कश्मीर पर आक्रमण।
- जम्मू कश्मीर के तत्कालीन महाराजा हरि सिंह ने भारत से विलय को लेकर की थी संधि, यह दस्तावेजों और इतिहास में दर्ज प्रमुख साक्ष्य है।
- बीते सात दशकों में पाकिस्तान ने धन का लालच देकर लोगों को आतंकी बनाया।
- बीते सात दशकों से पाकिस्तान की जमीन आतंकियों की सुरक्षित पनाहगाह बनी हुई है। यहां से न सिर्फ भारत के जम्मू कश्मीर में बल्कि पूरी दुनिया में आतंकवाद को एक्सपोर्ट किया जा रहा है।
- जम्मू कश्मीर भारत का अभिन्न अंग था और हमेशा रहेगा।
- जम्मू कश्मीर के मुद्दे पर कई मुस्लिम राष्ट्रों ने सीधेतौर पर भारत का पक्ष लिया है और पाकिस्तान के पक्ष को नकारा है।
- पाकिस्तान के राजनेताओं ने अपनी संसद में इस बात को कुबूल किया है कि जम्मू कश्मीर के मुद्दे पर पाकिस्तान के साथ कोई भी देश नहीं खड़ा है।
- इस्लामिक देशों के संगठन ओआईसी (Organisation of Islamic cooperation) के कई देश भारत के साथ व्यापारिक रिश्तों को तरजीह दे रहे हैं और जम्मू कश्मीर पर पाकिस्तान के पक्ष को नकार रह हैं।
- भारत पाकिस्तान से जम्मू कश्मीर समेत सभी मुद्दों पर वार्ता के लिए तैयार है, लेकिन इसके लिए उसको अपने यहां से आतंकवाद की फैक्ट्रियों को खत्म करना होगा। दूसरी शर्त है कि भारत जम्मू कश्मीर के उसी हिस्से पर बात करेगा जिसको गुलाम कश्मीर कहा जाता है और जिस पर पाकिस्तान ने अवैध कब्जा (PoK) किया हुआ है।
- भारत ही नहीं अब दुनिया के सभी मुल्क मानते हैं कि पाकिस्तान आतंकवाद की फैक्ट्री है। यही वजह है कि एफएटीएफ (FATF) की तलवार उसके ऊपर लटकी हुई है।
- पाकिस्तान की नापाक मंशा को ध्यान में रखते हुए ही अनुच्छेद 370 को खत्म करने से पहले पूरे राज्य में सुरक्षा के सभी उपाय किए गए। सरकार धीरे-धीरे हालात को सामान्य बना रही है। स्कूल व कॉलेज खोले जा रहे हैं। वहां के लोगों की जरूरतों का पूरा ध्यान रखा जा रहा है। सरकार जम्मू कश्मीर के लोगों को सभी सहुलियतें और सुरक्षित माहौल देने की तरफ काम कर रही है।
- जम्मू कश्मीर और वहां के लोगों की बात करने वाला पाकिस्तान जरा बलूचिस्तान में हो रहे लोगों के मानवाधिकारों की भी चिंता करे तो बेहतर होगा।
- दशकों से बलूचिस्तान के लोग पाकिस्तान के खिलाफ ज्यादतियों की आवाज उठाते रहे हैं। पाकिस्तान समेत दुनिया के दूसरे मुल्कों में भी वह इसको लेकर प्रदर्शन करते रहे हैं। पाकिस्तान की सेना के हाथों हजारों बलूच मारे जा चुके हैं और हजारों का आज तक कुछ पता नहीं चल सका है।
- भारत के विरोध के बाद भी चीन और पाकिस्तान गुलाम कश्मीर में सीपैक का काम आगे बढ़ा रहे हैं।
- पाकिस्तान लगातार जम्मू कश्मीर को केवल मुस्लिम आबादी वाला राज्य बताता आया है, जबकि हकीकत ये है कि यहां पर मुस्लिमों के अलावा हिंदू समेत पंजाबी समुदाय भी दशकों से रहता आया है। लेकिन पाकिस्तान द्वारा फैलाए गए प्रायोजित आतंकवाद के चलते यहां से हिंदुओं को डरा धमकाकर बाहर निकाल दिया गया और उनके मकानों पर कब्जा जमा लिया गया।
- पाकिस्तान लगातार जम्मू कश्मीर में आतंकवाद और अलगाववाद को बढ़ाने के मकसद से फंडिंग करता रहा है।
- पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति जनरल (रिटायर्ड) परवेज मुशरर्फ इस बात को कुबूल कर चुके हैं कि भारत में हमले करवाने के लिए कई बार जैश ए मुहम्मद की मदद ली गई है।
- पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद के चलते जम्मू कश्मीर के लोग शिक्षा और विकास में पिछड़ गए हैं। आतंकियों ने अलगाववादियों से मिलकर यहां के स्कूलों में आग लगवाई, दंगे करवाए।
- पाकिस्तान हमेशा से ही भारतीय सेना की गलत छवि पेश करता आया है। जबकि हकीकत ये है कि सेना वहां पर कश्मीरियों की मदद कर रही है।
- पाकिस्तान के अधिकारी संयुक्त राष्ट्र में गलत तस्वीरें दिखाकर भारत के खिलाफ गलत बयानजबाजी करते रहे हैं। जिसे अंतरराष्ट्रीय समुदाय बेहतर तरीके से जानता है। पाकिस्तान की संयुक्त राष्ट्र में अधिकारी मलिहा लोधी इसका जीता जागता सुबूत हैं जिन्होंने गाजा पट्टी में घायल हुई एक लड़की की तस्वीर को कश्मीरी लड़की बताकर पूरी दुनिया में अपनी हंसी उड़वाई थी।
- जैश ए मुहम्मद द्वारा भारतीय सेना पर हमले के बाद ही भारत ने पाकिस्तान के कब्जे वाले इलाके में सर्जिकल स्ट्राइक और बालाकोट एयर स्ट्राइक की थी, जिसका कई मुल्कों ने स्वागत किया था।
- जम्मू कश्मीर भारत के फैसले को सही बताने वालों की कोई कमी नहीं है, लेकिन सरकारें उनको कभी सामने नहीं आने देती हैं।
- पाकिस्तान का एक बुद्धिजीवी वर्ग लगातार पाकिस्तान की कारगुजारियों को दुनिया के सामने रख रहा है।
- पाकिस्तान की सभी हुकूमतें वहां पर सेना के हाथों नियंत्रित होती आई हैं, वहां पर लोकतंत्र के नाम पर सेना सरकार चलाती है। यह बात किसी से छिपी नहीं रही है। सेना किसी भी सूरत से जम्मू कश्मीर में आतंकमुक्त माहौल बनाने की पक्षधर नहीं रही है।
- एलओसी पर भी पाकिस्तान ने सेना के साथ आतंकियों की फौज को तैनात किया है। यह फोर्स भारतीय सीमा में घुसपैठ करती और करवाती है तथा पूर्व में कई बार भारतीय जवानों के शवों को क्षतविक्षत करने जैसे निंदनीय काम को अंजाम देती रही है।
- पाकिस्तान लगातार ये कहता रहा है कि भारत ने अनुच्छेद 370 को खत्म अपने ही संविधान का मजाक उड़ाया है, जबकि सच्चाई ये है कि भारतीय संविधान के मुताबिक और अनुच्छेद 370 में निहित आधारों पर ही इसको खत्म किया गया है।
- अनुच्छेद 370 की वजह से राज्य का विकास रुक गया था, भारत सरकार अब वहां पर विकास में तेजी लाएगी।
- जम्मू कश्मीर और यहां के लोगों में विकास की अपार संभावनाएं है। अनुच्छेद 370 खत्म होने के बाद केंद्र और राज्य सरकार मिलकर यहां पर विकास की राह पकड़ेंगी।
- जम्मू कश्मीर और यहां की कानून व्यवस्था और यहां की संवैधानिक स्थिति पूरी तरह से भारत का अंदरुणी मामला है, इस पर किसी भी देश की दखलअंदाजी का सवाल ही नहीं उठता है।
- पाकिस्तान लगातार भारत में रहने वाले मुस्लिमों की आजादी खतरे में कहकर भारत की गलत छवि को पेश करने की कोशिश करता रहा है, जबकि सच्चाई ये है कि भारत के मुस्लिम जो कि पाकिस्तान की कुल आबादी से भी अधिक हैं, जम्मू कश्मीर पर लिए गए फैसले को सही मानते हैं।